सरसा (सच कहूँ न्यूज)। सेंट एमएसजी ग्लोरियस इंटरनेशनल स्कूल में फसलों का त्यौहार बैसाखी पारंपरिक (Baisakhi Festival) ढंग से हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर विद्यालय के प्रांगण को रंग-बिरंगी झण्डियों और पारम्परिक साजो सामान चरखा, चक्की, चूल्हा, मंजे ढ़ोल आदि से सजाया गया। सभी विद्यार्थी और शिक्षक भी पारंपरिक वेशभूषा से सुशोभित थे। कार्यक्रम के पहले चरण में कक्षा पहली से आठवीं तक के सभी विद्यार्थियों को खेतों में ले जाकर फसलों के त्यौहार बैसाखी के महत्त्व के बारे में बताया गया।
कुछ विद्यार्थियों ने कड़ी धूप में गेहूं की फसल को काटकर महसूस किया कि किस तरह किसान हर मौसम में फसल उगाता है और उन्हें सिंचित करके हम तक पहुंचाता है। शिक्षकों ने विद्यार्थियों को बताया कि यह त्यौहार फसलों के पकने की खुशी में ईश्वर का धन्यवाद देने और पहली फसल के घर आने की खुशी के रूप में भी मनाया जाता है। इसी दिन किसान अपने फसलों की कटाई शुरू करते हैं। कार्यक्रम के दूसरे चरण में सभी विद्यार्थियों को बैसाखी (Baisakhi Festival) के पारम्परिक व्यंजन खिलाए गए। इसके पश्चात स्कूल के प्रांगण में संस्कृतिक कार्यक्रम की शुरूआत की गई।
सबसे पहले कक्षा छठी से आठवीं तक की छात्राओं ने सामुहिक संगीत प्रस्तुति से सबका मन मोह लिया। इसके पश्चात किंडरगार्टन के नन्हें मुन्नो ने अपनी पारम्परिक वेशभूषा में रैम्प वॉक करके हमारी पंजाबी वेशभूषा को दर्शाया। पंजाब में यह त्यौहार श्री गुरू गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना के रूप में और पंजाबी नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। इसी उपलक्ष में कक्षा छठी से आठवीं तक की छात्राओं ने इस दिन के महत्व को दर्शाने वाली लघु नाटिका प्रस्तुत की।
इसके पश्चात कक्षा पहली से आठवीं तक के छात्र-छात्राओं द्वारा गिद्दा और भंगडा नृत्य की धमाकेदार प्रस्तुति से दर्शकों को भी नाचने के लिए मजबूर कर दिया। अंत में विद्यालय निर्देशिका अल्का मोंगा ने सभी को बैसाखी (Baisakhi Festival) की शुभकामनाएं दीं और कहा कि प्रत्येक त्योहार हमें हमारी सभ्यता और संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इन्हें हमें उत्साह और उल्हास के मानना चाहिए।
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