मानव तस्करी के चंगुल में फंसा गणेश डेरा श्रद्धालुओं की मदद से पहुंचा ‘असम’

Human Trafficking sachkahoon

नौकरी का झांसा देकर पहले दिल्ली फिर बेचा हनुमानगढ, बनाकर रखा बंधक

  • भूखा-प्यासा रखकर करवाया जाता था काम, जानवरों से भी बदतर किया सलूक

  • मौका पाकर भागा गणेश हनुमानगढ़ से संगरिया रेलवे स्टेशन पहुंचा

  • शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के सेवादारों ने ली सुध

सच कहूँ/सुरेन्द्र जग्गा, संगरिया। बिन मां-बाप का एक बेटा (18 वर्षीय), जिसे असम राज्य से नौकरी दिलाने का झांसा देकर दिल्ली में पैसों के लालचियों ने बेच दिया। जहां उसे बंधक बनाकर भूखा-प्यासा (Human Trafficking) रखा गया, दिल्ली से फिर उसे राजस्थान के हनुमानगढ़ में लाया गया यहां भी उसके साथ जानवरों जैसा सलूक किया गया और बंधक बनाकर काम करवाया गया।

इस दर्द और पीड़ा को महसूस करने वाला कोई नहीं था, न रिश्तेदार, न उसके अपने और न ये समाज। ऐसे में इस पीड़ित युवक को रोशनी की उम्मीद तब मिली जब उसकी संभाल डेरा सच्चा सौदा के ब्लॉक संगरिया की शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग ने की। इन सेवादारों ने मानव तस्करी का शिकार हुए उक्त युवक के परिवार का पता लगाया और पुलिस की मौजूदगी में उसके रिश्तेदार के हवाले किया।

दर्द भरी दास्तां सुन कांप गई रूह

युवक ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि उसका नाम गणेश और उसके पिता का नाम सुखल सिंह है। वह जिला विश्वनाथ, आसाम का निवासी है। उसके माता-पिता का निधन हो चुका है। उसके गांव का एक व्यक्ति उसे दिल्ली में नौकरी दिलाने का सांझा देकर लेकर आया और उसे शकुरपुर इलाके में बंधक बनाकर रखा गया। दिल्ली से उसे तपेश्वर नाम का व्यक्ति हनुमानगढ़ लाया जहां डबली गांव में भी उसे बंधक बनाकर जानवरों की तरह भूखा-प्यासा (Human Trafficking) काम करवाया गया। एक दिन युवक गणेश रात 10:00 बजे दीवार कूदकर भाग निकला, खेतों में इस दौरान करंट लगने से वह कुछ देर बेहोश पड़ा रहा, जब होश आया और किसी तरह रेलवे स्टेशन पहुंचा और ट्रैन में बैठकर हनुमानगढ़ से संगरिया स्टेशन उतरा।

सेवादारों का प्रेम देख, गणेश की आंखे खुशी से हुई नम

संगरिया के समाजसेवी राज किंगरा को 7 दिन पूर्व संगरिया रेलवे स्टेशन पर असम से अगवा किया गया लगभग 18 वर्षीय युवक मिला जोकि भूखा-प्यासा अपनों की तलाश में भटक रहा था, इस युवक के बारे में प्रधान ने शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के जिम्मेवार लालचंद इन्सां को बताया तो उन्होंने मौके पर पहुंचकर युवक की संभाल की और अन्य सेवादारों के सहयोग से सर्वप्रथम उसकी जानकारी पुलिस को दी, जिसके बाद उसे संगरिया नामचर्चा घर में लाया गया। जहां उसे नहला कर, कपड़े बदले गए और उसे भोजन खिलाया गया। डेरा अनुयायियों का ये प्रेम देखकर उसकी आंखों से खुशी के आंसू झलकने लगे।

डेरा श्रद्धालुओं ने सात दिन में रिश्तेदारों का लगाया पता

युवक से सारी जानकारी लेने बाद डेरा श्रद्धालुओं ने तुरंत रिश्तेदारों की तलाश शुरू की। लगभग 7 दिन की अथक मेहनत के बाद आखिरकार उसके घर का पता चला। संपर्क करने पर पता चला कि गणेश का जीजा आकाश कुमार चेन्नई में एक कंपनी में काम करता है। डेरा श्रद्धालुओं ने किसी तरह से उसका मोबाइल नंबर पता किया और बातचीत कर सारी जानकारी दी। जिसके बाद वह 21 मार्च सोमवार को चेन्नई से गुमशुदा गणेश को लेने संगरिया पहुंचे। जहां पुलिस की मौजूदगी में युवक गणेश को उनके सुपुर्द किया गया और ट्रेन की वापसी टिकट दिलवा कर डेरा श्रद्धालुओं (Human Trafficking) ने रवाना किया।

मैंने सुना था फरिश्ते होते हैं, लेकिन आज देख भी लिये: आकाश

गणेश के जीजा आकाश कुमार ने साध-संगत का लाख-लाख बार धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि मैंने सुना था फरिश्ते होते हैं आज डेरा अनुयायियों के रूप में देख भी लिया। मैं पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां का कोटि-कोटि आभार प्रकट करता, जिन्होंने अपने शिष्यों को ऐसी शिक्षा दी।

थाना प्रभारी विजय मीणा ने की प्रशंसा

थाना प्रभारी विजय सिंह मीणा ने डेरा श्रद्धालुओं के इस सराहनीय कार्य की प्रशंसा की। और साध-संगत को हमेश अपना सहयोग देने की बात कही। इस सेवा कार्य में मुख्य रूप से शाह सतनाम जी ग्रीन एस वेल्फेयर फोर्स विंग के सेवादार लालचंद इन्सां, महेश गोयल इन्सां, सुरेंद्र जग्गा इन्सां, गोविंद सोनी इन्सां, रॉकी गर्ग इन्सां, ओम बुडानिया इन्सां, जगजीत सिंह इन्सां, बनारसी दास जग्गा, प्रधान राज किंगरा और भंगीदास कृष्ण सोनी का सहयोग रहा।

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