अत्याचार के खिलाफ शहीद हुए श्याम सुंदर
डेरा सच्चा सौदा के दूसरे महा शहीद हैं श्याम सुंदर इन्सां Shyam Sunder: Martyr Who Fought Against Tyranny
श्याम सुंदर इन्सां डेरा सच्चा सौदा के दूसरे महा शहीद हैं। जिन्होंने सांप्रदायिक ताकतों के विरुद्ध तथा धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्यौछा...
सरकार के लिए आईना आर्थिक मंच की रिपोर्ट
हमारे देश के हुक्मरान स्त्री-पुरुष के बीच असमानता को खत्म करने की बड़ी-बड़ी बातें करते हंै, लेकिन जमीनी हकीकत क्या है, इसे हाल ही में आई जेंडर गैप रिपोर्ट बयां करती है। लैंगिक समानता पर ह्यवर्ल्ड इकॉनोमिक फोरमह्ण यानी विश्व आर्थिक मंच द्वारा हर साल जार...
सूदखोरी में टूटती जीवन की डोर
सूदखोरों के दबाव में बिजली के तार को छूकर मौत को गले लगाने का मामला भले ही जयपुर का हो पर कमोबेस यह उदाहरण देश के किसी भी कोने में देखा जा सकता है। जयपुर में एशिया की सबसे बड़ी कालोनी मानसरोवर में इसी 29 मई को मुहाना के 43 वर्षीय बाबू लाल यादव ने अपने...
नई ऊंचाइयों पर भारत-अमेरिका के रिश्ते
Indo-US relations : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका की राजकीय यात्रा कुशलतापूर्वक संपन्न हो गई। पीएम मोदी की इस यात्रा पर दुनियाभर की निगाहें टिकी हुई थीं। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और प्रधानमंत्री मोदी के साझा बयान तथा सहमति-पत्रों पर हस्...
जब जवाबदेही ही तय नहीं, तो फिर सजा किसको?
मध्य प्रदेश के मंदसौर जिले में बीते साल किसान आंदोलन के दौरान हुए किसान हत्याकांड की जांच के लिए गठित न्यायिक जांच आयोग ने आखिरकार अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंप दी है। हाल ही में सौंपी इस रिपोर्ट में जेके जैन आयोग ने आश्चर्यजनक तरीके से मंदसौर हत्...
नगा उग्रवाद के वापसी के संकेत
मूमन शांत कहे जाने वाले पूर्वोत्तर राज्य अरूणाचल प्रदेश में नगा गुटों ने अपनी वापसी के संकेत देकर फिजा की रंगत में जहर घोलने का काम कर दिया है। नगा आतंकवादियों ने सरेआम एक विधायक की हत्या कर राज्य और केंद्र की हुकूमत को संदेश दिया है कि उनकी आदमगी खत...
शिक्षा, सुरक्षा, समानता और आजादी सबसे अहम मुद्दा है
भारत में हर साल 26 अगस्त को महिला समानता दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर महिलाओं के अधिकार, उनके सम्मान और अर्थव्यवस्था में उनकी भागीदारी की चर्चा होती है महिलाओं को प्रोत्साहन देने की बात होती है। यह दिन महिलाओं को उनकी क्षमता, सामाजिक, राजनीतिक व आर...
दबाव एवं हिंसा की त्रासदी का शिकार बचपन
बचपन केवल अपने घर में ही नहीं, बल्कि स्कूली परिवेश में बुलीइंग यानी दबाव एवं हिंसा का शिकार है। यह सच है कि इसकी टूटन का परिणाम सिर्फ आज ही नहीं होता, बल्कि युवावस्था तक पहुंचते-पहुंचते यह एक महाबीमारी एवं त्रासदी का रूप ले लेता है। यह केवल भारत की ...
भारत में आदिवासी उपेक्षित क्यों है?
अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस सिर्फ उत्सव मनाने के लिए नहीं, बल्कि आदिवासी अस्तित्व, संघर्ष, हक-अधिकारों और इतिहास को याद करने के साथ-साथ जिम्मेदारियों और कर्तव्यों की समीक्षा करने का भी दिन है। आदिवासियों को उनके अधिकार दिलाने और उनकी समस्याओं का निराक...
राज्यसभा चुनाव से जुड़ी अलोकतांत्रिक उठापटक
राज्यसभा चुनावों के परिप्रेक्ष्य में जो राजनैतिक तोड़फोड़ और उठापटक देखने को मिल रही है, उसे एक आदर्श एवं स्वस्थ लोकतन्त्र के लिए उचित नहीं कहा जा सकता। जनता द्वारा चुने गये विधायकों की चरित्र एवं साख इतनी गिरावट से ग्रस्त है कि आर्थिक एवं सत्ता के प्र...
विनाश को संकेत देते महासागर
प्रकृति के साथ खिलवाड़ के चलते वह दिन दूर नहीं जब महासागर विनाश का कारण बनने लगेंगे। ऐसे में महासागरों को बचाने के लिए दुनिया के 193 देशों द्वारा एक साथ आने का संकल्प निश्चित रुप से सुखद समाचार है।
महासागर जिसकी पहचान ही धीर-गंभीर मानी जाती रही है, भ...
वीरगाथाओं के गर्व का एहसास कराता है राजस्थान दिवस
इंग्लैण्ड के विख्यात कवि किप्लिंग का मानना था कि दुनिया में यदि कोई ऐसा स्थान है, जहां वीरों की हड्डियां मार्ग की धूल बनी हैं तो वह राजस्थान है। यह हमारे इतिहास की सच्चाई है। देश के लिए सर्वस्व न्योछावर करने की परम्परा आज भी राजस्थान में कायम है। 30 ...
समाज में हिंदी के लिए चेतना जगानी होगी
हिंदी के पिछड़ने के कई कारण हैं। बिंदुवार करके बात करें तो बहस बहुत लंबी हो जाएगी। लेकिन एकाध मुख्य कारकों पर फोकस कर सकते हैं। दरअसल, कठिन परिस्थितियों और सामाजिक ताने-बाने के वातावरण से प्रभाव ग्रहणकर परिर्वतन को न स्वीकार करने वाली भाषा अक्सर अक्षम...
राजनीति में पिस रही गरीब जनता
गरीबी एक प्रमुख वैश्विक समस्या है जिससे अधिकतम देश जूझ रहे हैं। साधारण शब्दों में अगर कहें तो गरीबी का मतलब है गरीबी रेखा से नीचे जीवन जीना । किसी भी स्वतंत्र देश के लिए गरीबी एक बहुत ही शर्मनाक स्तिथि है। संयुक्त राष्ट्र संघ के मानव विकास सूचकांक 20...
जितने कड़वे बोल उतना अच्छा
लोकतंत्र हितों का टकराव है जो इस तीखे, धुंआधार चुनावी मौसम में सिद्धांतों के टकराव का रूप लेता जा रहा है। इस चुनावी मौसम में हमारे नेताओं द्वारा झूठ और विषवमन, गाली गलौच, कड़वे बोल देखने सुनने को मिल रहे हैं और पिछले एक पखवाड़े से हम यह सब कुछ देख रहे...