ऐसा रेलवे ज्ञान जो जला देगा आपके दिमाग की बत्ती

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Railway Knowledge ऐसा रेलवे ज्ञान जो जला देगा आपके दिमाग की बत्ती

रेलवे के नाम के साथ क्यों लिखा होता है पी.एच. (P.H.), जानें लॉजिक

Meaning of PH in Railway Station Name: सच कहूँ आपको समय-समय पर ऐसी-ऐसी जानकारियां जुटाता रहता है, जिसके बारे में ज्यादातर पाठकों को नहीं पता होता है। इसके पीछे सच कहूँ का केवल एक ही मकसद है कि पाठकों का ज्यादा से ज्यादा ज्ञान बढ़े। आज एक ऐसी ही जानकारी आपके सामने व्यक्त की जा रही है जिसके बारे में शायद ही पाठकों को जानकारी हो। Railway Knowledge

आपने ट्रेनों की सवारी तो कई बार की होगी और उसके लिए आप रेलवे स्टेशनों पर भी गए होगे। ज्यादातर लोगों का क्या होता है कि स्टेशनों पर गए, टिकट ली और अपनी संबंधित गाड़ी में बैठकर अपने गंतव्य की ओर चल दिए, बस। उनको स्टेशनों पर क्या लिखा है, क्यों लिखा है। इससे कोई लेना-देना नहीं होता। Railway Knowledge

आज हम आपकी जानकारी के लिए आपको बताने जा रहे हैं कि कुछ स्टेशनों पर जगह के नाम के साथ जंक्शन और कुछ स्टेशनों के नाम के साथ सेंट्रल या टर्मिनल लिखा होता है। लेकिन कुछेक ऐसे स्टेशनों के नाम पर आपका ध्यान गया होगा या ऐसे स्टेशन भी देखें होंगे, जिनके नाम के साथ पी.एच. (P.H.) भी लिखा होता है। इसका क्या मतलब होता है। बहुत से लोगों को तो इससे कुछ मतलब नहीं होता और कुछ लोग इसका मतलब जानने के उत्सुक भी हुए होंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जिन स्टेशनों पर पी.एच. (P.H.) लिखा होता है उन स्टेशनों पर सिर्फ पैसेंजर गाड़ियां ही रुकती है अर्थात पी.एच. (P.H.) का मतलब है कि ‘पैसेंजर्स हाल्ट’ यानि इस स्टेशन पर केवल पैसेंजर गाड़ियां ही रुकेंगी। Railway Knowledge

पी.एच. (P.H.) लिखने का मतलब भी बहुत ही खास होता है। खास इसलिए कि जिन स्टेशनों पर नाम के साथ पी.एच. (P.H.) लिखा होता है उन स्टेशनों पर रेलवे का कोई अधिकारी या कर्मचारी नियुक्त नहीं होता है। ‘पैसेंजर्स हाल्ट’ पी से पैसेंजर्स और एच से हाल्ट। बता दें कि ये स्टेशन क्लास डी से संबंधित होते हैं। इन स्टेशनों पर गाड़ियों को रुकने का संकेत देने के लिए कोई सिग्नल भी नहीं लगा होता है। Railway Knowledge

यहां केवल पैसेंजर्स गाड़ियां ही रुकती हैं। अब आपके दिमाग में ये प्रश्न घर कर रहा होगा कि बिना सिग्नल के गाड़ियां कैसे रुकती होंगी। इसके लिए आपको बता रहे हैं कि लोको पायलट को इन स्टेशनों पर अमूमल 2 मिनट के लगभग रुकने का निर्देश होता है। वे अपनी बुद्धि और विवेक के अनुसार इन स्टेशनों पर गाड़ियां रोकते हैं और फिर समय अनुसार आगे बढ़ जाते हैं। एक बात और कि जब कोई स्टाफ वगैरह नहीं होता है तो यात्रियों को टिकट कौन देता है। तो बता दें कि ऐसे स्टेशनों पर टिकट बेचने के लिए रेलवे किसी स्थानीय व्यक्ति को नियुक्त कर देता है जिसे कॉन्ट्रैक्ट बेस पर या कमीशन के आधार पर रखा जाता है। Railway Knowledge

आपको बता दें कि आजकल ये स्टेशन खत्म होते जा रहे हैं क्योंकि आजकल टैक्निकल युग है और ऐसे रेलवे स्टेशनों से रेलवे को कोई खास रेवेन्यू भी नहीं मिल रहा है। इसलिए रेलवे विभाग इस ओर ध्यान भी नहीं देता है। ऐसे कुछेक स्टेशनों को ग्रामीणों की मांग पर चालू किया जाता है। लेकिन इससे पहले 6 महीने तक ट्रायल चलता है। अगर टिकटों की बिक्री अच्छी होती है और आशा अनुरूप रेलवे को कमाई हो जाती है तो फिर वह इन स्टेशनों पर काउंटर, प्लेटफॉर्म या फुट ओवरब्रिज की सुविधाएं स्टेशनों पर मुहैया करा देता है। Railway Knowledge

अब एक अन्य जानकारी, जिसके बारे में आपको शायद ही पता हो कि रेलवे स्टेशन का नाम पीले रंग के बोर्ड पर ही क्यों लिखा होता है? क्या आपके दिमाग में भी ये प्रश्न कभी आया? क्या आपने कभी सोचा कि हमारे देश में हजारों रेलवे स्टेशन हैं, लेकिन सभी रेलवे स्टेशनों पर उनके नाम पीले बोर्ड पर ही क्यों लिखे होते हैं? आपने अगर कभी गौर किया होगा कि रेलवे स्टेशनों के नाम हमेशा पीले साइन बोर्ड पर काले रंग से ही लिखे होते हैं। इसके अलावा रेलवे स्टेशन पर मौजूद दूसरे निर्देश भी ज्यादातर पीले रंग के बोर्ड पर लिखे जाते हैं। लेकिन क्या कभी आपने इसके पीछे के कारणों का जानना चाहा। Railway Knowledge

आइये आज हम आपको इस बारे में भी बताते चलें। भारतीय रेलवे में 7,000 से अधिक बड़े-छोटे रेलवे स्टेशन हैं और सभी स्टेशनों पर लगे बोर्डों का रंग काला, नीला या लाल न होकर पीला ही होता है। इसके पीछे एक लॉजिक है जोकि साइंस पर आधारित है। एक बात तो यह कि सभी जगह एक जैसा रंग रखने का मतलब है कि एकरूपता दिखे। दूसरा, अलग-अलग रंग होने पर ट्रेन के ड्राइवर को उसे पहचानने में कोई परेशानी ना हो, इसलिए पीला रंग ही चुना गया है। पीले रंग के चुनाव के पीछे का कारण ये भी है कि ये रंग दूर से ही चमकता है और आंखों में चुभता नहीं है।

इस वजह से ट्रेन के लोको पायलट को ये दूर से ही नजर आ जाता है। दिन और रात दोनों ही समय यह चमकदार पीला रंग काफी स्पष्ट रूप से दिखता है। इससे ट्रेन के लोको पायलट को सही प्लेटफार्म पर रुकने की जगह की जानकारी के साथ-साथ ट्रेन को खड़ा करने की जानकारी भी मिल जाती है। अगर इसका वैज्ञानिक कारण देखें तो पीले रंग के वेवलैंथ 570 से 590 नैनोमीटर होती है। पीले रंग का लेटरल पैरिफेरल विजन लाल रंग से 1.24 गुना अधिक होता है। ऐसे में यह रंग दूर से ही नजर आता है। Railway Knowledge