पेड़ पौधे लगाकर पर्यावरण का संदेश दे रहे हैं: गुरविंदर सिंह

अब तक 100 पेड़ पौधे लगा चुके हैं

डबवाली। राजमीत सिंह। मशीनरी युग होने के कारण दिन प्रतिदिन वातावरण में प्रदूषण बढ़ रहा है जिसके चलते आज लोगों को प्रदूषण से बहुत सी बिमारियों हो रही है वहीं पेड़ पौधों की कटाई भी काफी तादाद में हो रही है। जबकि इन सबको देखते हुए सरकार भी पेड़ पौधे लगवाने के लिए काफी मशक्कत कर रही है।

जबकि पेड़ों से ही शुद्ध हवा के साथ-साथ ऑक्सीजन भी मिलती है जो मानव शरीर के लिए अति जरूरी है इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए शहर से दो किलोमीटर दूर पर स्थित गांव डबवाली में एक युवक अपनी नौकरी के साथ-साथ पर्यावरण प्रेमी बना हुआ है वह अपने फ्री समय में पेड़ पौधे लगाने का कार्य कर रहा है और युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ है।

हम बात कर रहे हैं गुरविदर सिंह पुत्र हरदीप सिंह निवासी गांव डबवाली जो सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया खुईयां मलकाना में केशियर की पोस्ट पर कार्यरत है। गुरविंदर सिंह ने बताया कि उनकी शादी 2018 में हरशरण कौर से हुई जो पंजाब में वन विभाग में फॉरेस्ट गार्ड की पोस्ट पर है। जिसका फॉरेस्ट डिपार्टमेंट में होने के चलते पेड़ पौधों से काफी लगाव है और उसने घर में भी बहुत से पौधे लगाए हुए हैं। जिससे प्रेरित होकर गुरविंदर सिंह ने भी पेड़ पौधे लगाने की ठानी और वह आज पौधे लगाए रहे हैं।

गुरविंदर सिंह ने बताया कि अब तक गांव में स्थित धर्मशाला, गुरुद्वारों, सीआईए ऑफिस डबवाली, श्मशान घाट में पौधे लगा रहे हैं। जिसमें वह लगभग 100 पौधे लगा चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस समय वह बरगद व पीपल के ज्यादा पौधे लगा रहे हैं जबकि बरगद व पीपल के पेड़ को सरकार कम प्रमोट करती है क्योंकि इसकी लकड़ी किसी काम नहीं आती। उन्होंने बताया कि बरगद व पीपल की लोग कटाई कम करते हैं जिसके चलते वह इन को प्रमोट कर रहे हैं जहां पेड़ पौधे की देखभाल हो सकती है वह वहां पौधे लगा रहे हैं उन्होंने बताया कि वह आगे भी इसी तरह पौधे लगाएंगे।

गुरविंदर सिंह ने बताया कि खास तौर पर उन्हें वह उनकी पत्नी को पेड़ पौधों लगाने की प्रेरणा सरदार कृपाल सिंह निवासी दोदरा बुडलाढा पंजाब से मिली। जो गुरुवाणी का किरतन करते है कुछ समय पहले गांव डबवाली में हुए समागम में भी सरदार कृपाल सिंह से उनकी मुलाकात हुई। उन्होंने बताया कि सरदार कृपाल सिंह का पेड़ पौधे के प्रति प्रेम भाव को देखकर उन्होंने भी पौधे लगाने की ठानी।

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