मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक एवं कीट विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. राम सिंह ने चेताया कोरोना महामारी के बीच फिर से टिड्डी दल का खतरा

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खरीफ फसलों को भारी नुकसान पहुंचा सकती हैं रेगिस्तानी टिड्डियां

सच कहूँ/संजय मेहरा, गुरुग्राम। लो जी, एक बार फिर से कोरोना महामारी के बीच रेगिस्तानी टिड्डियों का खतरा मंडराने लगा है। रेगिस्तानी टिड्डियों के दल द्वारा भारत की सीमाओं में प्रवेश करके कई राज्यों में फैलने की आशंका है। यह टिड्डी दल खरीफ की फसलों के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकता है। यह आशंका जाहिर करते हुए प्रसिद्ध कीट विज्ञानी डा. राम सिंह ने इसे रोकने के लिए सतर्कता बरतने को कहा है।

अगर यह टिड्डी दल यहां आ गया तो साल 2020 की तरह फसलों में भारी तबाही मचा सकता है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार के मानव संसाधन प्रबंधन निदेशक एवं कीट विज्ञान विभाग के प्रमुख रहे डा. राम सिंह कहते हैं कि पिछले 3 वर्षों के दौरान तीन से चार टिड्डी दलों के झुंड भारत में प्रवेश करते रहे हैं, जो गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा में फसल को काफी नुकसान करते रहे हैं। इनका प्रबंध आसानी से इसलिए किया जा सका, क्योंकि इनका घनत्व, संख्या व फैलाव बल कम था।

चक्रवात से भी बना अनुकूल वातावरण

अब वर्ष 2021 में ताऊते चक्रवात के कारण उत्तर पश्चिम भारत के 7 से 8 राज्यों राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश में बरसात के परिणामस्वरूप अत्यधिक हरियाली रेगिस्तानी टिड्डियों के बड़े झुंडों के गठन और उनके देश के बाकी हिस्सों में बड़े पैमाने पर प्रवास के अनुकूल वातावरण बनाएगी। पड़ोसी देशों से प्रारंभिक आक्रमण और टिड्डियों के झुंडों के निर्माण को रोकने के लिए सतर्क रहने की बहुत आवश्यकता है। पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड, बिहार और आस-पास उत्तर पूर्व के राज्यों में यास चक्रवात भी रेगिस्तानी टिड्डियों के दीर्घकालिक प्रवास के लिए अनुकूल वातावरण तैयार करेगा। एक या दो पश्चिमी विक्षोभ टिड्डी दल की समस्या की तीव्रता को कई गुना बढ़ा देता है।

प्राणी, जीव-जंतुओं के खाद्यान्न पर प्रभाव

डॉ. राम सिंह के अनुसार टिड्डी दल आगामी समय में खरीफ फसलों पर हमला करेगा। यह अपनी पूरी क्षमता के साथ जहां से भी गुजरेगा, वहां की हरियाली व फसलों को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। जिसका प्राणी मात्र व अन्य जीव जंतुओं के खाद्यान्न पर बड़ा विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। वर्तमान में यह टिड्डी दल अपने जन्म स्थान ईरान, ईराक, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, केन्या, सोमालिया, इथियोपिया, सूडान व पाकिस्तान में भी अपने प्रजनन कार्य में लगा हुआ है।

खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा इस मरू टिड्डी दल को इसके प्रजनन स्थान पर नियंत्रित करने के लिए समय पूर्व ही अथक प्रयासों की जरूरत है। अंतरराष्ट्रीय टिड्डी दल संगठन भी इसके प्रभावों से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए। यह मरू टिड्डी दल विश्व के 60 देशों में व्याप्त होकर पृथ्वी के भू भाग पर अपना प्रभाव डाल सकता है। हमला करने वाले टिड्डी दल 40 से 80 मिलियन की तादाद में सामूहिक हो सकते हैं, जो हर हरे भरे फूल-फल, पेड़-पौधों को खाते हुए आकार बढ़ाकर बहुत बड़ा हमला कर तबाही मचा सकते हैं।

प्रो. सिंह ने 2020 में भी की थी भविष्यवाणी

बता दें कि प्रो. राम सिंह ने पिछले साल यानी वर्ष 2020 में भी जून से सितंबर तक देश के विभिन्न हिस्सों में टिड्डियों के झुंड के बार-बार आक्रमण की भविष्यवाणी की थी। इस साल जल्दी बारिश, हरी वनस्पति और मध्यम तापमान और आर्द्रता के कारण पिछले साल की तुलना में अधिक गंभीर समस्या हो सकती है। वर्ष 2021 में रेगिस्तानी टिड्डे को अगर नजरअंदाज किया गया तो जून से सितंबर तक चारा फसलों सहित विभिन्न फसलों को अधिक गंभीर नुकसान हो सकता है।

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