हिंसक शब्दावली का प्रयोग

Congress sachkahoon

मध्य प्रदेश के एक कांग्रेसी नेता व पूर्व मंत्री ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ बेहद ही हिंसक बोल बोले हैं, जिस पर कि अभी मामला दर्ज हो गया है। नेता ने कहा था कि ‘मोदी की हत्या के लिए तैयार रहो’। भले ही बाद में नेता ने सफाई देकर अपना बचाव करने की कोशिश की है लेकिन यह बोली बेहद ही निंदनीय व चिंताजनक है। वास्तव में राजनीति में भड़काऊ बयानबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन सरेआम हत्या करने की बात कहना भारतीय समाज के लिए बेहद चिंताजनक है।

भले ही उक्त नेता के विवादित बयान से कुछ नहीं होने वाला, लेकिन ऐसी बयानबाजी सामाजिक रूप से हिंसा को बढ़ावा दे सकती है। वास्तव में कोई भी बयान हो, उसका समाज में प्रभाव अवश्य होता है। युवा पीढ़ी जैसा सुनती व देखती है, वैसा ही प्रभाव उनके मन पर होता है। यदि युवा अपने बुजुर्गों को आदर-सम्मान और प्यार, तर्क व तथ्यों सहित बातचीत करते हुए देखते हैं तब वे भी सभी से शिष्टाचार वाला व्यवहार करेंगे। यह कहना गलत नहीं है कि राजनीति में हिंसा बहुत बड़ी समस्या है व इसका बड़ा कारण नेताओं की भड़काऊ बयानबाजी, बदलाखोरी वाली शब्दावाली व साधारण बात का जवाब गुस्से के साथ देना है।

नि:संदेह बात कहने का अपना-अपना अंदाज होता है लेकिन शब्दों का चयन सूझबूझ व जिम्मेवारी से करना होता है। बोल जोशीले हो सकते हैं लेकिन वह धमकी देने वाले हिंसक न हों। यह तथ्य हैं कि कई नेताओं का करियर केवल उनकी अभद्र शब्दावली व भड़काऊ बोली के कारण ही खराब हो गया है। कई नेता राष्टÑीय फलक पर पहुंचकर भी अर्श से फर्श तक गिर चुके हैं। संयम आवश्यक है, हद से ज्यादा बड़बोलापन व अहंकार अच्छा नहीं। सदा ही यह न मानकर चलें कि मेरी बात ही सही व प्रभावशाली होगी। लोगों के चुने हुए प्रतिनिधि को लाख बार सच बोलना चाहिए।

चिंता वाली बात यह है कि नेता का केवल करियर ही खराब होता है लेकिन उसका गलत व्यवहार पता नहीं कितने और दंगाई नेताओं को जन्म दे जाता है। अच्छे नेताओं का मार्गदर्शन लेने वाले कार्यकर्ता ही अच्छे नेता बनते हैं। नेताओं को इस बात को नहीं भूलना चाहिए कि उनका एक-एक शब्द समाज के विकास या गिरावट से जुड़ा हुआ है। सोच-समझ कर बोलने वाले नेता लोगों के दिलों में जगह बना लेते हैं। अब समय आ गया है कि पैंतरे बंद हों कि ‘मेरे कहने का मतलब कुछ और था’, मीडिया ने मेरे शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया। गलत सही की पहचान नेताओं को स्वंय होनी चाहिए।

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