MHU शुरू करेगा ट्रैनिंग सेंटर, ड्रोन के पायलट होंगे तैयार

Drone Training MHU

प्रदेशभर के किसानों को प्रदर्शनी के माध्यम से ड्रोन से स्प्रे करने के लिए करेगा प्रेरित

करनाल(सच कहूँ/विजय शर्मा)। किसानों तक खेती में प्रयुक्त होने वाली नवीनतम तकनीक पहुंचे, इसके लिए महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में एमएचयू (Drone Training MHU) ने 2 नए ड्रोन खरीदे है। ड्रोन की खेती खासकर बागवानी क्षेत्र में उपयोगिता बताने के लिए एमएचयू में ड्रोन का प्रदर्शन किया गया। ड्रोन प्रदर्शन में प्रदेशभर से काफी संख्या में आए किसानों ने भाग लिया। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. समर सिंह ने बताया कि एमएचयू ने दो ड्रोन खरीदे हैं, दोनों ड्रोन से किसानों के खेतों में ड्रोन की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसके अलावा एमएचयू द्वारा एक ट्रेनिंग सेंटर चालू किया जाएगा, जहां पर ड्रोन के पायलट तैयार कर लाइसेंस दिए जाएंगे ताकि आगे वो भी ड्रोन के एक्सर्ट हो जाए। जो प्रदर्शनी लगाने में सहायता करें।

ड्रोन से प्रति एकड़ में 8 मिनट में होगा स्प्रे

प्रो. समर सिंह ने बताया कि ड्रोन को मैन्यूवेल मोड व आॅटोमेटिक मोड में चलाया जाता है। इसके प्रयोग से किसानों का दवा का संपर्क नहीं होता, इससे किसानों को स्वास्थ्य संबंधित बीमारियों से बचाव होता है। दूसरा ड्रोन से स्प्रे करने से समय, पानी ओर मजदूरी की बजत होती है। ड्रोन से स्प्रे करने पर एक एकड़ में दस लीटर दवा व पानी का घोल करीब 8 मिनट में छिड़काव किया जाता है। ड्रोन में जीपीएस सेंसर होने के कारण पूरा दवा का छिड़काव विधि एक समान होती है ओर कोई भी जगह छूटती नहीं है।

ड्रोन से लेबर की समस्या होगी दूर

कुलपति ने बताया कि पहले सप्रे करने में भारी समस्या होती थी, जब भी स्प्रे करते थे तो मैन्यूवेली ही स्प्रे करते है। मैन्यूवली स्प्रे करने से दवाइयों खासकर खरपतावार नाशक दवा का एकसार सप्रे नहीं होता। जहां दवाई ज्यादा डलती है, वहां फसल खराब हो जाती है, और जहां दवाई नहीं डलती, वहां खरपतवार नहीं मरती थी। इसी तरह दवा कम पड़ेगी तो कीड़े नहीं मरते थे। लेबर की भी बड़ी समस्या थी, लेबर समय पर नहीं मिलती थी ओर समय भी ज्यादा लगता था। लेकिन ड्रोन से स्प्रे करने में प्रति एकड़ सिर्फ 8 मिनट ही लगेंगे, इससे समय व पैसे की बचत होगी।

एमएचयू देश का पहला विश्वविद्यालय, जो सर्विस प्रोवाइड करेगा

कुलपति प्रो. समर सिंह ने बताया कि एमएचयू देश का पहला विश्वविद्यालय है, जो पब्लिक सेक्टर में सर्विस प्रोवाइड करेगा। एमएचयू अन्य संस्थानों की बजाए बहुत कम बजट में ट्रेनिंग देगा। ड्रोन से किस प्रकार स्प्रे करें, इस बारे में पूरी जानकारी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। ड्रोन से सप्रे की अल्ट्रा-लो वैल्यूम पर काम करती है, जिससे स्प्रे की बूंदे 250 ग्राम माइक्रो छोटी होती है ओर ड्रोन की प्रोपलर के नीचे होने के चलते दवा सीधा पौधे की जड़ तक पहुंच जाती है।

कुछ यूं बोले, प्रदेशभर से आए किसान

चरखी दादरी से आए किसान अतर सिंह, धर्मवीर सिंह, ओम प्रकाश ने बताया कि ड्रोन से स्प्रे करना किसानों के लिए वरदान साबित होगा। क्योंकि मैन्यूवैली स्प्रे करना जोखिम भरा तो है ही साथ ही दवा व पानी की ज्यादा खपत होती है। लेकिन ड्रोन से एक सार सप्रे होगा, दवा व पानी कम लगेगा। इसके अलावा दवा चढ़ने की संभावना भी नहीं रहेंगी। एमएचयू द्वारा किसानों के लिए ट्रेनिंग उपलब्ध करवाने का कार्य सराहनीय है।

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