हुड्डा को हाईकोर्ट से राहत तो कांग्रेस में सैलजा की मुश्किलें बढ़ीं

Hodda

 एजेएल प्लॉट आवंटन मामले में कार्रवाई पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक

  •  तंवर के बाद अब सैलजा भी हुड्डा गुट को अखर रही

चंडीगढ़ (अनिल कक्कड़)। वीरवार को प्रदेश कांग्रेस के लिए एक अच्छी और एक बुरी खबर आई। अच्छी खबर ये रही कि एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) को प्लाट आवंटित करने के मामले में निचली अदालत द्वारा चार्ज फ्रेम करने को चुनौती देते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने इस मामले में आगे किसी भी कार्रवाई पर रोक लगा दी, जिससे हुड्डा को राहत मिली है। वहीं हरियाणा कांग्रेस में संगठन गठन से पहले एक बार फिर नेताओं के बीच आपसी घमासान शुरू हो गया है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के समर्थक 19 विधायकों ने वीरवार को दिल्ली स्थित पार्टी मुख्यालय पहुंचकर प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल को साफ कह दिया कि मौजूदा राजनीतिक परिस्थितियों में हरियाणा कांग्रेस को मजबूत नेतृत्व की जरूरत है और कुमारी सैलजा को प्रधान पद से हटाया जाए।

बात एजेएल मामले की करते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप है कि उन्होंने 64.93 करोड़ रुपये का प्लाट एजेएल को 69 लाख 39 हजार रुपये में आवंटित करवा दिया। पंचकूला सेक्टर-6 स्थित सी-17 नंबर एजेएल को आवंटित किया गया था। 2018 में ईडी ने इसे कुर्क कर लिया था। कथित तौर पर नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों समेत कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं द्वारा संचालित किया जाने वाला एजेएल ग्रुप नेशनल हेराल्ड अखबार निकालता था। ईडी की जांच में पाया गया कि हुड्डा ने मुख्यमंत्री पद पर रहने के दौरान अपने पद का दुरुपयोग कर यह प्लाट नए सिरे से एजेएल को 1982 की दर (91 रुपये प्रति वर्ग मीटर) और ब्याज के साथ फर्जी तरीके से आवंटित कर दिया। हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (हुडा) की शिकायत पर राज्य सतर्कता विभाग ने मई 2016 को इस मामले में केस दर्ज किया।

कांग्रेस के भीतरी घमासान फिर से स्तह पर आया

अशोक तंवर को कांग्रेस की भीतरी कलह के चलते हटाया गया था और कुमारी सैलजा को प्रदेशाध्यक्ष की कमान सौंपी गई थी। लेकिन फिर से कांग्रेस पार्टी के गुटों की आपसी खींचतान स्तह पर है। तंवर के बाद अब सैलजा भी हुड्डा गुट को अखर रही है और वे चाहते हैं कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा को ही पार्टी का सर्वेसर्वा बनाया जाए। इसके लिए विधायकों ने राज्य कांग्रेस के कमजोर संगठन और पूर्व सीएम ओमप्रकाश चौटाला की रिहाई को आधार बनाया है। चौटाला की शुक्रवार को 10 साल की सजा पूरी होने पर रिहाई होगी।

कांग्रेस विधायक कह रहे हैं कि किसान संगठनों के आंदोलन और चैटाला की रिहाई के बाद भी यदि कांग्रेस की कमान पूर्व सीएम हुड्डा के पास नहीं रही तो यह स्थिति पार्टी के लिए मुश्किल भरी होगी। हुड्डा समर्थक इन 19 विधायकों ने प्रदेश प्रभारी विवेक बंसल से यह भी कहा है कि उन्हें अब अपनी बात को लेकर आलाकमान से मिलना है। विधायकों से मिलने के बाद विवेक बंसल ने कहा कि राज्य में शहरी स्थानीय निकाय और पंचायत चुनाव होने हैं। इसलिए विधायक चाहते हैं कि इन चुनावों से पहले राज्य कांग्रेस का ब्लाक, जिला व प्रदेश स्तर पर मजबूत संगठन हो।

उन्होंने माना कि विधायकों ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षा की कार्यप्रणाली को लेकर कुछ सवाल उठाए हैं मगर इन पर बैठकर बातचीत हो जाएगी। वे अब प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष द्वारा तैयार संगठन की टीम की सूची पर एक बार विधायकों से चर्चा करेंगे। बता दें, इस सूची पर कांग्रेस के राष्ट्रीय संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल से भी कुमारी सैलजा अंतिम रूप से चर्चा कर चुकी हैं। इसके बाद हुड्डा समर्थक विधायकों के कड़े रुख से खुद बंसल भी हैरान थे। हुड्डा समर्थकों की राजनीतिक रणनीति से दूर प्रदेश कांग्रेसाध्यक्ष कुमारी सैलजा बृहस्पतिवार को कुरुक्षेत्र अपने एक कार्यक्रम के बाद चंडीगढ़ पहुंच गई हैं।

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