नीरज की लकड़ी नक्काशी कला का हर कोई है दीवाना

अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव। हस्त शिल्पकार नीरज का परिवार 6 बार राष्ट्रपति से ले चुका ‘सम्मान’

कुरुक्षेत्र। (सच कहूँ/देवीलाल बारना) लकड़ी की नक्काशी शिल्पकला से पुश्तों से राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से सम्मान हासिल कर रहा है शिल्पकार नीरज का परिवार। इस हस्त शिल्पकार को अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2022 में पहली बार आने का अवसर प्राप्त हुआ है और यहां पर आकर एक अच्छे अनुभव को साथ लेकर जाएंगे। इस महोत्सव में आमंत्रित करने पर उन्होंने सरकार और प्रशासन का आभार भी व्यक्त किया है। इस बार गीता महोत्सव के स्टाल नंबर 697 पर अपने शिल्पकला को पर्यटकों के लिए सजा कर रखा है। हस्त शिल्पकार नीरज बोंडवाल ने सच कहूँ संवाददाता से विशेष बातचीत करते हुए कहा कि लकड़ी की नक्काशी हस्त शिल्पकला में महारत हासिल कर 6 बार राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित मुख्यमंत्रियों सहित अन्य वीवीआईपी द्वारा सम्मानित हो चुके हैं।

यह भी पढ़ें:– रुपए वापस लौटा ईमानदारी का दिया परिचय

परिवार को इस कला के लिए मिल चुका युनेस्को अवार्ड

हरियाणा के हस्त शिल्पी नीरज बोंडवाल सरस मेले के स्टॉल 697 पर अपनी कला के बेहतरीन नमूनों को प्रदर्शित कर रहे हैं। कला ऐसी है कि देखने वाले आश्चर्य में पड़ जाए। अपनी इसी कला के लिए नीरज बोंडवाल वर्ष 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा शिल्प गुरु का सम्मान पा चुके हैं, जोकि राष्ट्रीय स्तर पर किसी हस्तशिल्पी को मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान है। यही नहीं नीरज के पिता महावीर प्रसाद वर्ष 1979 में राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी, 1984 में चाचा राजेंद्र प्रसाद राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह और दादा जयनारायण 1996 में प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित हुए हैं। वर्ष 2004 में राष्टÑपति एपीजे अब्दुल कलाम तथा वर्ष 2009 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल द्वारा वर्कशॉप सहभागिता के लिए सम्मान पाया है। परिवार को इस कला के लिए युनेस्का अवार्ड भी मिला है।

मानसिक और शारीरिक कौशल दोनों का अनूठा संगम

नीरज ने बताया कि लकड़ी पर नक्काशी का काम एक अनूठी कला हैं, जिसमे मानसिक और शारीरिक कौशल दोनों का संगम होता है। यह कला एंटीक आर्ट के तौर पर देखी जाती है। इस कला का बेहतरीन नमूना तैयार करने में दो से तीन महीने का समय लगता है, जिसमें अत्यधिक एकाग्रता की आवश्यकता होती है। अंडरकट कार्विंग और भी ज्यादा मेहनत भरा व अनोखा कार्य है। देखने वाला भी इस कला को देखकर अचंभित होता है। इस कला में हाथी के अंदर हाथी नक्काशी कर बनाया जा सकता है। लकड़ी ही नहीं संगमरमर के पत्थर पर भी नक्काशी की जाती है।

उन्होंने कहा कि नक्काशी किए कला के नमूनंो में उनके पास दीवार सज्जा के लिए लकड़ी के पैनल, पैंडेंट, मूर्तियां, खिलौने व बच्चों की गेम्स तथा सजावट का अन्य सामान हैं, जिनकी कीमत 50 रुपये से प्रारंभ होकर 40 हजार रुपये तक है। स्टॉल पर नक्काशी कला द्वारा निर्मित शतरंज भी उपलब्ध है।

देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा के नए भवन में दिखेगी नीरज की कला

नीरज ने बताया कि इन्ही सफलताओं के फलस्वरूप उन्हें देश की सबसे बड़ी पंचायत लोकसभा के नए भवन की एक दीवार का कोना अपनी कला को प्रदर्शित करने के लिए दिया गया है। वे लकड़ी की नक्काशी कर तैयार किये पैनल को वहां प्रदर्शित करेंगे, इसके लिए एक बेहतरीन कला का नमूना तैयार करने में नीरज व उनका परिवार लगा हुआ है। इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा महात्मा बुद्घ की अस्थियां को श्रीलंका भेजने के समय भी लकड़ी की नक्काशी वाला बॉक्स नीरज के परिवार द्वारा ही तैयार किया गया था।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।