भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति शीर्ष तीन कुशलताओं के रूप में उभरी

National Education Policy

नई दिल्ली (एजेंसी)। लॉकडाउन के युग में कार्यस्थल के लिए अनुकूलन की योग्यता, तार्किक सोच और संवाद विश्वभर के व्यवस्थापन शीर्ष तीन कुशलताओं के रूप में उभरे हैं। उद्योग विशेषज्ञों और भर्ती करने वालों का मानना है कि मानवीय कुशलताएं ‘नई वास्तविकता’ की दुनिया को चलाएंगी और यह सोच देश की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) से मेल खाती हैै। यह भविष्य के लीडर्स के तौर पर छात्रों के व्यापक विकास को निखारती है और विदेशी विश्वविद्यालयों को भारत में कैम्पस स्थापित करने की अनुमति देता है। यह भारतीय छात्रों और पेशेवर के लिए घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फायदे की स्थिति है।

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ‘फ्यूचर आॅफ जॉब्स’ रिपोर्ट के अनुसार, ‘नियोक्ता वर्ष 2025 तक जिन कुशलताओं और कुशलताओं के समूह को नेतृत्वकारी भूमिका में देखते हैं, वह तार्किक सोच-विचार और विश्लेषण की क्षमता में शामिल हैं। साथ ही समस्याओं को सुलझाने के साथ स्व-प्रबंधन की योग्यता जैसे, सक्रिय रूप से अभ्यास करना, बदलाव करना, तनाव सहने की ताकत और लचीलापन है। रिपोर्ट में बताया गया कि महामारी ने हमारे काम करने और जीने के तरीकों को बदला है और जीवन की कुशलताओं, मानवीय रचनात्मकता तथा प्रतिभा पर भी प्रकाश डाला है। देश के लिए महामारी ने डिजिटल विभाजन को पैना किया है और दिखाया है कि प्रतिभा को बढ़ावा देने और बनाए रखने के लिए निजी संस्थान/भागीदारियां प्राथमिकता बन चुकी हैं। भारत में 993 विश्वविद्यालयों, 39931 कॉलेजों और 10725 स्वतंत्र संस्थानों में 3.74 करोड़ छात्र उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं।

 

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।