इसरो ने अंतरिक्ष में रचा इतिहास

ISRO launches 42nd communication satellite

इसरो ने 3 उपग्रहों के साथ एसएसएलवी-डी2 को शार रेंज से प्रक्षेपित किया

श्रीहरिकोटा (एजेंसी)। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान (इसरो) के पृथ्वी अवलोकन उपग्रह (ईओएस-07) और दो अन्य उपग्रहों को ले जाने वाले लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी-डी2) को शुक्रवार को सतीश धवन अंतरिक्ष केन्द्र के शार रेंज से प्रक्षेपति किया। आज तड़के दो बजकर 48 मिनट पर शुरू हुई साढ़े छह घंटे की उलटी गिनती के बाद एसएसएलवी-डी2 को फस्ट लॉन्च पैड से 9 बजकर 18 मिनट पर प्रक्षेपित किया गया।

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आज सुबह नौ बजकर 18 मिनट पर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के पहले लॉन्च पैड से लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (एसएसएलवी-डी2) के दूसरे संस्करण की सफलतापूर्वक लॉन्चिंग कर दी है। इसरो ने बताया कि नया रॉकेट अपनी 15 मिनट की उड़ान के दौरान तीन उपग्रहों – ईओएस-07, अंतरिस जानूस-1 और स्पेसकिड्ज के आजादीएसएटी-2 को 450 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित करके अपना मिशन पूरा करेगा। इसरो के अध्यक्ष डॉ. एस. सोमनाथ सहित मिशन कंट्रोल सेंटर के सभी वैज्ञानिक उड़ान की गति पर नजर जमाए हुए हैं।

उड़ान के 15 मिनट की अवधि के बाद 119 टन के भार के साथ तीन-चरणों वाला 34 मीटर लंबा एसएसएलवी, 156.3 किलोग्राम ईओएस-07, 10.2 किलोग्राम जानूस-1 और 8.8 किलोग्राम आजादीसैट-2 को कक्षा में स्थापित करेगा। ईओएस-07 मिशन का उद्देश्य सूक्ष्म उपग्रह बस और प्रौद्योगिकियों के साथ पेलोड उपकरणों को डिजाइन और विकसित करना है जो कि भविष्य में उपग्रहों के लिए आवश्यक हैं। नया इओएस-07 इसरो द्वारा डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है। इसरो के नए परीक्षण में एमएम-वेव ह्यूमिडिटी साउंडर और स्पेक्ट्रम मॉनिटरिंग पेलोड शामिल हैं।

इसरो का पिछले साल अगस्त में पहला एसएसएलवी मिशन असफल रहा था और विफलता विश्लेषण समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दूसरे चरण में अलग होने के दौरान कंपन गड़बड़ी के कारण उपग्रहों को सटीक कक्षा में स्थापित नहीं किया जा सका था। इसरो ने समिति की सिफारिशों के आधार पर एसएसएलवी-डी2 में कुछ संरचनात्मक और अन्य परिवर्तन किए हैं।

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