शाह सतनाम जी अनामी सुख आश्रम, कोटड़ा में बजा राम-नाम का डंका

Naamcharcha in Kotra

साध-संगत ने 50 जरूरतमंद परिवारों को गर्म कंबल वितरित किए

कोटड़ा (राजस्थान)। शाह सतनाम जी अनामी सुख आश्रम, कोटड़ा जिला उदयपुर राजस्थान में रुहानी नामचर्चा का आयोजन किया गया। नामचर्चा के दौरान हजारों की संख्या में साध-संगत ने पहुंचकर राम नाम का गुणमान किया। नामचर्चा पंडाल को बहुत ही सुंदर ढंग से सजाया गया था। नामचर्चा को लेकर साध-संगत में काफी उत्साह देखा गया। नामचर्चा के दौरान कोटड़ा ब्लॉक सहित आसपास की साध-संगत ने भी भाग लिया। नामचर्चा की शुरूआत ब्लॉक भंगीदास ने पवित्र नारा धन-धन सतगुरु तेरा ही आसरा बोलकर की। इस मौके पर पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए ब्लॉक कोटड़ा की साध-संगत ने 50 जरुरतमंद परिवारों को सर्दी से बचने के लिए गर्म कंबल भी वितरित किए गए। नामचर्चा के दौरान कविराज भाईयों ने भजनों के माध्यम से वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

मालिक का नाम जपो, मिलेगी खुशियां: पूज्य गुरु जी

पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि मनुष्य बनकर तो आ गया, समय कलियुग का चल रहा है कर्म उसके अनुसार करता जा रहा है। भूल गया अपने उद्देश्य को, भूल गया अपने मकसद को, भूल गया इस शरीर में बेइंतहा खुशियां हासिल कर सकता है, भूल गया चंद खुशियों के लालच में, भूल गया जीभा के स्वाद में, भूल गया इन्द्रियों के भोग विलास में। ये क्षणिक आनंद, ये पल का आनंद पाकर मस्त हुआ बैठा है और उस परमानंद से बहुत दूर हुआ बैठा है। परमानंद, उस ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, गॉड, खुदा, रब्ब की इबादत से मिलता है। ऐसा क्या है उसमें, जिसके लिए हम कह रहे हैं कि आप भूल गए हैं, क्षणिक आनंद में, पल के भोग विलास में, जीभा के स्वाद में खो गए हैं, तो उसमें ऐसा क्या है? आमतौर पर दुनिया में इन्सान का अलग-अलग टेस्ट होता है, स्वाद होता है। किसी को नमकीन बढ़िया लगता है, किसी को मीठा बढ़िया लगता है, कई कड़वे में मरे पड़े हैं। सो अलग-अलग स्वाद, किसी को इन्द्रियों का भोग विलास, उनके लिए कोई रिश्ते ही नहीं रहते, उनकी निगाहें बुरा ही ताकती रहती हैं। सो अलग-अलग स्वादों में दुनिया पड़ी हुई है।

पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि ऐसा नहीं है कि सबको एक जैसी चीज ही भाती हो। कई सगे भाई भी होते हैं, उनको भी अलग-अलग चीजें पसंद होती हैं, लेकिन ये हम आपको गारंटी देते हैं, जो ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू, गॉड, खुदा, रब्ब की धुर की बाणी, अनहद नाद, बांग-ए- इलाही, मैथड आॅफ मेडिटेशन से प्राप्त की हुई गॉड्स वाइस एंड लाइट, वो जो आवाज है, वो जो रोशनी है, वो जो परमानंद जिसे हम कह रहे हैं, दुनिया में किसी को चाहे कोई भी स्वाद क्यों ना पसंद हो, अगर आप उससे (परमानंद) जुड़ते हैं, जो आपको स्वाद पसंद है, उस परमानंद में इससे अरबों-खरबों गुणा आपको स्वाद आएगा और हर किसी को आएगा और वो स्वाद परमानेंटली है। ये आप वाला टैम्परेरी है।

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