श्रीगंगानगर क्षेत्र में 2023 तक इलेक्ट्रिक ट्रैन दौड़ाने का लक्ष्य

Electric Train sachkahoon

जयपुर (सच कहूँ न्यूज)। सब-कुछ ठीक-ठाक रहा तो वर्ष 2023 में रेलवे के डीजल चलित ईंजन इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हो जायेंगे व श्रीगंगानगर क्षेत्र सहित उत्तर पश्चिम रेलवे में सभी जगह इलेक्ट्रिक ट्रैन(Electric Train) दौड़ती नजर आयेंगी।इस क्रम में सर्वप्रथम श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ सेक्शन पर विधुतीकरण करने की तैयारियां चल रही हैं। इसके बाद श्रीगंगानगर-सरुपसर, सरुपसर-सूरतगढ़ व सरुपसर-अनूपगढ़ सेक्शन को विधुतीकृत किये जाने की तैयारी हैं।

उत्तर पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसम्पर्क अधिकारी कैप्टन शशि किरण के अनुसार महाप्रबन्धक श्री विजय शर्मा के कुशल दिशा-निर्देशन में रेल विद्युतीकरण के कार्य तीव्र गति से किये जा रहे है। इस रेलवे पर विद्युतीकरण के कार्य को विगत वर्षों के बजट में प्राथमिकता प्रदान की गई है तथा सम्पूर्ण उत्तर पश्चिम रेलवे पर विद्युतीकरण का कार्य स्वीकृत हो गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर अब तक 2489 किलोमीटर रेल लाइन पर विद्युतीकरण का कार्य पूर्ण कर लिया गया है। वर्ष 2021-22 में 15 जनवरी तक 305 किलोमीटर रेलखण्ड के विद्युतीकरण का कार्य पूरा किया गया।

उत्तर पश्चिम रेलवे के महत्वपूर्ण रेलखण्ड रेवाडी-अजमेर वाया फुलेरा तथा रेवाडी-अजमेर वाया जयपुर से पालनपुर होते हुए अहमदाबाद तक इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन पर यात्री रेलसेवाओं का संचालन किया जा रहा है। इसके साथ ही अजमेर से उदयपुर मार्ग का भी विद्युतीकरण कार्य पूर्ण हो गया है तथा राजस्थान के प्रमुख पर्यटक स्थल उदयपुर का जुडाव अजमेर, जयपुर तथा दिल्ली से इलेक्ट्रिक ट्रेक्शन से सम्पर्क स्थापित हो गया है। उत्तर पश्चिम रेलवे पर इस वर्ष अजमेर-दौराई, ब्यावर-गुड़िया, मदार-बाईपास-आदर्शनगर, नोहर-हनुमानगढ, चूरू-रतनगढ एवं रींगस-सीकर-झुझुंनू रेलखण्ड का विद्युतीकरण पूर्ण किया गया है।

इसके अतिरिक्त फुलेरा-जोधपुर व हनुमानगढ-श्रीगंगानगर रेलमार्ग के विद्युतीकरण का कार्य प्रारम्भ कर वर्ष 2023 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। सस्ती दर पर बिजली खरीद हेतु उत्तर पश्चिम रेलवे के राजस्थान में 6 ट्रेक्शन सब स्टेशनों (राजगढ, रींगस, किशनगढ, बर, खिमेल एवं नावां) एवं गुजरात में श्रीअमीरगढ ट्रेक्शन सब स्टेशन पर पावर सप्लाई ओपन एक्सेस के माध्यम से खरीदी जा रही है।

रेल विद्युतीकरण से निम्न फायदे होते है

1. डीजल इंजन के धुएं से होने वाले प्रदुषण से मुक्ति
2. विद्युत इंजनों की लोड क्षमता अधिक होने के कारण अधिक भार वहन
3. अधिक ट्रेनों का संचालन संभव
4. ईंधन आयात पर निर्भरता में कमी
5. इलेक्ट्रीक गाडियों की परम्परागत गाडियों से औसत गति अधिक होती है ।
6. डीजल की अपेक्षा बिजली की लागत कम होने से राजस्व की बचत

जून तक इंजन ट्रॉयल करवाने के प्रयास

उत्तर पश्चिम रेलवे की जेडआरयूसीसी के सदस्य श्री भीम शर्मा के अनुसार वे विधुतीकरण का कार्य करने वाली कम्पनी इरकॉन के अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं तथा प्रयास हैं कि श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ रेलखंड पर इसी वर्ष जून तक कमिश्नर ऑफ रेलवे सेफ्टी का निरीक्षण करवाकर इलेक्ट्रिक इंजन का स्पीड ट्रॉयल करवा दिया जाये। आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की हैं कि इस खंड पर इलेक्ट्रिक पोल लगाने के लिये हनुमानगढ़ से बनवाली तक आवश्यक फाउंडेशन का कार्य किया जा चुका हैं।

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