ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के औसत से असाधारण के मंत्र ने देश को प्रेरित किया : मोदी

PM Narendera Modi

नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तमिलनाडु में हादसे का शिकार बने देश के प्रथम चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ले जाने वाले हैलीकॉप्टर के पायलट दिवंगत ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह को श्रद्धांजलि दी और अपने पुराने स्कूल के बच्चों के लिए लिखे गये पत्र का उल्लेख करते हुए कहा कि ‘औसत से असाधारण’ बनने के उनके मंत्र ने पूरे देश को प्रेरित किया है। मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मासिक कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि महाभारत के युद्ध के समय, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा था – ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ यानि गर्व के साथ आकाश को छूना। ये भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य भी है। माँ भारती की सेवा में लगे अनेक जीवन आकाश की इन बुलंदियों को रोज़ गर्व से छूते हैं, हमें बहुत कुछ सिखाते हैं। ऐसा ही एक जीवन रहा ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का, जो उस हेलीकॉप्टर को उड़ा रहे थे, जो इस महीने तमिलनाडु में हादसे का शिकार हो गया।

उन्होंने कहा कि हमने उस हादसे में देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत कई वीरों को खो दिया। ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह भी मौत से कई दिन तक जांबाजी से लड़े, लेकिन फिर वो भी हमें छोड़कर चले गए। उन्होंने कहा, “वह जब अस्पताल में थे, उस समय मैंने सोशल मीडिया पर कुछ ऐसा देखा, जो मेरे ह्रदय को छू गया। इस साल अगस्त में ही उन्हें शौर्य चक्र दिया गया था। इस सम्मान के बाद उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी को पढ़कर मेरे मन में पहला विचार यही आया कि सफलता के शीर्ष पर पहुँच कर भी वे जड़ों को सींचना नहीं भूले। दूसरा – कि जब उनके पास अपनी सफलता का आनंद लेने का समय था, तो उन्होंने आने वाली पीढ़ियों की चिंता की। वो चाहते थे कि जिस स्कूल में वो पढ़े, वहाँ के विद्यार्थियों की जिंदगी भी आनंद का एक उत्सव बने।

प्रधानमंत्री ने कहा कि अपने पत्र में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने अपने पराक्रम का बखान नहीं किया बल्कि अपनी असफलताओं की बात की। कैसे उन्होंने अपनी कमियों को काबिलियत में बदला, इसकी बात की। इस पत्र में एक जगह उन्होंने लिखा है – “औसत होना भी ठीक है। हर कोई स्कूल में अग्रणी नहीं होगा और हर कोई 90 प्रतिशत से अधिक अंक लाने में सक्षम होगा। यदि आप ऐसा कर पाते हैं, यह एक शानदार उपलब्धि होगी और इसके लिए अभिनंदन होना चाहिए। हालांकि यदि आप ऐसा नहीं कर पाते हैं तो यह मत सोचिए कि आप औसत दर्जे के हैं। आप औसत दर्जे के स्कूल में हो सकते हैं लेकिन जीवन में होने वाली बहुत सारी चीज़ों के लिए यह कोई पैमाना नहीं है। आपके हिसाब से यह कला, संगीत, ग्राफिक डिजायन, साहित्य कुछ भी हो सकता है। आप जो कुछ भी करें, उसमें समर्पण हो, आपका सर्वश्रेष्ठ लगा दें। कभी भी बुरी सोच नहीं अपनाएं, आप अपने प्रयासों को बढ़ाने के बारे में सोचें।”

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