West Bengal: पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा लोकतंत्र का सबसे घिनौना रुप है। चुनावी हिंसा के मामले में हमेशा से ही पश्चिम बंगाल सुर्खियों में रहा है। शनिवार को पश्चिम बंगाल में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के पहले चरण के दौरान हुई हिंसा में राज्य के विभिन्न हिस्सों में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्ष दोनों के प्रति निष्ठा रखने वाले 12 लोगों की मौत हो गई। हिंसा की घटनाओं में एक उम्मीदवार सहित तृणमूल कांग्रेस के सात कार्यकर्ता मारे गए, भाजपा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के दो-दो तथा कांग्रेस के एक कार्यकर्ता की मौत हो गई।
दरअसल, राजनैतिक हिंसा अब पश्चिम बंगाल की संस्कृति बन गई है। वहां अधिकतर चुनाव हिंसा के बिना सिरे ही नहीं चढ़ते। शुरुआत में सभी राजनीतिक दल एक दूसरे पर हिंसा भड़काने के आरोप लगाते हैं, जिसमें आम जनमानस को भारी नुक्सान झेलना पड़ता है। कारोबार के साथ-साथ शिक्षा व अन्य कई प्रकार की व्यवस्थाओं में बाधाएं उत्पन्न होती हैं। क्यों विकास चुनावों का एजेंडा नहीं बन पा रहा। भारतीय लोकतंत्र में पश्चिम बंगाल सबसे बदनुमा दाग है। क्या हिंसा राज सत्ता का एक मात्र विकल्प है। Political Violence in West Bengal
यदि यही हाल रहा तो पश्चिम बंगाल में जनता का पार्टियों से विश्वास उठ जाएगा और लोग वोट डालना ही बंद कर देंगे। देश में कानून है, लोकतंत्र है, इस पर विश्वास कीजिए और राजनीति कीजिए। लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं होना चाहिए। हम अभिव्यक्ति का गला घोंटकर अच्छे समाज का निर्माण नहीं कर सकते हैं। हमें विचारधाराओं की लड़ाई लड़नी चाहिए, हिंसा की नहीं। अभिव्यक्ति की आजादी पर प्रतिबंध लगा कर जनता की विचारधारा को नहीं मोड़ा जा सकता है। क्योंकि लोकतंत्र में जनता और उसका जनाधार सबसे शक्तिशाली होता हैं। West Bengal
किसी सरकार या नेता का काम देश की भलाई करना होना चाहिए। सभी राजनीतिक दलों को हिंसा का रास्ता त्याग एकजुट होकर राज्य की खुशहाली के लिए प्रयास करने चाहिए। साथ ही चुनाव आयोग को सख्ती बरतनी चाहिए। यह लोकतंत्र के लिए किसी कंलक से कम नहीं है। हिंसा पर हमारी चुप्पी भविष्य के लिए बड़ी चुनौती है। Editorial Hindi