रूस-यूक्रेन युद्ध से गुरुग्राम के उद्योग होंगे प्रभावित

Russia-Ukraine war sachkahoon

कच्चे माल के आयात व निर्यात में होगी दिक्कत

  • ऑर्डर व पेमेंट अटकने की बढ़ी आशंकाएं

सच कहूँ/संजय मेहरा गुरुग्राम। रूस (रशिया) और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के बीच बनी युद्ध की स्थिति के बीच गुरुग्राम के गारमेंट उद्योग व अन्य उत्पादों के निर्यात को लेकर उद्योग जगत परेशान हो गया है। उद्योगपतियों का कहना है कि दोनों देशों के बीच युद्ध होता है तो कच्चा माल आयात और निर्यात का काम प्रभावित होगा। ऐसे में सभी की यही कामना है कि इन दोनों देशों के बीच शांति वार्ता हो और माहौल सही बने।

उद्योगपतियों की मानें तो माल अधिक समय में पहुंचने और खर्चा बढ़ने पर उत्पादन लागत बढ़ सकती है। कॉपर और एल्यूमिनियम के दाम भी बढ़ सकते हैं। इसका सीधा असर यहां की ऑटो मोबाइल इंडस्ट्री पर पड़ना लाजिमी है। उनका कहना है कि दुनिया के किसी भी दो देशों के बीच युद्ध होने या तनाव बढ़ने से दुनियाभर में कारोबार पर सीधा असर पड़ता है। जैसे ही जंग शुरू होगी तो युद्ध प्रभावित व अन्य देशों के बीच कारोबार सीधे तौर पर थम जाएगा। माल आयात और निर्यात के ऑर्डर या तो होल्ड होंगे या फिर रद्द होंगे। दोनों ही स्थिति में नुकसान उद्योगों को होगा।

एक्सपोर्ट हाउस है गहरी चिंता में

गुरुग्राम में एक गारमेंट्स एक्सपोर्ट हाउस के महाप्रबंधक मनीष सिंह कहा कहना है कि यूरोप को भारत से ज्यादा माल एक्सपोर्ट किया जाता है। रूस और यूक्रेन (Russia-Ukraine War) के आमने-सामने होने से वैश्विक बाजार प्रभावित होगा, इसमें कोई दो राय नहीं है। अन्य देशों पर भी इसका असर जाएगा। सिंह का कहना है कि हिंद महासागर जहां से माल निकाला जाता है, वहां समय लगने से और भी परेशानी बढ़ेगी।

अगर युद्ध शुरू होता है तो एक्सपोर्टर्स के ऑर्डर हालत सुधरने तक अटक सकते हैं। कच्चे माल और तेल की कीमत बढ़ने से उत्पादों के दामों में भी बढ़ोतरी होना स्वाभाविक है। उद्योगपति मनोज का कहना है कि कई देशों से ऑटो पार्ट, एल्यूमिनियम और कॉपर मंगवाए जाते हैं। इनके दाम बढ़ने से यहां सामान की कीमतों में भी उछाल आएगा। दूसरे देशों से माल मंगवाने और भेजने में दिक्कत रहेगी।

तेल की भी दिक्कत आएगी। इसलिए जरूरी है कि रूस और यूक्रेन के बीच हालात सामान्य हो जाएं। एक एक्सपोर्ट हाउस के महाप्रबंधक सत्येंद्र सिंह का कहना है कि गारमेंट्स एक्सपोर्ट व अन्य आइटम्स के निर्यात में दिक्कत हो सकती है। दूसरे देशों में माल भेजे जाने के बाद पैसा भी फंस सकता है। ऐसे में सबकी यही इच्छा है कि यह युद्ध टल जाए।

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