राइट टू रिकॉल, ई-टेंडरिंग के विरोध में सरपंचों का धरना रहा तीसरे दिन भी जारी

हिसार (सच कहूँ न्यूज)। राइट टू रिकॉल एवं ई-टेंडरिंग के विरोध में आंदोलनरत सरपंचों का धरना आज तीसरे दिन भी हिसार के खंड विकास कार्यालय के समक्ष जारी रहा। सरपंचों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और कहा कि पहले दो साल चुनाव देरी से करवाना और अब सरपंचों के अधिकारों पर कैंची चलाकर सरकार पंचायती राज संस्थाओं को कमजोर करना चाहती है, जिसे सहन नहीं किया जाएगा।

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क्या है मामला

धरने के तीसरे दिन की अध्यक्षता हिसार सरपंच एसोसिएशन के कोषाध्यक्ष एवं प्रधान आजाद सिंह हिंदुस्तानी और सरपंच एसोसिएशन हिसार-1 ब्लॉक गंगवा सरपंच भगवान दास ने की। इस अवसर पर दोनों नेताओं ने कहा कि ग्राम पंचायत को गांव की सरकार माना गया है। पंचायत के चुनाव भी विधानसभा चुनाव की तरह होता है और विधानसभा चुनाव के बाद सरकार गठन के बाद राज्य सरकार को जो अधिकार मिले हैं, उसी तर्ज पर छोटी सरकार को भी अधिकार मिले हैं। दुखद बात यह है कि बड़ी सरकार अपने अधिकार तो सलामत रखना चाहती है लेकिन छोटी सरकार के अधिकारों पर कैंची चला रही है, जो सहन योग्य नहीं है।

उन्होंने कहा कि यदि ई-टेंडरिंग ज्यादा फायदेमंद है तो दो साल पहले जब गांवों का काम सरकार के अधीन आया, तब सरकार सारे काम ई-टेंडरिंग से करवाकर इसका प्रयोग कर लेती लेकिन तब अपने चहेतों को ठेके देने व लाभ पहुंचाने के लिए लाखों के काम टुकड़ों में मैनुअल तरीके से करवाए गए और गांवों में छोटी सरकार का गठन होते ही सरकार ई-टेंडरिंग ले आई।

सरपंचों का ऐलान

सरपंचों ने ऐलान किया कि जब तक सरकार ई टेंडरिंग व राइट टू रिकॉल जैसे मनमाने फैसले वापिस नहीं लेती और पंचायत एक्ट 1994 के तहत सभी अधिकार देने व सरपंच की पावर की कोई लिमिट हटाने की मांग नहीं मानती तब तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। फतेहाबाद में भी आंदोलन का असर देखने को मिला। बुधवार को सरपंच एसोसिएशन गठित कर बीडीपीओ कार्यालय पर ताला जड़ दिया गया। सरपंचों ने साथ ही धरना भी दिया।

तीस के करीब सरपंच बुधवार को बीडीपीओ कार्यालय पहुंचे। यहां पहले सरपंच एसोसिएशन की कार्यकारिणी गठित की गई, फिर तालाबंदी हुई। कांग्रेस के रतिया से पूर्व विधायक जरनैल सिंह ने रतिया और नागपुर में पहुंचकर सरपंचों के धरने को अपना समर्थन दिया। पूर्व विधायक ने आरोेप लगाया कि सरकार नवनियुक्त सरपंचों के साथ खिलवाड़ कर रही है और मांग की कि सरपंचों को पहले की तरह गांव में काम कराने के अधिकार दिये जाएं।

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