डिग्री-डिप्लोमा के लिए वक्त लगाया तो भगवान के लिए क्यों नहीं

Online Spiritual Discourse

सरसा। पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि आप पढ़ते हैं, डिग्री डिप्लोमा करते हैं। कितना समय लगाते हैं उसके लिए? क्या जन्म लेते ही आपके हाथ में कभी डिग्री आई है? क्या उम्र के 20-25 साल लगाने से पहले मास्ट्रेट की डिग्री आपने हासिल की है। हो सकता है थोड़ा 20 साल में कर ली होगी, पर इतने साल तो लगाए। और प्रभु के लिए, ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा के लिए, उस परमपिता परमात्मा के लिए एक मिनट आप देते नहीं और बैठे बिठाये कह देते हैं कि वो है ही नहीं, फिजूल की बातें हैं। ये तो गलत बातें हैं।

तो आपकी सोच गलत है। जब छोटी डिग्रियां लेने के लिए इतना-इतना समय देना पड़ सकता है तो क्या भगवान डिग्रियों से छोटे हैं? उसके लिए भी समय देना है, टाइम देना होगा। हमारे धर्म तो ये कहते हैं वो तो कण-कण में विराजमान है, जर्रे-जर्रे में विराजमान है। तो इसका मतलब वो साइंटिस्ट, महासाइंटिस्ट। संत, पीर, पैगम्बर, हम उनको कह रहे हैं साइंटिस्ट, महा साइंटिस्ट। उन्होंने उसको जर्रे-जर्रे में, कण-कण में देखा है, क्योंकि उन्होंने अपनी जिंदगी का बहुत बड़ा हिस्सा रिसर्च में लगाया है।

हमारे धर्म और पवित्र ग्रन्थ सच थे, सच हैं और सच रहेंगे

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि कई लोगों से हमारी बात हुई, वे बोले-हम तो इतिहास को मानते हैं जी, धर्म को नहीं मानते। ये रामायण, ये महाभारता, पवित्र ग्रन्थों को वो बोलते हैं कि ये तो जी कहानियां हैं। हमने कहा कि आपने कैसे कहा कि ये कहानियां हैं? कहते कि जी बस ऐसे ही, ये तो फिजूल की बातें हैं, ऐसा भी कभी हुआ है। तो हमने कहा कि इतिहास को कैसे मानते हैं? कहने लगे कि जी वो तो सही है। आपको कैसे पता है कि वो सही है? जी लिखा है उनको, इतिहासकारों ने लिखा है। इतिहासकार कौन थे? आदमी थे या ऊपर से आए हुए कोई फरिश्ते थे। कहते आदमी थे। आदमी ने इतिहास लिखा, वो हजार साल पुराना या डेढ़ हजार साल पुराना, उसको तो आप मान रहे हैं और जिन संतों ने हमारे धर्मों को लिखा, क्या आप उसे आदमी से भी कम समझते हैं कि उन्होंने झूठ लिख दिया।

बड़ी हैरानी होती है ऐसे लोगों की बुद्धि पर, कि एक तरफ इन्सान पर बात करते हैं। और दूसरी तरफ इन्सान ही मान लीजिये, दूसरे इन्सान पर यकीन क्यों नहीं करते? ये कैसे कह देते हैं? हमारे जो धर्म हैं, पवित्र वेद, या जितने भी पवित्र हमारे ग्रन्थ हैं, हम दावे से कहते हैं सच थे, सच हैं और सच रहेंगे। क्योंकि हमने अभ्यास किया, महसूस किया, उनके अंदर जाकर देखा, उनके अनुसार जाकर देखा, रिजल्ट 100 पर्सेंट पॉजीटिव आया। तो ये हकीकत है कि जितने भी हमारे पवित्र धर्म हैं, पवित्र ग्रन्थ हैं सब के सब सच हैं। अब आदमी कहे कि मैं मानता नहीं, तो आदमी का क्या? मर्जी का मालिक है।

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