भारत के साथ पाकिस्तान में भी गधे की बारात नाटक ने मचाई धूम

Donkey's procession sachkahoon

अब तक 318 बार हो चुका मंचन

  • नाटक की पूरी टीम को हरियाणा कलाकार वेलफेयर एसोसिएशन करेगी सम्मानित

सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। देश के अनेक राज्यों में मंच पर कला, हास्य और सामाजिक सरोकारों का संदेश देने वाले नाटक गधे की बारात (Donkey’s Procession) का अब तक 318 बार मंचन किया जा चुका है। दर्शकों के जहन में गहरी छाप छोड़ने वाले इस नाटक ने खूब वाहवाही लूटी है। जिसने जितनी बार इस नाटक को देखा, हर बार इसमें नयापन महसूस किया। नाटक के कलाकारों द्वारा सटीक डायलॉग और कला का बेहतरीन प्रदर्शन नाटक की खूबी कही जा सकती है।

गधे की बरात (Donkey’s Procession) ने अब तक कई रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं। हरियाणा में किसी भी नाटक के आज तक के सब से अधिक मंचन का रिकॉर्ड भी अब गधे की बरात के पास है। इस नाटक का पहला मंचन 1990 में हुआ था। यह आज तक यानी 32 साल के बाद भी बदस्तूर जारी है। यह सप्तक की कार्यकारिणी की सूझबूझ का ही परिणाम है कि अपने काम धंधों या फिर पारिवारिक जरूरतों के हिसाब से कई कलाकार अलग-अलग शहरों में चले गए हैं, लेकिन जब नाटक के मंचन का समय आता है तो सभी एक मंच पर खड़े दिखाई देते हैं। इतने लंबे समय तक कलाकारों को जोड़ कर रखना कोई आसान काम नहीं है। नाटक का मंचन पाकिस्तान के लाहौर में भी किया जा चुका है। अन्य किसी भी कलाकार दल को आज तक ऐसा मौका नहीं मिला है।

हि.प्र, उ.प्र, राजस्थान के मेलों में भी हुआ है मंचन : त्रिखा

सप्तक संस्था के प्रधान विश्वदीपक त्रिखा के मुताबिक हरियाणा के ये भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है कि बिना किसी सरकारी सहायता या ग्रांट के इस नाटक का चयन इतने बड़े फेस्टिवल में हुआ है। एक और रिकॉर्ड सप्तक के नाम है। हरियाणा में सबसे पहले इंडो-पाक थियेटर फेस्टिवल का आयोजन रोहतक में 2003 में सप्तक द्वारा ही किया गया था। जिसके बाद अब तक एक ही और संस्था द्वारा इंडो-पाक थियेटर फेस्टिवल फिर से करवाया जा सका। मसूरी की राष्ट्रीय प्रशासनिक अकादमी में भावी आईएएस अधिकारियों के लिए दो बार इस नाटक का मंचन करवाया जाना भी अपने आप में एक रिकॉर्ड है। हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के तमाम मेलों में इस नाटक का मंचन एक बहुत बड़ी उपलब्धि है।

कलाकार वेलफेयर एसो. करेगी सम्मानित : डॉ. अर्जुन

हरियाणा कलाकार वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ. अर्जुन वशिष्ठ कहते हैं कि सप्तक कल्चरल सोसाइटी रोहतक के कलाकारों को उनकी इस अद्वितीय उपलब्धि के लिए सम्मानित करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि आज तो सरकारी विभाग और अकादमियां नाटक के मंचन करवाने लगे हैं, लेकिन इस नाटक के मंचन उस वक्त होने शुरू हुए थे, जब विभाग के लिए नाटक कोई प्राथमिकता नहीं थी। इस नाटक का चोटिल व्यंग्य ही इसकी खूबसूरती है। अब राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय द्वारा इसका चयन नॉर्थ ईस्ट थियेटर एक्सचेंज प्रोग्राम में किया जाना अपने आप में एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि है।

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