बरनावा Live: दर्शन कर लो साध-संगत जी, youtube पर आए पूज्य गुरु जी

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बरनावा। पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां शनिवार को यूटयूब चैनल पर आकर साध-संगत को दर्शन दिए। आपको बता दें कि पूज्य गुरु जी कल आॅनलाइन गुरुकुल के माध्यम से रूहानी सत्संग फरमाया था। पूज्य गुरु जी हर रोज हजारों लोगों का नशा और बुराइयां छुड़वाकर गुरुमंत्र देकर राम-नाम की खुशियों से नवाजा। आईयें पूज्य गुरु जी के रूहानी वचनों को सुनते हैं….

मानवता की सेवा ही हमारे जीवन का एक मात्र उद्देश्य : पूज्य गुरू जी

 पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने शनिवार को आॅनलाइन गुरूकुल के माध्यम से रूहानी सत्संग में अपने अमृतमयी वचनों की वर्षा करते हुए आमजन को जीवन की हकीकत से रूबरू करवाया। इस अवसर पर पूज्य गुरू जी ने सत्संग के महत्व पर प्रकाश डाला। साथ ही वर्तमान दौर के बारे में बताया कि आज के युग में इन्सान अपने दु:ख से दु:खी नहीं है बल्कि दूसरों के सुख से ज्यादा दु:खी नजर आता है। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि हमारे जीवन का एक ही उद्देश्य है मानवता की सेवा करना। ताकि समाज में सभी लोग सुखमय जीवन जीते हुए मालिक की खुशियों को प्राप्त करें। इस अवसर पर पूज्य गुरू जी ने शाह सतनाम जी आश्रम, बरनावा से आॅनलाइन गुरूकुल कार्यक्रम द्वारा हरियाणा के फतेहाबाद, पंजाब के पटियाला, राजस्थान के अलवर और उत्तर प्रदेश के आगरा में हजारों लोगों का नशा और बुराईयां छुड़वाकर गुरूमंत्र दिया। वहीं देश-विदेश में विभिन्न स्थानों पर भारी तादाद में साध-संगत ने पावन वचनों को एकाग्रचित होकर श्रवण किया। पूज्य गुरू जी ने फरमाया कि आज आपको मालिक की चर्चा सुनाते हैं, सत्संग के बारे में बात करेंगे। सत्संग क्यों जरूरी है, किस लिए जरूरी है और सत्संग में आना चाहिए ये संत, पीर-फकीर हमेशा बोला करते हैं। सत्संग का मतलब, मीनिंग क्या है? सत् संग, सत् सच, सत्य एक ही है ओउम, हरि, अल्लाह वाहेगुरू, गॉड, खुदा, राम और परमपिता परमात्मा, उसके अलावा दुनिया की हर शय बदल जाती है, हर चीज बदल जाती है पर भगवान, ओउम, हरि, अल्लाह, वाहेगुरू राम ना कभी बदला था, ना कभी बदला है और ना कभी बदलेगा। वो सच था, सच है और सच ही रहेगा। तो हर समय, हर पल, हर जगह वो मौजूद है, दुनिया में ऐसी कोई चीज नहीं, जो एक ही होते हुए भी हर समय, हर जगह, हर पल मौजूद रहती है, पर ओउम, हरि, अल्लाह राम एक होते हुए भी हमारी इस दुनिया में ही नहीं, एक त्रिलोकी में नहीं, सैकड़ों त्रिलोकियां तो धर्मों में लिखी हुई हैं, वहां पर भी वो है, निजधाम, सचखंड़, सतलोक, अनामी, सतनामी सब जगह वो रहता है, कोई जगह उससे खाली नहीं हैं। और कमाल उसका ये है, वो जिस भी चीज को देखता है, उसी का रूप धारण कर लेता है।

फतेहाबाद, पटियाला, अलवर और आगरा में भारी तादाद में लोगों का नशा और बुराइयां छुड़वाई

कण-कण, जर्रे-जर्रे में मौजूद है। पेड़-पौधे ले लीजिये, जीव जन्तु ले लीजिये, पशु-पक्षी, परिंदे ले लीजिये, हर जगह वो है। तो सत्संग में जब इन्सान आता है, सुनता है तो उसकी समझ में आता है, कि हाँ, एक ऐसी सुप्रीम पावर है, एक ऐसी शक्ति है, जो हर समय, हर जगह मौजूद है। तो सत्संग क्यों जरूरी है, आदमी कहता है कि मैं क्यों करूं सत्संग, किस लिए करूं सत्संग? क्या आप जानते हैं कि आप कितनी शक्तियों के धनी हैं। शायद आप सोचते हों कि मैं तो सब जानता हूँ, मेरे में इतनी अकल है, मैं इतना पढ़ा-लिखा हूँ, मेरे में इतनी समझ है, मेरी बॉडी स्टैन्थ ये है, मेरी माइंड स्टैन्थ ये है, इत्यादि-इत्यादि। तो आप सोचेंगे कि मेरे को तो सारा पता है, जी नहीं, ये तो 100 पर्सेंट में से 1, 2 पर्सेंट ही आपको पता है। यहां तक साइंटिस्टों की बात करें तो वो भी कह रहे हैं कि हम तो इन्सानी शरीर को 10 से 15 पर्सेंट ही पढ़ पाए हैं। तो हमारे धर्मों में ये बताया गया है कि अगर आप अपनी स्ट्रैन्थ, सोचने की शक्ति, शारीरिक शक्ति यानि आत्मिक, मानसिक, शारीरिक शांति चाहते हैं, शक्तियों को बढ़ाना चाहते हैं तो आप इसके योग्य मनुष्य हैं, जो अपनी शक्ति को बढ़ा सकता है, पर कैसे? क्योंकि वो शक्तियां आपके अंदर हैं और बढ़ाने के लिए एक स्कूल, कॉलेज अगर कोई है तो वो सत्संग है, जहां बताया जाता है वो मैथड, वो युक्ति, वो तरीका जिसको अपनाकर आप अपनी इन शक्तियों को अपने अंदर से हासिल कर सकते हैं।

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