अद्भुत कला का नमूना हैं लद्दाख की पश्मीना शॉल

पर्यटकों को भा रहा श्रृंग डोटकर की स्टाल

सूरजकुंड/फरीदाबाद (सच कहूँ/सागर दहिया) सूरजकुंड हस्तशिल्प मेले में विदेशी शिल्पकारों के साथ-साथ स्वदेशी शिल्पकार भी अपने हुनर से पर्यटकों पर अपनी छाप छोड़ रहे हैं। भारत के मुकुट के रूप में प्रसिद्ध जम्मू-कश्मीर व लद्दाख के शिल्पकार भी अपनी कृतियों से मेले में प्रसिद्धि पा रहे हैं। लद्दाख के ब्रांड ला पश्मीना ग्रुप द्वारा स्टॉल 1024 पर ऊन से निर्मित पोशाक प्रदर्शित की गई हैं।

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श्रृंग डोटकर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम लगातार तीसरे वर्ष इस मेले का हिस्सा बन रही है। इस टीम द्वारा 10 सदस्यीय समूह गठित कर क्षेत्र के गरीब परिवारों को भी रोजगार देने का कार्य किया जा रहा है। स्वयं सहायता समूह के तहत गरीब परिवारों को रोजगार देकर उनका आर्थिक सशक्तिकरण किया जा रहा है। इस स्टॉल पर पश्मीना शॉल, मफलर, स्टोल, स्वैटर, कैप आदि प्रदर्शित की गई हैं। श्रृंग डोटकर ने बताया कि उनके क्षेत्र में भेड़ की ऊन से यह उत्पाद बनाए जाते हैं। पहाड़ी क्षेत्र में शिल्पकार व बुनकर इन उत्पादों से अपनी आजीविका कमा रहे हैं।

इटेलियन ग्लास से बनी तुर्की की लाईटें लुभा रही हैं पर्यटकों को

तुर्की के इस्तांबुल की टीम द्वारा स्टॉल नंबर 955 पर डेकोरेटिव लाइट्स के अलावा ईविल आई, श्रमिक आदि उत्पादों से पर्यटकों का ध्यान खींच रहे हैं। इस स्टाल पर विशेषकर महिलाएं गृह सज्जा के उत्पादों में गहरी रुचि दिखा रही हैं। इस्तांबुल के हक्कन रीडर की अगुवाई में पांच सदस्यीय दल सूरजकुंड मेले में लगातार चौथी बार पहुंच कर अपने हुनर से पर्यटकों को रूबरू करवा रहा है। इन शिल्पकारों द्वारा गृह सज्जा के लिए छोटी-बड़ी लाईटें, मैरिन ग्लास तैयार किए जाते हैं। इटेलियन ग्लास हस्तशिल्प उत्पादों के लिए प्रसिद्घ है। बड़़ी चौपाल के सामने मुख्य सड़क के पूर्व की ओर स्थित यह स्टाल देर सांय तक पर्यटकों भीड़ का गवाह बन रहा है। स्थानीय पर्यटकों की सुविधा के लिए चार अनुवादकों को भी तैनात किया गया है।

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