आंदोलन: क्या 1 दिसंबर को किसान घर जाएंगे? जानें, अब तक का घटनाक्रम

Farmer Unions

किसान यूनियनों की एक दिसंबर को आपात बैठक

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। केंद्र की ओर से तीनों कृषि कानूनों की वापसी की कार्रवाई के बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने एक दिसंबर को आपातकालीन बैठक बुलाई है। कयास लगाए जा रहे है कि एक दिसंबर को घर वापसी की घोषणा हो सकती है। अगर ऐसा होता है तो सरकार के लिए राहत होगी। क्योंकि किसान नेता राकेश टिकैत एमएसपी पर अड़े हुए है। उनके बयान से ऐसा लगता है कि किसान अभी दिल्ली सीमा से हटने के मुट में नहीं है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पंजाब के अधिकतर किसान अब घर वापसी पर सहमति बना ली है।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) कादियान के अध्यक्ष हरमीत सिंह कादियान ने सोमवार को एक बयान में कहा कि एक दिसंबर को होने वाली बैठक विशेष बैठक है जो पिछले कुछ समय में सरकार के साथ 11 दौर की बातचीत करने वाले किसान संगठनों के प्रतिनिधियों द्वारा आयोजित की जाएगी। चार दिसंबर को होने वाली सामान्य बैठक तय अनुसार होगी, जिसमें आंदोलन और एमएसपी कमेटी को लेकर फैसला लिया जाएगा।

क्या है मामला

उल्लेखनीय है कि इन कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि किसान अब अपना आंदोलन कब खत्म करेंगे। सरकार ने सोमवार को शुरू हुए संसद के शीतकालीन सत्र में कानूनों को आधिकारिक रूप से वापस लेने का विधेयक पेश किया जिसे दोनों सदनों ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी। अब यह विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए जाएगा।

जानें, किसान आंदोलन में अबतक का प्रमुख घटनाक्रम….

4 जनवरी 2021 : सरकार और किसान नेताओं के बीच सातवें दौर की वार्ता भी बेनतीजा रही, केंद्र कृषि कानूनों को निरस्त करने पर राजी नहीं हुआ।

11 जनवरी 2021 : उच्चतम न्यायालय ने किसानों के प्रदर्शन से निपटने के तरीके को लेकर केंद्र की खिंचाई की।

12 जनवरी 2021 : उच्चतम न्यायालय ने कृषि कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगायी, कानूनों पर सिफारिशें देने के लिए चार सदस्यीय समिति गठित की।

26 जनवरी 2021 : गणतंत्र दिवस पर किसान संघों द्वारा बुलाई ट्रैक्टर परेड के दौरान हजारों प्रदर्शनकारियों की पुलिस के साथ झड़प हुई. लाल किले पर संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गयी।

29 जनवरी 2021 : सरकार ने डेढ़ वर्षों के लिए कृषि कानूनों को स्थगित करने और कानून पर चर्चा के लिए संयुक्त समिति गठित करने का प्रस्ताव दिया। किसानों ने प्रस्ताव ठुकरा दिया।

5 फरवरी 2021 : दिल्ली पुलिस की साइबर अपराध शाखा ने किसान प्रदर्शनों पर एक ‘टूलकिट’ बनाने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की, जिसे युवा पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग ने साझा किया था।

6 फरवरी 2021 : प्रदर्शनरत किसानों ने दोपहर 12 बजे से तीन बजे तक तीन घंटों के लिए देशव्यापी ‘चक्का जाम’ किया।

6 मार्च 2021 : किसानों को दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन करते हुए 100 दिन पूरे हुए।

8 मार्च 2021 : सिंघु बॉर्डर प्रदर्शन स्थल के समीप गोलियां चली. कोई घायल नहीं हुआ।

15 अप्रैल 2021 : हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनसे किसानों के साथ वार्ता बहाल करने का अनुरोध किया।

22 जुलाई 2021 : करीब 200 प्रदर्शनरत किसानों ने ‘मानसून सत्र’ की तरह संसद भवन के समीप किसान संसद शुरू की।

7 अगस्त 2021 : 14 विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद भवन में मुलाकात की और दिल्ली के जंतर मंतर में किसान संसद में जाने का फैसला लिया।

5 सितंबर 2021 : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में कुछ महीने बाकी रहने पर भाजपा नीत राजग को चुनौती देते हुए किसान नेताओं ने मुजफ्फरनगर में ताकत का बड़ा प्रदर्शन किया।

22 अक्टूबर 2021 : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि वह उसके विचाराधीन मामलों पर भी प्रदर्शन करने के लोगों के अधिकार के खिलाफ नहीं है लेकिन उसने स्पष्ट किया कि ऐसे प्रदर्शनकारी अनिश्चितकाल तक सड़कों को बंद नहीं कर सकते।

29 अक्टूबर 2021 : दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर सीमा से अवरोधक हटाने शुरू किए, जहां केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।

19 नवंबर 2021 : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की।

29 नवंबर 2021 : संसद के दोनों सदनों ने कृषि कानून को निरस्त करने वाले कृषि विधि निरसन विधेयक, 2021 को बिना चर्चा के मंजूरी मंजूरी दी।

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