नई विधानसभा के लिए हरियाणा पहुंचा केंद्र दरबार

Haryana assembly sachkahoon

उप-राष्ट्रपति से मिले ज्ञान चंद गुप्ता, पंजाब विश्वविद्यालय में भी मांगा हरियाणा का हिस्सा

  • एम. वेंकैया नायडू ने विस अध्यक्ष की दोनों मांगों पर सहमति जताई

  • हरियाणा की नई विधान सभा के लिए केंद्रीय गृह मंत्री से करेंगे बात

चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़)। भारत के उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू का शुक्रवार को चंडीगढ़ आना हरियाणा (Haryana Assembly) के लिए उम्मीद की किरण लेकर आया। अरसे से हरियाणा की नई विधान सभा के लिए प्रयासरत विस अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता को इस मौके पर बड़ी कामयाबी मिली है। उप-राष्ट्रपति ने हरियाणा के लिए नई विधान सभा और पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रदेश का हिस्सा देने संबंधी विस अध्यक्ष की दोनों मांगों पर सहमति जताई है।

एम. वेंकैया नायडू ने विस अध्यक्ष को आश्वासन दिया है कि वे इस मामले में शीघ्र ही केंद्रीय गृह मंत्री से बात करेंगे। बता दें कि हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता शुरू से ही प्रदेश के लिए नया विधान भवन बनवाने और पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा को हिस्सा दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। इस दिशा में वे कोई भी अवसर हाथ से नहीं जाने देते।

शुक्रवार को जैसे ही देश के उप-राष्ट्रपति चंडीगढ़ पहुंचे तो विस अध्यक्ष ने पंजाब राजभवन पहुंच उनके विशेष भेंट कर हरियाणा के लिए नई विधान सभा और पंजाब विश्वविद्यालय में हिस्सा दिलवाने की मांग की। उप-राष्ट्रपति ने दोनों मांगों पर सहमति जताई है। गौरतलब है कि देश के उप-राष्ट्रपति पंजाब विश्वविद्यालय के कुलपति भी हैं।

बदल रहा संसदीय कार्य का स्वरूप

हरियाणा (Haryana Assembly) विधानसभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने उप-राष्ट्रपति को बताया कि बदलते दौर में संसदीय कार्य का स्वरूप बदल रहा है। इसके लिए न सिर्फ पर्याप्त स्थान चाहिए बल्कि आधुनिक तकनीक से लेस संचार ढांचा भी वक्त की जरूरत बन चुका है।

इसलिए हरियाणा सरकार ने भी चंडीगढ़ प्रशासन से नए विधान भवन के लिए जगह की मांग की है। गुप्ता ने कहा कि हरियाणा के अस्तित्व में आने के करीब 56 साल बाद भी हरियाणा विधानसभा स्थान अभाव का दंश झेल रही है। पंजाब से बंटवारे के वक्त हुए समझौते के अनुसार हरियाणा को उसका पूरा हिस्सा नहीं मिल पाया है। दोनों प्रांतों का एक ही विधान भवन होने के कारण अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है।

दूसरे राज्यों की दी मिसाल

देश के दूसरे राज्यों की मिसाल देते हुए गुप्ता ने कहा कि सभी राज्यों और कुछ केन्द्र शासित प्रदेशों के पास स्वतंत्र विधान भवन है। छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलगाना, उत्तराखंड, असम और इसके अलावा कुछ ऐसे भी उदाहरण है, जहां पहले से विधानसभा भवन की इमारत होने बावजूद समय की मांग के अनुसार नवनिर्माण किए गए। राजस्थान विधानसभा का नवनिर्मित विधानभवन जयपुर में, गुजरात विधानसभा का गांधी नगर में, हिमाचल प्रदेश का धर्मशाला और असम का गुवाहाटी स्थित विधान भवन इसके प्रमुख उदाहरण है। इतना ही नहीं देश की राजधानी दिल्ली में भी आवश्यकताओं के अनुसार नया संसद भवन बनाया जा रहा है।

126 सीटें होंगी हरियाणा विधानसभा की

विधान सभा अध्यक्ष ने पत्र में कहा है कि 2026 में प्रस्तावित परिसीमन में हरियाणा (Haryana Assembly) में लोक सभा की 14 और विधान सभा की 126 सीटें होने का अनुमान है, लेकिन विधानसभा के सदन में 90 विधायकों के बैठने की ही व्यवस्था है। इसके अलावा एक भी विधायक के लिए स्थान बनाना यहां मुश्किल काम है। गुप्ता ने कहा कि 2026 के मात्र 5 वर्ष का समय शेष हैं, इसलिए इस दिशा में अभी से विचार कर योजना बनानी होगी।

मंत्रियों, चेयरपर्सनस और विधायकों व कर्मचारियों के लिए नहीं बैठने का पर्याप्त स्थान

इसके अलावा विधानसभा सत्र के दौरान मंत्रियों, समिति चेयरपर्सनस और विधायकों के बैठने का भी पर्याप्त स्थान नहीं है। पंजाब विधानसभा के लगभग सभी मंत्रियों को सत्र के दौरान उनके कार्यालय के लिए स्वतंत्र कमरों का प्रावधान है। वहीं, हरियाणा विधानसभा में मुख्यमंत्री के अलावा किसी भी मंत्री या समितियों के चैयरपर्सनस के बैठने के लिए व्यवस्था नहीं है। इस कारण से समितियों की बैठके सुचारू रूप से नहीं चल पा रही है।

इतना ही नहीं हरियाणा विधानसभा सचिवालय में सेवारत करीब 350 अधिकारियों व कर्मचारियों के बैठने के लिए भी पर्याप्त स्थान नहीं है। इस कारण से एक कमरे में 3 से 4 शाखाओं को समयोजित करना पड़ा है।

सुरक्षा व्यवस्था भी है बड़ा कारण

दो प्रदेशों का साझा विधान भवन होने के कारण पार्किंग समस्या भी परेशानी का सबब बन चुकी है। सत्र के दिनों में यह समस्या और ज्यादा बढ़ जाती है। इसके साथ ही प्रवेश द्वारों का मसला भी कई बार सुरक्षा व्यवस्था के लिए भारी बन जाता है। पंजाब विधानसभा की तर्ज पर हरियाणा विधानसभा परिसर में भी विधायक दलों के स्वतंत्र कार्यालयों का प्रावधान संसदीय कार्य की जरूरत बन चुका है। वर्तमान हरियाणा विधानसभा के पास जो स्थान उपलब्ध है, उसमें इस प्रकार की व्यवस्था करना संभव नहीं है।

पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा की हिस्सेदारी का मामला भी उठाया

इसके साथ ही पंजाब विश्वविद्यालय में हरियाणा (Haryana Assembly) की हिस्सेदारी का मामला विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने मुखरता से उठाया। विस अध्यक्ष ने पंजाब विश्वविद्यालय की मूल स्थिति और हरियाणा के हिस्से की बहाली की मांग की। उन्होंने बताया कि इससे पहले वे 2017 में इस मामले को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के सम्मुख भी उठा चुके हैं। इतना ही नहीं वे उपराष्ट्रपति को भी इस विषय में पत्र लिख चुके हैं। पंचकूला जिला के छात्र-छात्राओं की मांग को दोहराते हुए विधान सभा अध्यक्ष ने कहा कि जिले के सभी कॉलेजों को पंजाब विश्वविद्यालय से संबद्ध करना चाहिए।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।