सतगुरु के उपकार बेशुमार

Satguru ji sachkahoon

पावन स्मृति पर विशेष

सच्चे संत का जीवन पूरी मानवता के लिए परोपकारों से भरा खजाना होता है। वे जीवों को सच का मार्ग दिखाकर आत्मिक कल्याण के साथ-साथ आदर्श सामाजिक जीवन जीने के काबिल बनाते हैं। उनका हर कर्म व वचन मानवता के लिए प्रेरणास्रोत होता है।

डेरा सच्चा सौदा के संस्थापक पूजनीय बेपरवाह सार्इं शाह मस्ताना जी महाराज के मानवता पर किए गए परोपकारों का वर्णन करने के लिए हर शब्द छोटा पड़ जाता है। परम पूजनीय परमपिता बेपरवाह शाह मस्ताना जी महाराज गाँव कोटड़ा तहसील गंधेय रियासत कुलैत (बिलोचिस्तान) के रहने वाले थे। आप जी के पूज्य पिता जी का शुभ नाम श्री पिल्ला मल जी व पूज्य माता जी का शुभ नाम तुलसां बाई जी था। पूजनीय शाह मस्ताना जी महाराज ने संवत विक्रमी 1948 (सन् 1891) में अवतार धारण किया।

पूजनीय शहनशाह मस्ताना जी महाराज का पहला (बचपन का) नाम पूज्य श्री खेमामल जी था। (हजूर बाबा सावण सिंह जी ने अपनी शरण में आने के बाद आपजी का नाम बदलकर ‘शाह मस्ताना जी रख दिया)। आप जी के पूज्य पिता जी गांव में ही हलवाई की दुकान किया करते थे। जिस समय पूज्य पिताजी दुकान पर नहीं होते तो आपजी दुकान पर रखी सारी मिठाई साधु-फकीरों को बांट दिया करते। इस तरह आप जी को बचपन से ही मालिक की भक्ति का बहुत शौक था।

पूज्य बेपरवाह मस्ताना जी तो ‘सच’ यानि परमात्मा की ही खोज में लगे हुए थे। इस प्रकार आप जी ने अनेक साधुओं से भेंट की, परंतु कहीं से भी आप जी को परमात्मा की प्राप्ति का सही मार्ग नहीं मिल पाया। अंत में आप जी डेरा ब्यास (पंजाब) में आ गए और पूज्य हजूर बाबा सावण सिंह जी महाराज से नाम-शब्द की प्राप्ति की।

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