अगर जिदंगी में कामयाब होने है तो पढ़े ये पूज्य गुरु जी के वचन

Indian Culture, Online Spiritual Discourse

बरनावा। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि हमारे पाक पवित्र वेदों में, पाक पवित्र सभी धर्मों के ग्रंथों में यह बहुत पहले से लिखा हुआ है कि अपनी सोच को बदलो, अपने अंदर आत्मबल को पैदा करो। जिनके अंदर आत्मबल होगा, विल पावर होगी वो इन्सान हमेशा सफलता की ओर बढ़ता ही चला जाएगा। अगर आप सफल होना चाहते हैं कि हमारे देश से नशे को खत्म कर दिया जाए, अगर आप सफल होना चाहते हैं कि हमारे परिवार में नौजवान बेटे, पोते, पोती या जो भी नशा करने वाला है, उसकी जिंदगी को अगर बचाना चाहते हैं तो आप ये बेहद जरूरी है उनके लिए आत्मबल को लाओ और आत्मबल की दवा राम-नाम, अल्लाह, वाहेगुरू, परमात्मा के नाम के अलावा और कोई नहीं जो एकदम असर करती है, एक दम से बदलकर रख देती है, तो जरूरी है आज के समय के अनुसार।

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नशे को पूरी तरह से बंद क्यों नहीं कर सकते

पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि हम लगभग 1995-96 से कहते आ रहे हैं कि ये जो नशे चल रहे हैं इनडायरैक्टली हमारे देश के खिलाफ एक तरह का अप्रत्यक्ष युद्ध है, ताकि हमारी नौजवान पीढ़ी खोखली हो जाए और जब नौजवान पीढ़ी खोखली हो जाएगी तो देश की रक्षा करेगा कौन? यूथ, जवानी, एक ऐसा मरहला होता है, एक ऐसा दौर होता है, जिसमें अगर आदमी अच्छे कर्म करने लग जाए तो वो समाज को, देश को बहुत कुछ दे सकता है और बुरे कर्म करने लग जाए तो घर को भी कुछ देने के लायक नहीं रहता, देश व समाज तो दूर की बात। ये बदलाव लाना जरूरी है। हम जो भी देखते हैं नेगेटिविटी देखते हैं, मोस्टली बच्चे फॉलो करते हैं अपने फेवरेट हीरो को, किसी भी चीज को, और ज्यादातर हमारे देखने में आया नशे करते दिखाए जाते हैं, ये अलग बात है कि नीचे छोटे अक्षरों में लिख दिया जाता है कि नशा सेहत के लिए हानिकारक है, उसे कौन देखता है। सिगरेट की डिब्बियों पर काफी बड़ी-बड़ी फोटो भी आजकल आने लग गई हैं, अगर फोटो आ सकती है तो क्या ये बंद नहीं हो सकते? अगर हम फोटो लगा सकते हैं तो क्यों ना कोशिश की जाए, कि इन पर रोक लगा दी जाए।

दुआ वही काम करेगी जो अनमोल है

पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि नशों पर रोक लगाने से पहले जरूरी है, जो इसके आदी हैं उनका इलाज किया जाए, जिनके लिए ये जरूरी है कि उन्हें अच्छी दवा और दुआ दी जाए। हम गारंटी देते हैं, दवा आप बाद में देते रहना, पहले ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू के नाम की दुआ दिलवा दो तो हो सकता है कि दवा की जरूरत ना पड़े। हमारा ये तजुर्बा है छह करोड़ लोगों पर, जिनको दवा नहीं दुआ ने भयानक से भयानक नशे से दूर कर दिया। ये जो लाइव देख रहे हैं, बहुत से बच्चे इनमें बैठे होंगे, बहुत से भाई-बहनें बैठे होंगे जो किसी-न-किसी नशे से जुड़े रहे होंगे, नशे के आदी रहे होंगे। लाइव में काफी सारे लोगों ने हाथ खड़ा किया। जी, बिल्कुल, कि आपने वो नशा कैसे छोड़ा। पर बात ये है कि दुआ भी कई श्रेणियों में आ गई। ये दुआ दे रहा है तो इसके पास जाएं, वो दुआ दे रहा है तो उसके पास जाएं। कौन से वाली दुआ ज्यादा दुआ करेगी और कौन से वाली कम असर करेगी। दुआ असर वो ही करती है जो अनमोल होती है और मिलती बिना मोल के है। दुआ वो असर नहीं करती जिस पर टैक्स लगता है। इसलिए आप ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू के नाम से जुड़ जाइये, उसकी भक्ति इबादत कीजिये तो जरूर नशा छूटेगा और हमारा समाज स्वस्थ होगा, तंदुरूस्त होगा।

मिलावटी नशों से पैदा हो रही अनेक बीमारियां

पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि नशा एक बहुत बड़ी समस्या है आने वाले टाइम में। हम वहां भी चर्चा करते थे तो लोग कहते थे कि जी, हमारे बाप-दादा भी नशा लिया करते थे, उनको तो कुछ हुआ नहीं। कहते गुरू जी, उनको कुछ क्यों नहीं हुआ। हमने कहा वो सारा दिन बैलों के पीछे, ऊँटों के पीछे चला करते थे। फावड़े, कस्सी चलाया करते थे। बात चली थी बीड़ी पीते थे या हुक्का वगैरह गुड़गुड़ाते थे, कि जी उनको तो कभी कुछ हुआ नहीं। हमने कहा कि उनके अंदर का विल पावर बहुत था। वे राम-नाम लेते थे, हर चीज के उसूल थे उनके, और उन उसूलों के पक्के थे। हमने कहा कि उन टाइमों में मिलावट भी नहीं थी और आज के दौर में बहुत मिलावट है। सन् 1998 या 2000 में राजस्थान साइड में हम सत्संगें करने लगे। तो एक जगह भवानी मंडी, मध्य प्रदेश और राजस्थान के बॉर्डर का एरिया था तो वहां पर हम लोग रुके। ऊँट वगैरहा काफी चर रहे थे, खाली घूम रहे थे। सुबह-सुबह देखा तो लोग अपने पीछे झोलियां बांधकर, जैसे कपास रूई चुनते हैं पौधों से, ऐसे उनके पीछे बगलियां बंधी हुई थी, झोलियां बंधी हुई थी और वो ऊँट के मेंगने चुन रहे थे। (हमने सोचा कि) ये क्या कर रहे हैं ऊंट के मेंगने चुन रहे हैं!

आपने भी नहीं देखा होगा कभी ऊंट के मेंगने चुनते हुए, इन एरिया में तो देखा नहीं। तो अगला सत्संग हुआ तो पता चला कि वहां पर अफीम की खेती होती है, परमिट पर होती है। व्यापारी सज्जन मिले, उनसे चर्चा हुई तो पता चला। वो कहने लगे कि गुरू जी आप लोगों की साइड में राजस्थान का ये एरिया ले लो, बाकी पूरे भारत में, जो तम्बाकू जाता है, जो सिगरेट वगैराह में डलता है, या पता नहीं कौन से वाला उन्होंने बताया। कि ये जो मेंगने चुनते हैं उनमें मिक्स किया जाता है। हमने कहा, अच्छा। कहता जी, पक्का। कहता कि मैं अभी आता हूँ, अभी रूकना। वो अपनी दोनों हथेलियों पर कुछ सामान ले आया। कहने लगा कि गुरू जी ये बताओ कि कौन सा ऊँट का मेंगना है और कौन सा चूरापोस्त है। हमने कहा कि, हमें तो भाई दोनों एक जैसे ही लगते हैं, कहता बस मिलाने में देरी है। और सत्संग करते-करते हम आगरा साइड में आ गए, वहां एक इंस्पेक्टर साहब मिले, शर्मा जी उनके नाम के पीछे लगता था। तो उन्होंने हमें बताया कि गुरू जी हमने एक फैक्ट्री पर छापा मारा। तो कहने लगा कि जी, वहां से हमें ऊँट के मेंगने, मरी हुई छिपकलियां, गधे-घोड़े की लीद, सीवरेज का चूरा मिला। हमने कहा कि जी, उनका क्या करते हैं? कहता कि जी, ये सारा कुछ उस तम्बाकू में मिला देते हैं और फिर उसमें खुशबू वाली चीज भर देते हैं और छोटे-छोटे पाऊच बना देते हैं, उसके नाम ऊपर लिखा हुआ होता है उड़ने वाला, नाचने वाला, भागने वाला, पता नहीं क्या-क्या?

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