मिड-डे-मील वर्कर कर्मचारियों को 12 महीनों का वेतन दिया जाए : मलिक

Midday Meal Scheme
मिड-डे-मील में खाना पकाने वाले कुक व खाना खाते छात्र।

ब्लॉक स्तरीय कमेटी का गठन, सुमन देवी बनी प्रधान

भूना (सच कहूँ न्यूज)। मिड-डे-मील (Midday Meal Scheme) वर्कर कर्मचारी को रिटायर होने पर तीन लाख और निधन होने पर पांच लाख रुपये का अनुदान मिलना चाहिए। यह बात राष्ट्रीय कामगार संघ की जनता धर्मशाला भूना में आयोजित बैठक में संघ के प्रदेश अध्यक्ष इंद्र सिंह मलिक ने कही। बैठक का संचालन प्रांतीय महामंत्री जंग बहादुर यादव ने किया। बैठक में मनरेगा मजदूर, भवन निर्माण, आयुष विभाग, पार्ट टाइम कर्मचारी, मिड डे मील वर्कर एवं कर्मचारियों ने बढ़ चढ़कर भाग लिया।

यह भी पढ़ें:– कैबिनेट मंत्री ने विद्यार्थियों के बीच मेरा टोहाना मैं भी संवारू प्रतियोगिता की शुरूआत

संघ नेताओं ने संबंधित विभागों की मुख्य मांगों पर कर्मचारियों के साथ मिलजुल कर चर्चा की और सरकार को उचित मांगों पर तुरंत समाधान निकालने के लिए मांग उठाई गई। संघ के प्रदेश अध्यक्ष मलिक ने सरकार को भेजने के लिए तैयार किए गए ज्ञापन में मांग रखी गई। इस मौके पर मिड-डे-मील कर्मचारियों की ब्लॉक स्तरीय कमेटी का गठन किया गया। जिसमें सुमन देवी को प्रधान पद के लिए सर्वसम्मति से चुना। जबकि राजबाला जांड़ली को उपप्रधान, कविता देवी को सचिव कौशल्या देवी को कार्यकारिणी सदस्य तथा गुड्डी व दलजीत जांडली कला को सलाहकार बनाया गया।

मिड-डे-मील वर्करों द्वारा मनाया गया सीटू का स्थापना दिवस

फतेहाबाद। मिड डे मील वर्कर यूनियन द्वारा जिलेभर में सीटू का स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया। भट्टू मण्डी में सीटू स्थापना दिवस पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता गीता ढिंगसरा ने की। कार्यक्रम को पुष्पा देवी, भागी, मैना देवी, शर्मिला, कमलेश आदि ने भी संबोधित किया। इससे पूर्व फतेहाबाद ब्लाक की जनरल बॉडी कर सीटू स्थापना दिवस मनाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता पूनम भोडिय़ा ने की। बैठक को सोनू धांगड़, मूर्ति गिलांखेड़ा, बन्सो रजाबाद, इन्द्रो धांगड़ आदि ने भी संबोधित किया।

टोहाना ब्लाक में आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता चन्द्र समैण ने की वहीं संचालक रोशन सिंबलवाला ने की। कार्यक्रम को मिड डे मील (Midday Meal Scheme) वर्कर यूनियन की जिला प्रधान गगनदीप कौर, सीटू नेता मदन सिंह, मिड डे मील यूनियन से सुंदर, अन्तरो ललौदा, अनिता टोहाना, अनिता जमालपुर आदि ने भी संबोधित किया। उन्होंने सभी परियोजना वर्करों से सीटू स्थापना दिवस पर सरकार की जनविरोधी नीतियों पर गंभीरता से विचार करते हुए एकजुट होने का आह्वान किया।

मध्याह्न भोजन योजना का नवीनीकरण

12 वीं योजना के दौरान मध्याह्न भोजन योजना (MDMS) का निम्न प्रकार से सुधार हुआ:

मध्याह्न भोजन योजना का जनजाति, अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक बहुल जिलों के गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में विस्तार प्राथिमक विद्यालयों की परिसरों में स्थित पूर्व-प्राइमरी कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों के लिए भी इस योजना का विस्तार मौजूदा घटकों या स्कूलों के लिए सहायता के तौर तरीकों का संशोधन करना है उत्तर-पूर्वी प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यों के लिए माल वहन सहायता का संशोधन इसकी 75 रुपये प्रति किवंटल की मौजूदा सीमा को बढाकर 150 रूपया प्रति किवंटल की गयी है।

नए स्कूलों के लिए किचन की बर्तन खरीदने और हर पांच साल के बाद किचन के बर्तनो को बदलने के लिए 15000 रुपये प्रति स्कूल की दर से केन्द्रीय सहायता की पद्धति का संशोधन सहायता की यह राशि केंद्र और राज्यों के बीच 60:40 के अनुपात से और उत्तर – पूर्वी प्रदेश के राज्यों को 90:10 के अनुपात से वहन की जाएगी राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन और मध्याह्न भोजन योजना का एकीकरण

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थय मिशन के साथ समन्वय के उद्देश्य से सभी राज्यों के शिक्षा विभागों को अवगत किया है।

राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम केंद्र सरकार की नई पहल है, जिसका उद्देश्य जन्म से 18 वर्ष की आयु के बच्चों की स्वास्थ्य जाँच और पोषण का प्रबंध करना है।

इसके तहत बच्चों के जन्म के समय की त्रुटियाँ, बीमारियाँ और बच्चों के विकास में देरी सहित विकलांगता का प्रबंध करना भी शामिल है।

मिड डे मील योजना में सुधार | (Midday Meal Scheme)

देशभर में राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों में मिड डे मील योजना के अंतर्गत 25.7 लाख रसोइया सहायकों को काम दिया गया। इन सहायकों को इस कार्य के लिए दिए गए मानदेय को संशोधित कर 01 दिसंबर 2009 से 01 हजार रुपये प्रति माह कर दिया गया । वर्तमान में उत्तर प्रदेश में 1500 रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाता है तथा साल में कम से कम 10 महीने कार्य दिया गया।

मध्याह्न भोजन योजना स्कूल में भोजन उपलब्ध कराने एवं बच्चों के समुचित पोषण देने का सबसे अच्छी योजना है। जिसके अंतर्गत रोजाना सरकारी सहायता प्राप्त 11.75 लाख से अधिक स्कूलों के 10.8 करोड़ बच्चे शामिल हैं।