जुबां व कलम में ताकत नहीं जो साईं के गुणगान गा पाऊं

जुबां व कलम में ताकत नहीं जो साईं के गुणगान गा पाऊं,
समुद्रों क़ी सयाही, सारी बनस्पति क़ी कलम व धरती कागज बन जाए तो भी न लिख पाऊं।

इलतज़ा है ये मेरी तेरी चरण धूड को पाऊं,
बन खाक रूलती तेरे चरण कमलों क़ी हो जॉऊँ।

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दीदार तेरे से मिलती आत्मा को अजब खुराक है,
तुझ बिन ए साइयाँ ये जीवन नीरा खाक है।

ए मेरे रहबर साईं तेरा नूरानी दीदार किए बिन आता करार नहीं,
तेरे नूरे जलाल में जो कशिश है,
जादू है उसका कोई जवाब नहीं।

तू ज़ब नज़रे उठाकर देखता है तो दिल की धड़कन बढ जाती है
तू अगर जरा मुस्का दे तो मेरे मौला रूह आत्मा नशियाती है।

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तेरे ये दो नैन अमृत जाम के अद्भुत प्याले हैं
जिन्हें पीने से मस्त हो जाते तेरे चाहने वाले हैं।

ए रहबर तेरे नज़रे करम बिन मेरी शाम नहीं ढलती
तेरी रहमत बिन मेरी एक स्वांस भी नहीं चलती।

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ए मेरे दाता, भाग्य विधाता! तू यूँ ही प्यार लुटाता जा,
हर पल हमारे साथ रहकर रहमतों के सागर बरसाता जा।

बृजेश कुमार इंसान, ब्लॉक प्रेमी सेवक, रुड़की

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