क्या हो प्रदूषण की समस्या का दीर्घकालिक हल

What should be the long-term solution to the pollution problem

इन दिनों दिल्ली में तेज हवा की वजह से पारे में यहां तेज गिरावट आई वहीं ठंड भी बढ़ी, मगर इससे हवा के साफ होने की भी गुंजाइश बनी है। अब एक बार फिर दिल्ली में कोहरे या धुंध की हालत बनने के साथ वायुमंडल के घनीभूत होने की हालात पैदा हो गई है और इसमें प्रदूषण की मात्रा बढ़ गई है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत वायु गुणवत्ता और मौसम पर नजर रखने वाली संस्था ‘सफर’ ने जो ताजा आकलन जारी किया है, उसके मुताबिक दिल्ली में एक बार फिर प्रदूषण की स्थिति गंभीर होने वाली है।

दरअसल, वायु की गुणवत्ता की कसौटी पर दिल्ली पहले भी अक्सर ही चिंताजनक हालत में रही है। ऐसे बहुत कम मौके आए, जब इसमें राहत महसूस की गई। पिछले साल पूर्णबंदी लागू होने के बाद जब वाहनों और औद्योगिक इकाइयों का संचालन नाममात्र का रह गया था, तब न सिर्फ वायु, बल्कि यमुना में भी प्रदूषण की समस्या में काफी सुधार देखा गया था। लेकिन उसके बाद पूर्णबंदी में क्रमश: ढिलाई के साथ-साथ जब आम जनजीवन सामान्य होने लगा है, तब धुएं और धूल के हवा में घुलने के साथ ही प्रदूषण ने फिर से अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। दिल्ली में वायु गुणवत्ता का स्तर चार सौ इकतीस अंकों तक पहुंच गया। वायु गुणवत्ता का यह स्तर ‘गंभीर श्रेणी’ में माना जाता है और यह आम लोगों में सांस से संबंधित कई तरह की दिक्कतों के लिहाज से जोखिम की स्थिति है। ज्यादा चिंताजनक यह है कि इसमें अगले कुछ दिनों तक और गिरावट आने की आशंका जताई गई है।

‘सफर’ के अनुसार वायु गुणवत्ता का स्तर चार सौ उनसठ अंक तक पहुंच सकता है। सारे कानून-कायदों, अदालती या सरकारी आदेशों और पुलिस की कवायद के बावजूद प्रदूषण दिल्ली में कम होने की बजाय बढ़ता जा रहा है। यूं भी, भारत दुनिया के चुनिंदा देशों में है, जहां शायद सबसे अधिक कानून होंगे, लेकिन हम कितना कानून-पालन करने वाले समाज हैं, यह किसी से छिपा नहीं है। यों इस मौसम में दिन की शुरूआत यानी सुबह के समय कोहरे या धुंध की चादर का घना होना कोई हैरानी की बात नहीं है। हमें यह स्वीकार करना होगा कि हम अब भी ऐसे मुकाम पर हैं, जहां सड़क पर बाएं चलने या सार्वजनिक जगहों पर न थूकने जैसे कर्तव्यों की याद दिलाने के लिए भी पुलिस की जरूरत पड़ती है। जो पुलिस अपने चरित्र पर अनेक दाग ओढ़े है, भला कैसे अपने दायित्वों का ईमानदारी एवं जिम्मेदारी से निर्वाह करेगी?

जब भी प्रदूषण की समस्या खतरनाक हालत में पहुंचती है, तब सरकारें कुछ प्रतीकात्मक उपाय करके सब कुछ ठीक हो गया मान लेती हैं, लेकिन इस जटिल एवं जानलेवा समस्या का कोई ठोस उपाय सामने नहीं आता। मसलन, कुछ समय पहले दिल्ली में सरकार की ओर से प्रदूषण की समस्या पर काबू करने के मकसद से चौराहों पर लगी लालबत्ती पर वाहनों को बंद करने का अभियान चलाया गया था। सवाल है कि ऐसे प्रतीकात्मक उपायों से प्रदूषण की समस्या का कोई दीर्घकालिक और ठोस हल निकाला जा सकेगा।

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