पत्थरगढ़ी की साजिश व हिंसा देश तोड़ने वाली है

Pathagarhi
Pathagarhi

आदिवासी क्षेत्रों में गांव के बाहर एक बड़ा पत्थर जमीन में स्थापित कर दिया जाता है, इसे ही पत्थरगढ़ी कहते हैं। इसका अर्थ यह हुआ कि जहां पर पत्थर स्थापित किया गया है उसके अंदर कोई सरकार का कर्मचारी, प्रशासन का कोई अधिकारी अंदर नहीं आ सकता है, सरकारी कर्मचारी और पदाधिकारी को गांव के अंदर आने के लिए आदिवासियों के प्रधान से अनुमति लेनी होगी, अनुमति नहीं लेने पर हिंसा का भागी बनना होगा। दरअसल आदिवासियों को संविधान की पांचवी अनुसूची को लेकर बरगलाया गया है, उनके दिमाग में हिंसा भरी गई है, यह प्रत्यारोपित किया गया है संविधान की पाचवीं अनुसूची उन्हें अपना शासन चलाने की अनुमति देती है। पत्थरगढ़ी के साजिशकर्ता यह भी कहते हैं कि हम सरकार को कोई टैक्स नहीं देंगे। यह सब सिर्फ फरमान तक ही सीमित नही है बल्कि इस फरमान को अंजाम तक पहुंचाने के लिए हत्याओं का दौर भी चल रहा है।

विष्णुगुप्त

दुनिया में भारत (India) एक अकेला देश है जहां पर कभी अपने ही देश को टुकड़े-टुकड़े करने की राजनीति होती है, कभी क्षेत्र के नाम पर देश तोड़ने की राजनीति होती है, कभी भाषा के आधार पर देश तोड़ने की राजनीति होती है, कभी मजहब के नाम पर देश तोड़ने की राजनीति होती है, कभी विदेशी साजिश को संतुष्ट करने के लिए देश तोड़ने की राजनीति होती है, कभी विदेशी संस्कति और विदेशी विचारों को स्थापित करने के लिए देश तोड़ने की बात व राजनीति होती है, ये सभी बातें और राजनीति कोई लुके-छिपे नहीं होती है बल्कि ये बातें और राजनीति सरेआम होती है, इसके अलावा ऐसे देश तोड़क विचारों और राजनीति को स्थापित करने के लिए बवाल भी होता है, हिंसा भी होती है, बवाल और हिंसा के पक्ष में प्रत्यारोपित तथ्य और तर्क भी गढ दिये जाते हैं।
जब ऐसे तत्वों पर, ऐसे बवाल पर, ऐसी हिंसा पर, ऐसी राजनीति पर सवाल उठता है तब अभिव्यक्ति की कथित स्वतंत्रता की प्रत्यारोपित आवाज उठने लगती है, असहिष्णुता का शोर उठने लगता है, नामी-गिरामी वकीलों की टीम खड़ी होकर न्यायपालिका तक दौड़ लगा देती है, फिर दुष्परिणाम सामने आता है, देश तोड़क शक्तियों का विकास और प्रसार खतरनाक तौर पर सामने खड़ा हो जाता है, सरकारी की तरफ से उठी आवाज वीरता भी स्थिर हो जाती है, इस प्रकार देश तोड़क शक्तियों को इंधन मिलता रहता है, उनकी साजिशों का श्रृखंला भी बढ़ती जाती है, हमारी सुरक्षा एजेसियों की चुनौतियां भी खतरनाक ढंग से बढ़ती ही जाती है। क्या यह सही नहीं है कि देश के अंदर में कोई एक नहीं बल्कि अनेकानेक देश तोड़क शक्तियों का विस्तार और अस्तित्व स्थापित है? क्या यह सही नहीं है कि आयातित संस्कृति के नाम पर देश का एक विखंडन हुआ है?
पत्थरगढ़ी के नाम पर एक और देश तोड़क राजनीति, साजिश खतरनाक तौर पर विस्तार पा रही है, जिसके पीछे न केवल वोट की राजनीति है बल्कि विदेशी साजिश है। अभी-अभी झारखंड के अंदर पत्थरगढ़ी की हिंसा ने देश को झकझोर कर रख दिया है, संदेश भी दिया गया कि यह तो अभी झांकी है, ऐसी हिंसा की आंधी आने वाली है, यह हिंसा सिर्फ झारखंड के अंदर ही नहीं बल्कि इस हिंसा का विस्तार छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात आदि राज्यों में होगी। झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में पत्थरगढ़ी समर्थकों ने एक साथ नौ ग्रामीणो का अपहरण कर ,उन लोगों की वीभत्स हत्याएं की हैं। जिस वीभत्सता के साथ हत्याएं हुई हैं, उससे लगता है कि इन्हें हत्याओं और बवाल करने के प्रशिक्षण प्राप्त थे, अपहरण किये गये ग्रामीणों के पहले अंग भंग किये गये और उसके बाद उनके शरीर को जला दिया गया। मारे गये ग्रामीण पत्थरगढ़ी के विरोधी थे और उनके पत्थरगढ़ी कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार कर दिये थे। झारखंड के आदिवासी इलाके की स्थिति इतनी खतरनाक हो गयी है, इतनी हिंसक हो गयी हे कि पत्थरगढ़ी कार्यक्रम में शामिल नहीं होने वाले ग्रामीणों को पत्थरगढ़ी विरोधी मान लिया जाता है और उनकी हत्या के फरमान जारी कर दिये जाते हैं। झारखंड के आदिवासी इलाके से बड़े पैमाने पर पलायन हो रहा है। कहने का अर्थ है कि पत्थरगढ़ी प्रभावित क्षेत्रों में ग्रामीण स्वयं के बल पर सुरक्षा करने या फिर अपने घर-द्वार छोड़ने के लिए विवश हैं।
पत्थरगढ़ी विरोधी गुजरात के आदिवासी नेता विजय गमीत कहते हैं कि यह आदिवासी अधिकारों की लड़ाई नहीं है, यह सिर्फ और सिर्फ विदेशी देश तोड़क साजिशें हैं और इस साजिश को अंजाम देने के लिए विदेशो से धन आता है, गोरे लोग विदेश से आदिवासी इलाके में आकर देश के खिलाफ भड़काते हैं। पहले विदेशी देश तोड़क शक्तियां कहती हैं कि आपका हिन्दू धर्म से कोई लेना-देना नहीं है, आपका कोई भी भगवान नहीं है, फिर ये देश तोड़क विदेशी संस्कृतियां अपने धर्म की महता स्थापित करते हैं। विजय गमीत आगे कहते हैं कि ऐसी ही एक साजिश गुजरात में हुई थी जहां पर राज्य और देश के अधिकार को नहीं मानने का फरमान जारी हुआ था पर यह फरमान कुछ ही दिनो में दम तोड़ चुका था। यद्यपि गुजरात में यह प्रयोग असफल हो गया था फिर भी विदेशी देश तोड़क शक्तियां इस साजिश को गुजरात से बाहर छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश और झारखंड राज्य में ले जाने और पत्थरगढ़ी को ढाल बना कर धर्म परिवर्तन कराने तथा हिंसा का बाजार लगाने में जरूर कामयाब हुई हैं। गुजरात में भी आदिवासियों के बीच में ऐसे ही हथकंडों से बडे पैमाने पर धर्म परिवर्तन कराये गये हैं।
झारखंड के अंदर पत्थरगढ़ी के नाम पर डर-भय का वातावरण बनाने, पत्थरगढ़ी के नाम पर गैर आदिवासियों को भगाने, पुलिस और अर्द्ध सैनिक बलों पर हमला कराने के खेल बहुत पहले से जारी है। झारखंड के अंदर पत्थरगढ़ी राजनीति भी बवाल पर भी कम नहीं काटी है। पूर्व की रघुवर में उदासीनता बरती थी। जब पत्थरगढ़ी कानून और संविधान का मुंह चिढाने लगी तब रधुवर दास सरकार ने कार्यवाही की थी। पर बहुत लेट से सरकार के कदम उठे थे। उसके पहले ही पत्थरगढ़ी की साजिशें पूरे राज्य में बवाल काट चुकी थी, अपने खूनी पंजें पसार चुकी थी, विदेशी शक्तियों की देश तोडक साजिशें कामयाब हो चुकी थी। राज्य सत्ता बदल गयी। नई हेमंत सोरेन की सरकार आयी। हेमंत सोरेन की जीत पर सवाल उठने लगे। एक विदेशी संस्कृति के पोषक ने यह कह कर तहलका मचा दिया था कि हमनें रघुवर दास की भाजपा सरकार को हराने और हेमंत सोरेन सरकार को जीताने और स्थापित करने के लिए विशेष प्रार्थना की थी। हेमंत सोरेन ने सरकार की बागडौर संभालने के तुरंत बाद ही पत्थरगढ़ी की हिंसक गुनहगारों पर से मुकदमें वापस लेने की घोषणा की थी। इसका दुष्परिणाम कोई एक नहीं बल्कि नौ-नौ निर्दोष व्यक्तियो की हत्या है।
हमारे देश में कमजोरी यह है कि हम समय पर जागते ही नहीं है। हमारी राजनीति तब जागती है, जब देश तोड़क शक्तियां देश की एकता और अखंडता को प्रभावित करने के लिए खतरनाक हो जाती हैं, शक्ति हासिल कर लेती हैं। ऐसा कश्मीर में हुआ, ऐसा असम में हुआ, नागालैंड, मनिपुर आदि में हुआ। अब ऐसी खतरनाक देश तोड़क समस्या झारखंड में ही उत्पन्न नही हुई हैं बल्कि अब यह समस्या अपने आगोश में छत्तीसगढ, मध्य प्रदेश, उडीशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों को भी लेगी। इसलिए पत्थरगढ़ी के नाम पर विदेशी देश तोड़क शक्तियों की पहचान कर उन्हें संविधान और कानून का पाठ पढाया जाना चाहिए।

 

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The conspiracy and violence of Pathagarhi is going to break the country