जल संरक्षण के लिए जरूरी कदम

Water Conservation

पंजाब सरकार ने जल बचत व जल स्रोतों के संरक्षण के लिए विधान सभा में एक बिल पास कर दिया है। सरकार ने सभी पार्टियों की एक बैठक भी बुलाई है, यह कदम बहुत पहले उठाया जाना चाहिए था क्योंकि राज्य में भू-जल स्तर बहुत गहराई तक जा चुका है। दूसरी तरफ राज्य की नदियां दूषित हो चुकी हैं। सतलुज को तो लोग सीवरेज का नाम दे रहे हैं, फिर भी सरकार भले देरी से जागी यह निर्णय दरुस्त है और अन्य राज्यों के लिए भी अच्छा संदेश देगा। सरकार द्वारा जल के प्रयोग संबंधी सख्त नियम बनाने की संभावना है। घरेलू प्रयोग में प्रयोग होने वाले पानी के रेटों पर विचार भी किया जाएगा, ऐसी संभावना है।

लगता है सरकार यह समझ रही है कि मुफ्त व सस्ते रेटों पर उपलब्ध वस्तुओं की कोई कद्र नहीं होती है। नि:संदेह जल अनमोल है और पूरी सृष्टि ही जल के सीमित भंडार को लेकर चिंतित है। जल की कद्र करने वाली नियमावली तो बननी ही चाहिए इसीलिए जल संबंधी टैरिफ भी सरकार के लिए मुख्य बिंदू होंगे। दरअसल पानी की कमी की समस्या केवल पंजाब के लिए नहीं बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी समस्या है जिसकी तरफ ज्यादा ध्यान नहीं दिया जा रहा। बढ़ रही जनसंख्या व विकास कार्यों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए जल की खपत में भारी विस्तार हो रहा है, लेकिन राजनीतिक च अन्य कारणों के चलते इस भयानक समस्या से सरकार व लोगों ने मुंह फेर रखा है। यह लापरवाही लंबे समय तक नहीं चल सकती, आखिरकार समाधान तो निकालना ही होगा।

महाराष्ट्र के लातूर व यूपी के बुदेलखंड जैसे क्षेत्र जल संकट का सामना कर चुके हैं। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, तामिलनाडु व केरल जल की कानूनी लड़ाई भी लड़ रहे हैं। पानी की मांग हर कोई करता है लेकिन बचत व संरक्षण के लिए इज्रराइल जैसी पहल सरकारों ने नहीं की। इस मामले में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश व झारखंड के कुछ जल संरक्षकों की निजी मेहनत व जुनून काबिले-तारीफ व प्रेरणादायक है। जहां एक ही व्यक्ति ने पूरे गांव व क्षेत्र की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए जल के तालाब तक खोद दिए। देश के सभी नेता राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप में जितना समय व ऊर्जा लगा रहे हैं यदि उतनी ऊर्जा का तीसरा हिस्सा भी सार्वजनिक मामलों की तरफ लगाएं तब कहीं जाकर समस्याओं का समाधान संभव है।

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