भारत को शत-प्रतिशत विकसित राष्ट्र बनाने के लिए पांच प्रण लें देशवासी: मोदी

Narendra Modi
विपक्षी दलों की एकजुटता पर पीएम मोदी का जबरदस्त प्रहार

नयी दिल्ली l प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि भारतीय समाज आकांक्षाओं से भरा है और इन्हें पूरा करने के लिए हमें ‘पंच प्रण’ लेने हाेंगे जिनके बल पर शत-प्रतिशत विकसित भारत का निर्माण होगा, जो विकास की हर कसौटी पर खरा उतरेगा और जिसके केन्द्र में मानवता होगी। मोदी ने सोमवार को 75 वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लाल किले की प्राचीर से करीब डेढ घंटे तक चले अपने नौवें संबोधन में कहा कि देश का युवा समाज आकांक्षाओं से भरा है और उसके मन में आकांक्षाओं का तूफान उमड़ रहा है, वह अब इंतजार नहीं करना चाहता और विकसित देश के स्वतंत्रता सेनानियों तथा शहीदों के सपने को अपने सामने पूरा करना चाहता है। उन्होंने कहा कि देश ने लंबे समय तक इंतजार किया है लेकिन युवा पीढ़ी अब अगली पीढ़ी को इसका इंतजार कराने के लिए मजबूर नहीं है। उन्होंने कहा, “ आजादी के अमृत काल के प्रथम दिन देख रहा हूं कि भारत का जनमानस आकांक्षाओं से भरा हुआ है। हर आदमी चीजों को बदलते देखना चाहता है और वह यह परिवर्तन अपने आंखों से देखना चाहता है।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि आज अमृतकाल के पहले प्रभात पर वह युवा पीढ़ी का आह्वान करते हैं कि वह देश को पूरी तरह से विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान दें। उन्होंने कहा कि इसके लिए अमृतकाल के 25 वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, “ हमें इन वर्षों में पंच प्रण पर अपनी शक्ति को केंद्रित करना होगा, अपने सामर्थ्य को केंद्रित करना हो और हमें उन पंच प्रणों को लेकर 2047 तक आजादी के दीवानों के सारे सपनों को पूरा करने की जिम्मेदारी उठा कर चलना होगा।”

पंच प्रणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सभी देशवासियों को पहला बड़ा संकल्प और प्रण भारत को पूरी तरह विकसित बनाने का लेना होगा। ऐसा विकसित राष्ट्र जो सभी कसौटियों पर खरा उतरे तथा जिसके केन्द्र में मानवता हो।पंच प्रणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि सभी देशवासियों को पहला बड़ा संकल्प और प्रण भारत को पूरी तरह विकसित बनाने का लेना होगा। ऐसा विकसित राष्ट्र जो सभी कसौटियों पर खरा उतरे तथा जिसके केन्द्र में मानवता हो।

दूसरा प्रण हमारे मन के भीतर यदि गुलामी का कोई भी अंश है तो उसे जड़ से खत्म करना होगा, उससे मुक्ति पानी होगी। तीसरा प्रण हमें अपनी विरासत पर गर्व करने का लेना होगा। चौथा प्रण देश में एकता और एकजुटता को बढ़ावा देना का और पांचवां प्रण यह है कि सभी नागरिक अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें। उन्होंने कहा कि जब समाज आकांक्षाओं वाला होता है तो सरकारों को भी तलवारों की धार पर चलना होता है क्योंकि हर सरकार को जनता की आस्था-आकांक्षाओं का समाधान करना ही होगा। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को इससे कष्ट हो सकता है लेकिन सरकार को इसे पूरा करना होगा।

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