भारतीय संस्कृति का पक्ष रखने में सरकार रही नाकाम

Government Fails In Favor Of Indian Culture

Government Fails In Favor Of Indian Culture

सुप्रीम कोर्ट ने समलैगिंकता संबंधों को अपराधों के दायरे से बाहर करने का निर्णय लिया है। केन्द्र सरकार द्वारा देश की पुरातन संस्कृति संबंधी अपनी कोई ठोस दलील न देने के कारण सुप्रीम कोर्ट के जजों ने अपनी राय पर निर्णय सुनाया है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले केन्द्र सरकार को अपना पक्ष रखने के लिए कहा था लेकिन सरकार ने कोई भी आपत्ति जाहिर करने की बजाए सारी बात सुप्रीम कोर्ट पर छोड़ दी थी। अदालत ने व्यक्तिगत स्वतंत्रता की दलील देकर निर्णय सुनाया है। अदालत ने आधुनिकता व बदले हुए जमाने की दलील दी है। जहां तक भारतीय संस्कृति का संबंध है इसमें नर-मादा के संबंधों को ही स्वीकृति दी गई है जो संसार की उत्पति के लिए प्राकृतिक प्रक्रिया है।

जहां तक निजी आजादी का संबंध है देश के बहुत से कानूनों पर भी सवाल उठना स्वभाविक है। समलैगिंक संबंधों पीछे दलील पंंक्तिगत आजादी है तो हिन्दू विवाह एक्ट पर भी नई बहस छिड़ हो सकती है। निजी आजादी पर यह भी कहा जा सकता है कि हिन्दू के लिए एक से अधिक विवाह करवाने भी निजी आजादी के कारण जायज है। अगर पति किसी अन्य महिला के साथ विवाह करवाना चाहता है तो यह उसकी निजी आजादी बन जाएगी। इसी तरह केन्द्र सरकार तीन तलाक प्रथा खत्म करने के लिए कानून बनाने पर जोर दे रही है लेकिन निजी आजादी की बात आते ही एक मुस्लमान के लिए भी एक से अधिक विवाह करवाना कोई गैर कानूनी नहीं माना जा सकेगा।

निजी आजादी को मान्यता देने के साथ ड्रग्स लेना भी कोई अपराध नहीं होगा। बच्चे स्कूल नहीं जाना चाहते, सुबह के समय उठना नहीं चाहते, बुजुर्गों की संभाल नहीं करना चाहते हैं, निजी आजादी बच्चों को यह सब करने की स्वीकृति देगी। असलीयत यह है कि बिना मर्यादा के कुछ भी संभव नहीं। माता-पिता बच्चों का पालन-पोषण एक मर्यादा के तहत कर उसे अच्छा इन्सान बनाते हैं। सूर्य, चन्द्रमा, धरती, तारे, दिन-रात, ऋतु सभी मर्यादा में चलते हैं। अगर इनकी मर्यादा बिगड़ जाए तो तबाही हो सकती है।

सृष्टि का दारोमदार एक मर्यादा में बंधा हुआ है। भारतीय संस्कृति ने रिश्तों की पवित्र प्रणाली बनाकर पूरे विश्व का नेतृत्व किया है। पश्चिमी लोग पूर्वी सभ्यता की अहमीयत को स्वीकार कर रहे हैं। अदालत के निर्णय पर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती लेकिन भारतीय संस्कृ ति व सामाजिक ढ़ांचे का गौरव कभी फीका नहीं पड़ेगा। यह केवल धार्मिक मान्यताएं नहीं अपितु सामाजिक व वैज्ञानिक महत्व का भी विषय है।

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