स्वास्थ्य की गारंटी मोटे अनाज

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21 वीं सदी का भारत बीमार भारत बनता जा रहा है। देश में बीमारियों बढ़ने के साथ-साथ अस्पतालों की गिनती व अस्पतालों में भीड़ बढ़ती जा रही है। अब मिशन होना चाहिए कि कोई व्यक्ति बीमार ही ना पड़े। आवश्यकता है कि स्वास्थ्य क्षेत्र में क्रांति लाई जाए। स्वास्थ्य के लिए जहां कसरत व शारीरिक मेहनत की आवश्यकता है वहीं खुराक का भी पूरा महत्व है। वास्तव में आधुनिक जीवनशैली ने खुराक के स्वाद व रूप पर ज्यादा जोर दिया है, हालांकि महत्वता पोषक तत्वों की है। नई पीढ़ी फास्ट फूड का ज्यादा सेवन कर ही है, जिसमें पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। देश के पारंपरिक अनाजों से नई पीढ़ी बिल्कुल टूट चुकी है। अब फिर उम्मीद की किरण जागी है।

केंद्र व राज्य सरकारों को मोटे अनाज कंगनी, हरी कंगनी, कुटकी, रागी व कोधरा को दोबारा लोकप्रिय बनाने के लिए मुहिम आरंभ की है। वास्तव में मोटा अनाज गेहूँ, चावल जैसे अनाजों से कहीं ज्यादा पौषक तत्वों से भरपूर है। यही कारण है कि हमारी पुरात्तन पीढ़ी स्वस्थ थी। लोग भट्ठी से मक्की, चने भुनाकर सर्दियों में खूब खाते थे व बहुत कम बीमार पड़ते थे। गांव में एक व्यक्ति बीमार होता तो उसकी पूरे गांव में चर्चा होती थी, अब पूरे के पूरे गांव ही बीमार पड़े हैं। स्वस्थ रहने के लिए दोबारा पारंपरिक अनाजों को अपनाना होगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मोटे अनाज संबंधी क्रांति लाने का आह्वान किया है। प्रदेश सरकारों ने भी बड़े स्तर पर कार्यक्रम शुरू कर दिए हैं। पंजाब पुलिस ने भी अपने जवानों के लिए मोटे अनाज का सेवन करने के लिए कहा है। यह तथ्य है कि बुरे खाद्य पदार्थ व बिना काम धंधे की जीवनशैली बीमारियों को निमंत्रण दे रही है। सरकार मोटे अनाज के विज्ञापनों की तरफ भी ध्यान दे।

किसानों को मोटे अनाज की खेती के लिए प्रेरित किया जाए। इसके साथ ही कोई काम नहीं करने को ‘अमीर लोगों का स्टे्टस’ समझने की धारणा को बदलने की आवश्यकता है। इस धारणा को प्रबल बनाना होगा कि शारीरिक मेहनत करना या कसरत करने वाले ही स्वस्थ हैं। देश की राजनीतिक हस्तियों को भी स्वास्थ्य संबंधी मिसाल बनना होगा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने लोगों को स्वास्थ्य प्रति जागरूक करते हुए कई अनमोल टिप्स दिए हैं व इस संबंधी प्रण भी करवाए हैं। आपजी ने डेरा श्रद्धालुओं को भोजन उपरांत सैर करने का भी प्रण करवाया है। इसी तरह स्वास्थ्य की संभाल को एक कर्म-धर्म के तौर पर अपनाना बहुत बड़ी बात है। सरकारें ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में उचित कदम उठाएं ताकि उपचार की आवश्यकता ही ना पड़े।

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