सलाबतपुरा पावन एमएसजी भंडारे पर पूज्य गुरु जी ने किए वचन…

सच्चे दाता रहबर ने समाज का भला करने की शिक्षा दी : पूज्य गुरु जी

सलाबतपुरा/बरनावा। (सच कहूँ न्यूज) पावन एमएसजी भंडारे के अवसर पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने ‘‘जन्म दिन साईं यार दा, नी मैं मोर वांग, हाय मोर वांग, नी मैं मोर वांग नचदी फिरां…’’ भजन सुनाया। तत्पश्चात पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि परमपिता शाह सतनाम जी दाता, रहबर का आज अवतार दिवस आप मना रहे हो और उनकी शिक्षा बहुत ही महान है। सच्चे दाता रहबर ने सबसे बड़ी शिक्षा जो दी है कि समाज, प्रकृति, जितनी भी रब्ब ने सजाई है, बणाई है, उसमें कोई भी दुखी नजर आए तो हमारे जो भक्तजन हैं, जिनको प्रेमी शब्द भी दिया परमपिता परमात्मा, सतगुरु दाता ने, कि वो प्रेमी जाकर उन दीन-दुखियों की मदद करो।

यानि सच्चा सौदा का सबसे बड़ा संदेश यही है कि सर्वधर्म के साथ, सर्वजात-पात से ऊँचे उठकर बेग़र्ज प्यार करना चाहिए। इतनी बड़ी शिक्षा परमपिता, सच्चे, दाता रहबर ने दी और बड़ी खुशी होती है, जब करोड़ों साध-संगत उसे फॉलो कर रही है। सरसा में भंडारा मनाया गया और साध-संगत और पूरे समाज ने देखा है, उससे एक दिन पहले साध-संगत ने जो हरियाणा में सफाई महा अभियान किया। पर हमसे पहले ही हमसे कहा कि आपको तोहफा देना है, आप हमारे सफाई अभियान को शुरू करवाएं और फिर पाँच घंटे में पूरा हरियाणा साफ कर दिया। समाज के लिए इससे बड़ी चीज और क्या हो सकती है। पर कोई मान-बड़ाई के भूखे नहीं, सिर्फ ये जरूरी है कि वो संदेश उन लोगों तक भी पहुंचे जो लोग अपने घर और घर के बाहर कूड़ा-कर्कट देखते हैं और उसे कुचलते हुए निकल जाते हैं।

हमारे बच्चे सफाई करते हुए ये संदेश भी देते हैं कि भाई जी फार्म भर दो कि आगे से गंदगी नहीं फैलाएंगे, और बड़ा अच्छा लगा कि लाखों ने वो फार्म भरा। सफाई अभियान ही नहीं करवाते, बल्कि वहां के लोगों को जागृत भी किया जाता है कि आगे से आप कूड़ा-कर्कट सड़क या गली में ना फेंकें। मान लो सर्दी का मौसम है, छोटी सी बात है, आप मूंगफली खाते हो, ये सर्दी का एक बहुत बढ़िया मेवा भी है, पर वो खाकर छिलके अपने चारों और फेंक देते हो, क्या आपको नहीं लगता कि ये कितना अजीब काम कर रहे हो, लिफाफा ही लेना है, अखबार का कोई पुराना टुकड़ा ले लो, खाये जाओ और छिलके उसके अंदर डालते रहो और इकट्ठे करके डस्टबीन में डाल दो, इतना ही काम करना है। अन्यथा वो कूड़े के ढेर लग जाते हैं।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि ये शिक्षा परमपिता परमात्मा, शाह सतनाम जी दाता रहबर ने हमारे ख्याल में दी, वो ही करवा रहे हैं और वो ही करवाएंगे। तो साध-संगत ने क्या गजब किया है, हम फिर से उस पूरी साध-संगत को, जिन्होंने वो सफाई महा अभियान चलाया और नशा छुड़वाया। हैरानीजनक बात है कि लगभग 17 से 20 एकड़ में लोग नशा छोड़ने वाले बैठे हुए थे, लगभग दो लाख 72 हजार 462 लोगों ने नशा छोड़ा था। सिर्फ पाँच-सात घंटे हम बैठे रहे, चाहते तो जाते ही बता सकते थे, लेकिन उनको पूरा पता चले ये समय इसलिए लिया। तो उन सभी को हम सेल्यूट करते हैं, जिन्होंने सफाई महा अभियान और नशा छुड़वाने में उस वक्त हिम्मत की और आज भी हिम्मत की, परमपिता परमात्मा आपकी झोलियां मालामाल करे, घरों में बरकतें दे, अंदर-बाहर से खुशियों से लबरेज करे।

इस तरह का काम करने के लिए प्रेरणादायक रास्ता चुना सार्इं शाह मस्ताना जी दाता रहबर ने, जिसका नाम रखा गया सच्चा सौदा। और ये आपको यकीन के साथ कहते हैं और हम भी वायदा करते हैं, आप भी करना अगर आपको अच्छा लगे तो, कि सच्चा सौदा सच पर चलता आया है और हमेशा सच पर ही चलता रहेगा, हम भी वायदा करते हैं, जितनी देर शरीर में आखिरी रक्त की बूंद हैं, सांस है, सच का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे। परमपिता परमात्मा, अल्लाह, वाहेगुरु का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे, उसकी याद में हमेशा लगे रहेंगे और उसकी औलाद के लिए हर वो भला काम करेंगे, जो समाज में जरूरी है।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि हमारा जिंदगी का मकसद समाज का भला करना है। सभी धर्मों का सत्कार करते हैं, किसी भी धर्म के बारे में एक शब्द भी गलत बोलने की कल्पना नहीं कर सकते। 1948 से लेकर आज तक कोई भी हमें बताए कि हमने किस धर्म या किस जात की निंदा की है, वैसे बातें बनाने को जो मर्जी बनाते रहो, वो एक अलग चीज है। पर हमारे सत्संग सुन लो, उस वक्त से लेकर अब तक रिकॉर्डिड हैं। कहीं भी, किसी भी धर्म को हम बुरा नहीं कहते, क्योंकि सभी धर्मों में एक ही शिक्षा है, जो हमारे पवित्र वेदों में शिक्षा दी गई थी, क्योंकि वो पहले बने हैं, उसके बाद आए जितने भी धर्म हैं, समान शिक्षा दी गई है, यानि सबकी सांझी शिक्षा है कि परमपिता परमात्मा को याद करो और हक हलाल, दसां नहुआं दी किरत करके खाओ, मेहनत करो और कर्म योगी बनो, ज्ञान योगी बनो।

सभी धर्मों की ये शिक्षा है। लागू करते हैं धर्मों में, जरूर करते होंगे, पर हमें गिनती का नहीं पता। हाँ, जो बच्चे हमारे इन्सानियत का पहरा दे रहे हैं उनका हमें जरूर पता है, छह करोड़ से ऊपर हमारे बच्चे उस इन्सानियत की संभाल कर रहे हैं, प्रकृति की संभाल कर रहे हैं। शाबाश बच्चो! और शाबाश वो परमपिता परमात्मा शाह सतनाम, शाह मस्तान दाता रहबर, जिन्होंने ये रास्ता दिखाया। आज जो चलवा रहे हैं और हमेशा चलाते रहेंगे, ये उनका रहमोकरम है।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कई बार, क्योंकि गाड़ियों में हमने सफर बहुत किया है, पूरे देश में सत्संगें की हैं, एक-दो राज्यों को छोड़कर, तो ज्यादा गाड़ियों में ही जाते होते थे। तो कई बार कोई ट्रक वाला मिल जाता, उसके पीछे लिखा होता था, सड़ ना रीस कर रीस, बड़ा अच्छा लगता था वो शब्द, पर ये नहीं पता वो कहां-कहां फिट हो जाता है। सो सभी धर्मों की रीस करो, जो हमारे हिन्दु महापुरुषों ने, सिक्ख गुरु साहिबानों ने, पैगम्बरों ने, जो हमें बताया है, हम उसके अनुसार चलें, ये है रीस करना, स्वाद आ जाए, हम आपको लिखकर गारंटी देने के लिए तैयार हैं, आज इस मिनट में आप अपने-अपने धर्म को मानने लग जाओ, कहीं ठगी नहीं रहनी, कहीं नशा नहीं रहना, कहीं माँस खाने की जरूरत नहीं पड़नी, कहीं वैश्यावृत्ति नहीं होनी, कोई बुरा काम नहीं होना, यदि मानने लग जाओ तो। इस मिनट मानने का प्रण कर लो, अगले मिनट इस धरती पर स्वर्ग बन जाना है भक्तो, पर बात है मानने की।

आम शख्स कहता है कि मैं तो धर्म को मानता हूँ पर धर्म की नहीं मानता। हम अपने बच्चों की बात करते हैं कि ये भी कहते होंगे कि हाँ, जी हम तो गुरु जी को मानते हैं। तो ये बच्चे तो गुरु की भी मानते हैं बहुत ज्यादा। क्या हमारे धर्मों में नहीं लिखा कि हमें सभी का भला मांगना चाहिए? क्या ये हमारे धर्मों में नहीं लिखा कि किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए? हमने सभी धर्मों को बड़े सत्कार के साथ पढ़ा हुआ है, सत्कार के साथ सुना हुआ है। हमारे सभी धर्मों में परनिंदा यानि अपने आप को छोड़कर दूसरे की निंदा करने वालों के लिए इतनी बड़ी बाणी लिखी हुई है, कभी पढ़ी है वो बाणी, जो पढ़ी है तो भक्तो चुगली-निंदा ना किया करो, किसी को बुरा ना कहा करो।

कबीर जी की बाणी है कि कबीरा सबते हम बुरे, हम तज भला सब कोय, जिन ऐसा कर मानेया, मीत हमारा सोय। पंजाबी में कहते हैं कि ‘कदे मंजे थल्ले भी डंडा घुमा लेया करो’। सोच लो, अपने आप बारे सोचो कि मैं अगर किसी की निंदा करता हूँ, क्या मेरे अंदर अवगुण नहीं, अगर है तो पहले भक्त अपने तो संवार ले। जरा सी किसी को कोई बात कह दो आज, टाइम ऐसा है, कई तो ऐसी चीजें भी हैं आज के समाज में, पहले एक कहावत थी कि ‘फंग दी डार बण जांदी है’, आज तो वो फंग भी नहीं होता फिर भी डार बनती जाती है। लोग बिना वजह चुगलियां करते रहते हैं, निंदा करते रहते हैं। हमें एक बार जरूर बता देना भक्तजनो, जितने भी सामने हमारे भक्त बैठे हैं, सारे धर्मों के बैठे हैं और धर्मों को पढ़ते भी हैं और सुनते भी हैं, सज्जनों कभी सुना है आपने कि हमारा कोई भी धर्म कहता हो कि दूसरों की निंदा किया करो, दूसरों को बुरा कहा करो, नशा किया करो, दूसरों का दिल दुखाया करो, क्या आपने सुना है किसी धर्म में लिखा हुआ।

सज्जनों फिर ये सोचने वाली बात है कि अगर आप बैठकर निंदा करते हो, जो किसी को बुरा कह रहे हो, हमें जरूर दिखा दो, हम हाथ जोड़कर विनती करते हैं कि आप किस धर्म के नुमाइंदे हो, किस धर्म के आप बंदे हो। ऐसा तो किसी धर्म में लिखा ही नहीं। हमारा फर्ज, हमारे धर्म कहते हैं कि इन्सानियत की सेवा करो, प्रकृति की सेवा करो और भला करो किसी गिरे हुए को उठाने का, भला करो किसी मरते हुए को पानी पिलाकर बचाने का, भला करो आज के वक्त में बह रहे नशे के समुन्द्र को रोकने का, ताकि वो माएं आपको दुआएं दें, जिनके बच्चे छोटी सी उम्र में मौत के मुंह में जा रहे हैं, नशे के कारण। ये तो हमने धर्मों में पढ़ा है, भला करने के बारे में। सभी धर्मों में ये बड़ी बढ़िया शिक्षा दी हुई है, सफाई तक का लिखा हुआ है कि वातावरण अगर शुद्ध रहेगा तो वहां ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु की याद आती है।

अगर वातावरण में गंदगी घुलती है तो वहां कभी भी खुशबू नहीं आती, ख्याल भी अच्छे नहीं आते। इसलिए जरूरी है कि अपने घर को तो साफ रखा ही करो। हो सके तो आपके घर के बाहर से निकलने वाली थोड़ी सी सड़क को भी साफ रख लिया करो। सोचो तो सही, सभी ऐसा करने लग गए तो पूरा गाँव साफ हो जाएगा और पूरा शहर साफ हो जाया करेगा। जोर लगाना ही नहीं पड़ना। सो कर्म के साथ धर्म को मानकर देखो भक्तो, कर्म जो हमारे धर्म हमें कह रहे हैं, उस तरह का हम कर्म करें। हमारे धर्मों के पाक पवित्र श्लोक हैं, शब्द हैं, वचन हैं, लिखा हुआ है कि जो आपस में बेगर्ज प्यार करते हैं, वो ही परमात्मा को पा सकते हैं, ‘‘जिन प्रेम कियो तिन ही प्रभु पायो’’ पाक पवित्र गुरबाणी के श्लोक ले लो, शेख फरीद जी, कबीर साहब जी की बाणी ले लो, उनके पवित्र ग्रन्थ देख लो, रविदास जी, धन्ना भक्त, कितने संत, पीर-पैगम्बर हुए हैं, सभी के पैगम्बर मोहम्मद साहब हैं, हमने उन सभी का निचोड़ निकाला। पवित्र कुरान शरीफ के अंदर समान शिक्षा है, ऊँचा मत बोलो, लड़ाई ना करो, झगड़े नहीं करने, नशे नहीं करने, ये चीजें उन्होंने भी कह रखी हैं।

सो सभी धर्मों के संत, पीर-पैगम्बरों ने हमारे लिए अपनी पूरी-पूरी जिंदगी कुर्बान करके हमारा मार्गदर्शन करने के लिए हमारे लिए बहुत बड़ी बाणी लिखी हुई है। पवित्र बाणी, गुरबाणी कह लो, पवित्र बाणी कह लो और उस बाणी को सिक्ख धर्म के अंदर श्री गुरुग्रंथ साहिब जी को गुरु रूप में माना जाता है। तो देखो पढ़कर कि हमें हमारा गुरु क्या कहता है, देखो पढ़कर पाक पवित्र कुरान शरीफ क्या कहती है, देखो पढ़कर पवित्र वेद हमें क्या कहते हैं, देखो पढ़कर पवित्र बाइबल हमें किस रास्ते की ओर लेकर जाती है और हम किस रास्ते की ओर जा रहे हैं। आज जरूरत है इन चीजों की। और एक बात और भी हम आपको कहना चाहते हैं कि जिस भी धर्म में आप रह रहे हो उसी में रहो, धर्म बदलने से रब्ब जल्दी नहीं मिलेगा। जिस तरह कहा जाता है कि ये सौदा लेना है, ये दुकान अच्छी नहीं तो अपने दूसरी से ले लेते हैं।

रब्ब वाला सौदा तो सभी धर्मों में एक जैसा है भक्तो, यदि जुबान के साथ और ख्यालों से याद नहीं करोगे तो कुछ मिलने वाला नहीं और याद कर लोगे तो कुछ छिपने वाला नहीं है, सब कुछ ले सकते हो, सब कुछ पा सकते हो। हम तो यही संदेश हमेशा आपको देते हैं कि आपस में प्यार करना है, बेग़र्ज, नि:स्वार्थ भावना का। परमपिता परमात्मा की औलाद का भला करना है। सो उस सतगुरु, शाह सतनाम, शाह मस्तान दाता रहबर का अरबों बार शुक्राना करते हैं, धन्यवाद करते हैं, जिन्होंने हमारी ड्यूटी लगाई, हमारे से काम ले रहे हैं कि हम समाज का भला कर सकें और धन्य हमारे वो बच्चे हैं जो हमारी बात मानकर मानवता भलाई के सभी कार्य करते हैं।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आज हम बताना चाहते हैं कि चाहे हमने पहले की जिंदगी गुजारी राजस्थान में, उस नगर में जाकर पूछ लो और चाहे हमारे बच्चों से पूछ लो कभी भी किसी को भी एक भी बुरा कर्म करने को कहा हो तो हम अपनी गर्दन कटवा देंगे। इससे बड़ी कसम हम नहीं दे सकते। सच के दरबार में बोल रहे हैं, शाह सतनाम, शाह मस्तान के दरबार में। हम सफाई नहीं दे रहे, हम बताना चाहते हैं कि हमारा करेक्टर क्या है। हम बताना चाहते हैं कि हम सत्कार करने वाले हैं, इज्जत करने वाले हैं, किसी का सपने में भी बुरा नहीं सोच सकते।

बहुत बार हमसे पूछा गया कि नहीं जी, आपने किसी को कहा होगा। हमने कहा कि हम किसी को कहते हैं तो मानवता भलाई के काम करने के लिए। कहते हैं तो सत्कार करने के लिए और आज भी कह रहे हैं कि कहीं भी पाक-पवित्र धर्म का स्थान होता है, जरूर सजदा कर लिया करो, जरूरी नहीं कि लेटकर करना है, दिल से कर लिया करो, थोड़ा सा सिर झुका लिया करो, क्योंकि परमात्मा कण-कण में है, हो सकता है वहां खड़ा आपको देख रहा हो और तुम्हें आशीर्वाद के साथ मालामाल करके पता नहीं कौन सी खुशी बख्श दे।

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कोई नई बात नहीं है जब-जब किसी ने भी बुराई छुड़वानी चाही, इतिहास पढ़कर देख सकते हो आप, उसी वक्त समाज थोड़ा औखा होना शुरू हो जाता है, खास करके वो दुकानदार, छोटे तो बेचारे कुछ नहीं कहते, जो उनके बड़े-बड़े हैड होते हैं, आप हिसाब लगा लो हम नशा छुड़वा रहे हैं, जो ज्यादा बुड़कता (उछलता) है, वो तो एक ही हो सकता है, जिसकी दुकानदारी बंद हो रही है। बाकी नुकसान तो हम किसी का कर नहीं रहे। पूरे समाज का भला कर रहे हैं कि नशा छोड़ना है। और ये वाहेगुरु, अल्लाह, वाहेगुरु, राम करवा रहा है।

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