Land registry: जमीन से जुड़ी जानकारी: रजिस्ट्री पर करें लाखों की बचत, जानें कैसे?

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Land registry जमीन से जुड़ी जानकारी: रजिस्ट्री पर करें लाखों की बचत, जानें कैसे?

महिलाओं के नाम होगी प्रॉपर्टी तो मिलेगी छूट

Land registry: अगर आप कोई जमीन खरीदने जा रहे हैं और आपको थोड़ा बहुत भी जमीन खरीदने या जमीन अपने नाम पर करवाने के बारे में नॉलेज नहीं है तो आज हम आपको इसी से संबंधित कुछ जानकारियों साझी करने जा रहे हैं जिससे आप ये जान पाएंगे कि कैसे जमीन की रजिस्ट्री होती है और उसके क्या-क्या नियम होते हैं और आपको करना क्या-क्या पड़ता है। सबसे पहले तो आपको बता दें कि हम जमीन तो खरीद लेते हैं, पैसे भी पूरे प्रॉपर्टी मालिक को दे देते हैं लेकिन क्या आपको पता है जमीन खरीदने के बाद सबसे बड़ा काम क्या होता है।

जमीन खरीदने के बाद सबसे बड़ा काम होता है, जमीन की रजिस्ट्री करवाना। जब तक खरीदी गई जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो जाती तब तक आप उस खरीदी गई जमीन के मालिक नहीं बन सकते। जमीन की रजिस्ट्री कराने के बाद ही आप खरीदी गई जमीन के मालिक कहलाते हैं। इससे भी जरूरी बात आपको बता दें कि जमीन की रजिस्ट्री में जमीन की कीमत का 5 से 7 फीसदी खर्च हो जाता है। जोकि बहुत ज्यादा है। यदि कोई व्यक्ति 50 लाख रुपये की संपत्ति की रजिस्ट्री करवाता है तो उसे ढाई से तीन लाख रुपये जमीन की रजिस्ट्री के नाम पर खर्च करने पड़ते हैं। लेकिन ये पैसा बचाया जा सकता है। उसी का तरीका आज हम आपको बताने जा रहे हैं:- Land registry:

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कई बार यह देखने में आता है कि किसी प्रॉपर्टी की मार्केट वैल्यू कम होती है लेकिन सर्किल रेट ज्यादा। सर्किल रेट अधिक होने पर स्टाम्प शुल्क भी अधिक होगा जबकि बाजार मूल्य पर कम स्टाम्प शुल्क देना होगा। ऐसे में रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार से अपील करके स्टाम्प ड्यूटी पर होने वाले खर्च को बचाया जा सकता है। बता दें कि स्टेट स्टाम्प एक्ट के तहत इसका प्रावधान किया गया है। यदि बाजार मूल्य पर स्टाम्प शुल्क वसूलने के लिए रजिस्ट्रार से अपील की जाती है, तो बिक्री विलेख पंजीकरण होने तक लंबित रहेगा। ऐसे में स्टाम्प ड्यूटी का पैसा बचेगा। Land registry

एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भविष्य में बनने वाली या निमार्णाधीन परियोजनाओं में अविभाजित जमीन की रजिस्ट्री की सुविधा उपलब्ध है, जिसके तहत खरीदार बिल्डर के साथ दो समझौते करता है। वो दो समझौते हैं… एक तो बिक्री समझौता और दूसरा निर्माण समझौता। यहां बिक्री समझौते की बात करें तो बिक्री समझौता संपत्ति के अविभाजित हिस्से के लिए होता है, यानी सामान्य क्षेत्र में खरीदार का हिस्सा। इसमें जमीन की कीमत और जमीन पर निर्माण की लागत शामिल होती है। इसके विपरीत अविभाजित भूमि खरीदना सस्ता होता है क्योंकि निर्मित क्षेत्र के लिए कोई पंजीकरण शुल्क नहीं होता है। Land registry

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि कई राज्यों में स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क में छूट दी गई है बशर्ते, कोई महिला संयुक्त या एकल संपत्ति की खरीद में शामिल हो तो। इन राज्यों में हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश शामिल हैं। दिल्ली सरकार की बात करें तो पुरुष के नाम प्रॉपर्टी पर 6 फीसदी और महिला के नाम पर 4 फीसदी रजिस्ट्रेशन चार्ज देना होता है। इससे आप रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी की रजिस्ट्रेशन पर होने वाले खर्च पर एक साल में 1.5 लाख तक टैक्स बचा सकते हैं। Land registry

बता दें कि प्रॉपर्टी के मामले राज्य के अधीन होते हैं। इसलिए रजिस्ट्री से होने वाली आय पर राज्य का ही अधिकार होता है और हर राज्य का कानून दूसरे राज्य से अलग हो सकता है। इसलिए रजिस्ट्री से पहले एक बार उस राज्य के स्टाम्प एक्ट को जरूर जान लेना चाहिए। कई बार क्या होता है कि राज्य सरकार की ओर से पंजीकरण शुल्क कम कर दिया जाता है। ऐसे में जब पंजीकरण शुल्क में छूट दी जा रही हो तो उसी समय रजिस्ट्री करा लेनी चाहिए। Land registry

यदि संपत्ति किसी खून के रिश्ते में सगे-संबंधी को उपहार में दी जाती है तो महाराष्ट्र, पंजाब और उत्तर प्रदेश में स्टांप शुल्क नहीं लगाया जाता है। इस नियम को ध्यान में रखकर भी आप जमीन के रजिस्ट्रेशन पर होने वाले चार्ज को बचा सकते हैं। जिस व्यक्ति को जमीन के रजिस्ट्रेशन के प्रोसेस के बारे में नहीं मालूम होता है तो उनके लिए बता दें कि जमीन के रजिस्ट्रेशन का स्टेप वाइज स्टेप प्रोसेस होता है। जमीन का रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आपके पास कुछ महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट्स होने चाहिएं जैसे कि आधार कार्ड, पैन कार्ड, नॉन आॅब्जेक्शन सर्टिफिकेट, अलॉटमेंट लेटर, जनरल पावर आॅफ अटार्नी, बैंक डिटेल्स और प्रॉपर्टी टैक्स की नवीनतम रसीद।