विश्व तंबाकू निषेध दिवस: हरियाणा में हर साल 28 हजार ज़िंदगियां छीन रहा तंबाकू

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कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों के प्रसार का बन रहा कारण

  • उपयोगकर्ताओं में कोरोना संक्रमण का खतरा भी अधिक

गुरुग्राम (सच कहूँ/संजय मेहरा)। हरियाणा में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों की गिरफ्त में 15 से 24 वर्ष का युवा आ रहा है। इन उत्पादों के सेवन से कैंसर सहित अन्य गंभीर बीमारियों का सामना इनको करना पड़ता है। कोरोना का खतरा भी तंबाकू सेवन करने वालों में सामान्य की अपेक्षा अधिक रहता है। इसमें खासकर स्मोकिंग व चबाने वाले तंबाकू उपयोगकर्ता मुख्य हैं।

तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों के प्रति आमजन को हतोत्साहित करने के लिए प्रतिवर्ष 31 मई को विश्वभर में विश्व तंबाकू निषेध दिवस मनाया जाता है। राज्य में तंबाकू व अन्य धूम्रपान उत्पादों से होने वाले रोगों से प्रतिवर्ष 28 हजार से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। देशभर में 13.5 लाख व विश्व भर में 80 लाख लोगों की जान इससे जाती है। जबकि प्रदेशभर में 116 बच्चे और देशभर में 5500 बच्चे प्रतिदिन तंबाकू उत्पादों का सेवन शुरू करते हैं। इस स्थिति में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने वर्ल्ड नो टोबेको डे पर लोगों से तंबाकू से दूर रहने की अपील की है।

कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ. वेदांत काबरा के मुताबिक वर्ष 2021 में वर्ल्ड नो टोबेको डे पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा छोड़ने के लिए प्रतिबद्ध की थीम रखी गई है। इस दौरान किसी भी तरह के तम्बाकू उत्पादों का उपयोग करने से हतोत्साहित करने के लिए कई तरह के जागरुकता कार्यक्रम करने पर जोर दिया जाता है। डा. काबरा का कहना है कि भारत में तंबाकू उपभोग की और युवावर्ग तेज गति से आगे बढ़ रहा है।

द् लैंसेट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज में जारी की गई रिपोर्ट अनुसार वर्ष 2019 में 15 से 24 वर्ष वाले युवा स्मोकर्स की संख्या करीब 2 करोड़ के पार हो गई है। इसमें सिगरेट पीने वालों में 89 प्रतिशत 25 साल तक की उम्र के युवा वर्ग शामिल है। जोकि हम सभी के लिए चिंता का विषय है।

ब्रेन स्ट्रोक का खतरा अधिक

डॉ. वेदांत काबरा ने बताया कि अमेरिका के येल स्कूल ऑफ मेडिसिन द्वारा की गई रिसर्च में सामने आया है कि स्ट्रोक और स्मोकिंग के बीच सीधा संबध है। जिसमें बताया गया कि यदि आप सालभर में दस डिब्बी सिगरेट पीते हैं तो ब्रेन स्ट्रोक का खतरा 27 प्रतिशत तक रहता है। इसके लिए 40 से 69 साल की उम्र के 4 लाख लोगों का जेनेटिक डाटा इकट्ठा किया गया था। जिसमें ये सभी बाते निकलकर सामने आई। धुंआ रहित तंबाकू के सेवन से होने वाली मौत की संख्या तेजी से बढ़ी है। पिछले सात साल में मौत का आंकड़ा तीन गुना बढ़ा है। मौतों की संख्या तीन लाख पचास हजार हो गई है। धुंआ रहित तंबाकू के प्रयोग से होने वाली बीमारियों के 70 प्रतिशत रोगी भारत में है।

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