आखिर डेरा श्रद्धालुओं के हौसले क्यों रहते हैं बुलंद, पूज्य गुरु जी ने खोला इसका राज

बरनावा (सच कहूँ न्यूज)। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां 40 दिन बरनावा आश्रम में रूहानी यात्रा पर आए थे इस दौरान उन्होंने साध-संगत को रूहानी वचनों की सौगात दी। पूज्य गुरु जी ने साध-संगत के सवालों के जवाब दिए। आइयें पढ़ते है सवालों के जवाब…

सवाल: मुसीबतों में सब डगमगा जाते हैं, आप के भक्तों पर लाख मुसीबतें आई, लेकिन उनका हौंसला और विश्वास बुलंद रहा। डेरे के घोर निंदक भी इस बात को सरे आम स्वीकारते हैंं, इसका क्या राज है?

जवाब: क्योंकि बेटा, हम अपने बच्चों के सामने कुछ पर्दा रखते ही नहीं। सारे बच्चों के सामने खुली किताब हैं, और उनको पता है अपने पीर-फकीर का, और हमें पता है अपने बच्चों का, जो दिल से जुडे हैं, और ये समाज का भला करते हैं, ये कोई ऐसा नहीं है कि आकर हमारे हाथ-पांव दबाते हैं, जी नहीं, ये सेवा करते हैं, समाज की, सर्वधर्म की और सबकी इज्जत करते हैं, कोई गाली दे तो भी। इसलिए एक बच्चा भी टस से मस नहीं हुआ। हमें इस बात की बड़ी खुशी है कि ये अपने जिस धुरे से जुड़े थे, ज्यों के त्यों खड़े हैं और ये खड़े ही रहेंगे। समाज के लिए लगे ही रहेंगे और मालिक सतगुरु उनको खुशियों से मालामाल करते रहेंगे।

सवाल: क्या गुरुमंत्र और गुरु एक ही हैं?

जवाब: गुरु वो होता है जो अज्ञानता रूपी अंधकार में ज्ञान का दीपक जला दे और गुुरुमंत्र वो होता है जो गुरु भगवान के शब्दों का जाप करे और फिर अपने शिष्यों को दें और ये कहे कि हम भी इंसान और आप भी इंसान हैं। अगर हमें इन शब्दों से भगवान की खुशियां मिली तो आपको क्यों नहीं मिलेगी। तो इसे गुरुमंत्र और गुरु एक ही चीज मानकर चलें। क्योंकि वो भगवान के शब्दों का जाप करता है और आपको भगवान के शब्दों का जाप करने की प्रेरणा देता है। तो गुरुमंत्र भगवान के शब्द, पर गुरु के बिना वो दिये नहीं जाते।

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