सलाबतपुरा नामचर्चा में पहुंची 24 लाख 75 हजार साध-संगत

naamcharcha of Salabatpura sachkahoon

50000 सेवादार प्रबंधों में जुटे रहे

सुखजीत, सुरेन्द्र पाल, सलाबतपुरा (भटिंडा)। पूजनीय परम पिता शाह सतनाम जी महाराज के पावन अवतार माह के उपलक्ष्य में गत रविवार को शाह सतनाम जी रूहानी धाम राजगढ़-सलाबतपुरा में हुई नामचर्चा के दौरान पूरे क्षेत्र में संगत ही संगत नजर आई और संगत के वाहन सभी तरफ देखने को मिले। ये दृश्य देखकर ऐसा लग रहा था जैसे सारी दुनियां सलाबतपुरा की तरफ चल पड़ी हो। नामचर्चा में 24 लाख 75 हजार डेरा श्रद्धालु पहुंचे। इतने बड़े आयोजन के सफल प्रबंध के लिए 50 हजार सेवादार दिनरात जुटे रहे।

शनिवार को हुई बारिश ने चाहे काफी मुश्किलें पैदा कर दी थी लेकिन साध-संगत की श्रद्धा और सेवादारों की दृढ़ता और सेवा भावना के आगे हर मुश्किल हल होती चली गई। शैड वाले मुख्य पंडाल के अलावा जो भी पंडाल बनाए गए थे उनमें बारिश का पानी जमा हो गया और उनमें बैठना बेशक मुश्किल था। लेकिन साध-संगत ने गीली जगह की भी परवाह नहीं की और गीले पंडालों में ही बैठ गई। इसके साथ ही डेरे में बिजाई की हुई फसलों वाले खेतों को भी पंडाल का रूप दे दिया गया और साध-संगत को वहां पर बिठाया गया। यह सभी इंतजामात भी साध-संगत के प्यार के आगे कम पड़ते नजर आए।

जब यह सभी पंडाल भर गए और दरबार में तिल रखने तक की भी जगह नहीं बची तो साध-संगत को दरबार से बाहर सड़कों के किनारों पर दूर-दूर तक बिठाया गया और साध-संगत को लंगर और प्रसाद भी वहीं खिलाया गया। लाखों की संख्या में पहुंची संगत के लिए चाय-नाश्ता के लिए कंटीनों, प्राथमिक चिकित्सा सुविधा, मास्क, सेनीटाइजर के भी पर्याप्त इंतजाम किए गए। दिव्यांग एवं लाचार लोगों की सहायता के लिए शाह सतनाम जी ग्रीन एस वैल्फेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने कमान संभाली हुई थी।

सलाबतपुरा की नामचर्चा का सोशल मीडिया पर भी लाईव प्रसारण किया गया जिसे पूरे पंजाब सहित देश व विदेश की साध-संगत ने पूरे प्रेम व हर्ष के साथ श्रवण किया।

ट्रैफिक की अद्भूत व्यवस्था

डेरे की तरफ आने वाले सभी रास्तों पर ट्रैफिक ग्राऊंड बनाए गए जो वाहनों की बड़ी संख्या में पहुंचने के कारण छोटे पड़ गए। डेरे के पास बनाए गए ट्रैफिक ग्राउंडों के अलावा नजदीकी गांव जलाल की दाना मंडी में भी वाहन खड़े किए गए। इसी तरह दूसरे गांवों के आस-पास भी साध-संगत ने अपने वाहन रोके और वहीं से ही दरबार के लिए पैदल चल पड़ी।

साऊंड प्रबंधों को नजारा देखते ही बन रहा था

नामचर्चा को लेकर दरबार के अंदर हर कोने और यहां तक कि खेतों में भी स्पीकरों का प्रबंध किया गया था। इसी तरह डेरे से बाहर भी ट्रैफिक ग्राऊंडों में और बाजाखाना और बरनाला रोड़ पर दो-दो किलोमीटर तक स्पीकर लगाए गए। दरबार न पहुंच सकने वाली साध-संगत ने वहीं बैठकर इन स्पीकरों के माध्यम से नामचर्चा श्रवण की। नामचर्चा की समाप्ति तक सेवादार सड़कों पर दूर-दूर तक स्पीकर लगाने की सेवा में जुटे रहे।

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