रूहानी यादें: 12 मार्च 1993 को पिपली में सत्संग सुनने को उमड़ पड़ा था हुजूम

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सेवादार बोले, यूं लगता है जैसे 29 साल नहीं सिर्फ 29 दिन पहले की ही बात हो

  • पिपली की नई अनाज मंडी को सत्संग के लिए सजाया गया था दुल्हन के जैसा
  • पहुंची थी लाखों की तादाद में साध संगत, 5369 ने ली थी नाम की अनमोल दात

कुरुक्षेत्र(सच कहूँ, देवीलाल बारना)। संत जहां भी होत हैं, सब की मांगत खैर…। संतो के चरण जहां भी पड़ते हैं, वहां रहने वाले सभी जीवों का उद्धार हो जाता है। इसी प्रकार पूज्य गुरु संत डा. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 12 मार्च 1993 को कुरुक्षेत्र जिले के पिपली में सत्संग फरमा कर लाखों जीवों को निहाल किया व 5369 नए जीवों को नाम की अनमोल दात बख्शी। सत्संग को लेकर स्थानीय लोगों व आस-पास क्षेत्र के लोगों में भारी उत्साह देखा जा रहा था। प्रत्यक्षदर्शियों का मानना है कि जैसे ही पिपली में सत्संग होने की घोषणा हुई कि पिपली की नई अनाज मंडी में सत्संग का आयोजन होगा तो सफाई करनी शुरू कर दी गई। सत्संग स्थल को तो दुल्हन की तरह सजाया ही गया साथ ही पिपली में एंट्री करने वाली सभी सड़कों को भी चकाचक कर दिया गया। इस बारे में जब प्रत्यक्षदर्शियों से बात की गई तो उन्होने उत्साहित होकर सत्संग के दृश्य को प्रस्तुत किया।

लाखों लोग हुए थे सत्संग सुनकर निहाल : रोहताश

गांव पलवल निवासी रोहताश सत्संग के क्षणों को महसूस करते हुए कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि पिपली में पूज्य गुरु जी ने 29 वर्ष पहले नही बल्कि 29 दिन पहले ही सत्संग फरमाया हो। सत्संग में लाखों की संख्या में साध संगत पहुंची थी। दूर दराज से साध संगत ट्रेक्टर-ट्रालियों व रोडवेज की बसों में सत्संग सुनने के लिए पहुंची थी वहीं आस-पास के गांव से हजारों की संख्या में पैदल व साईकिलों पर सवार होकर सत्संग सुनने के लिए लोग पहुंचे थे। उसी वक्त से इस क्षेत्र में राम नाम से लोग जुड़े हुए हैं व पूज्य गुरु जी की शिक्षाओं पर चलते हुए मानवता हित के कार्य कर रहे हैं।

सफाई व्यवस्था देख दंग रह गया था हर कोई : ईश्वर

गांव किशनपुरा के बुजुर्ग ईश्वर ने बताया कि पिपली में नई अनाज मंडी शुरू नही हुई थी और मंडी में कंकरीट के अलावा मलबे के ढेर पडे थे। साध संगत को जैसे ही सत्संग होने का समाचार मिला तो सेवादार मंडी की सफाई में जुट गए और कुछ ही दिनों में सत्संग स्थल को चकाचक कर दिया। इतनी जल्दी में इतनी बडी अनाज मंडी की सफाई होने से आमजन भी दांतों तले उंगली दबा गए थे कि ऐसे भी सफाई अभियान चलता है क्या?

अपनी पत्नी के संग पहुंचे थे सत्संग सुनने : राजकुमार

पिपली के ब्लॉक भंगीदास राजकुमार मैहता ने सत्संग के पलों को महसूस करते हुए कहा कि वे उसकी पत्नी शकुन इन्सां के साथ सत्संग सुनने के लिए पहुंचे थे क्योंकि उसकी पत्नी ने पहले ही नामदान ले लिया था। पिपली में गुरु जी के मुख से सत्संग सुनकर वे बहुत प्रभावित हुए। हालांकि वे पिपली में नाम की दीक्षा लेने से चूक गए लेकिन इसके कुछ समय बाद गुरु जी ने शाहबाद में सत्संग किया तो उन्होने वहां से नाम की अनमाल दात ग्रहण की।

साध संगत में गजब का उत्साह था: केवल

सेक्टर-5 निवासी सेवादार केवल सिंह ने बताया कि जब पिपली में सत्संग होने के बारे में साध संगत को पता चला तो साध संगत में गजब का उत्साह देखा जा रहा था। सत्संग पंड़ाल के अलावा सड़कों को झंडिय़ों से सजाया गया था और लाखों की तादाद में साध संगत सत्संग में पहुंची थी।

सत्संग की मिट्ठी यादों को कभी भुलाया नही जा सकता : राजेश

प्रत्यक्षदर्शी राजेश अग्रवाल ने कहा कि पिपली में हुए सत्संग की यादें बहुत मिट्ठी रही हैं, जिसे कभी भुलाया नही जा सकता। उस वक्त वे नीजि कंपनी में नौकरी करते थे। ऐसे में वे रात्रि को ड्यूटी देते थे और दिन में सेवा कार्य करते थे। सत्संग से कई दिन पहले ही साध संगत तैयारियों में जुट गई थी। पूरे क्षेत्र को रंग-बिरंगी झंडिय़ों से सजाया गया था।

जैसे कल की ही बात हो : कीमती लाल

सेवादार कीमती लाल ने कहा कि पिपली में पूज्य गुरु जी द्वारा फरमाए गए सत्संग की यादें आज भी ताजा हैं, ऐसा प्रतीत होता है जैसे कल की ही बात हो। सत्संग से कई दिन पहले सेवा कार्य शुरू हो गया था। हालांकि उस वक्त आज के समय इतनी मशीनरी नही थी लेकिन इसके बावजूद सेवादारों ने मशीनों से भी बढकर सेवा कार्य किया व अनाज मंडी को सत्संग के दिन तक दुल्हन की तरह सजा दिया गया था।

हजारों जीवों को बख्शी थी नाम की दात : कमलेश

उमरी ब्लॉक के गांव खासपुर निवासी कमलेश इन्सां ने कहा कि पूज्य गुरु जी द्वारा पिपली में फरमाए गए सत्संग की यादें आज भी ताजा हैं। पूज्य गुरु जी ने हजारों जीवों का पार उतारा सत्संग में किया था। पिपली में हुए सत्संग में हजारों जीवों ने नाम की अनमाल दात ली थी।

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