पावन 32वें गुरगद्दी दिवस पर विशेष : पावन वचन सच हुए, हम थे, हम हैं, हम ही रहेंगे
तीसरी बॉडी में ऐसा बब्बर ...
संत की सीख
बाबा बोले- सेठ जी, लोभी मनुष्य दूसरों को भी अपने जैसा ही समझता है। मैं एक साधारण भक्त हूं। हीरे-मोती,फल, मिठाई से मुझे कुछ लेना-देना नहीं है। मैं समाज का दुख दूर करने में ही अपना जीवन सार्थक समझता हूं। बस आप लोगों का धन निधर्नों तक पहुंचा देता हूं।
प्रेरणास्त्रोत: लेखक की पत्नी
'भामती' की रचना के पीछे एक त्याग भरी कहानी है। 'भामती' वाचस्पति पंडित के संपूर्ण जीवन की साधना है। उन्होंने इसकी रचना में लगभग अपना पूरा जीवन लगा दिया।