दर्शकों को लुभा रहे लकड़ी पर उभरे कला के ये रंग

colors of art emerged on the wood sachkahoon

घर की साज-सज्जा को लगाएंगे चार-चाँद

  • 500 से लेकर 12500 रुपये तक है सामान की कीमत

सच कहूँ, देवीलाल बारना, कुरुक्षेत्र। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में 2 दिसंबर से ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर लगे सरस और क्राफ्ट मेले में विभिन्न राज्यों से आए शिल्पकारों के हाथों की अदभुत शिल्पकला को देखने दर्शक खिंचे आ रहे हैं।

सहारनपुर (यूपी) से आए आशु ने बताया कि वे कुरुक्षेत्र-धर्मक्षेत्र की पावन धरा पर लगे अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में पिछले 12 साल से आ रहे हैं और वे अपने साथ लकड़ी से बने सुंदर-सुंदर फ्लावर पोर्ट, डायनिंग टेबल, कॉफी टेबल, टी टेबल, बाक्स स्टूल, शाल स्टूल, कुर्सी रोड आयरन, ड्रेसिंग टेबल, ज्वैलरी बाक्स इत्यादि का सामान लेकर आए हैं। उन्होंने बताया कि अद्भुत कारगिरी से बना यह सामान बहुत ही सुंदर और घर की सज्जा-सजावट के लिए है और लोग इस सामान की जमकर खरीददारी कर रहे हैं।

इस सामान को बनाने के लिए वे इस लकड़ी को असम से मंगवाते हैं और इसके बाद उस लकड़ी को जलाने के बाद उस पर फिनिशंग का कार्य किया जाता है, जो कि अपने आप में हस्तकला की कहानी को ब्यां करता है। इस सामान को बनाने के लिए 2 से 3 आदमी कार्य करते हैं, मशीनें सिर्फ लकडी को काटने के लिए प्रयोग में लाई जाती है, लेकिन हाथों की अदभुत कला से जब इस सामान को अंतिम रूप दिया जाता है तो इसे देखने वाले पर्यटक आश्चर्यचकित हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस सामान की कीमत 500 से 12500 तक की है। इस सामान पर पालिश इत्यादि का कार्य भी हस्तशिल्प कला से ही किया जाता है। हथौड़ी और छैनी की ऐसी हस्तशिल्प कला ने यहां पर आने वाले सभी पर्यटकों के मन को मोह लिया है।

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