देश के 25 हजार से अधिक गांवों में मोबाइल सेवा तक नहीं

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डिजिटल इंडिया के नाम पर अभी पिछड़ा ही है देश : अशोक बुवानीवाला

गुरुग्राम (सच कहूँ न्यूज)। हरियाणा प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता अशोक बुवानीवाला ने कहा कि केवल कहने मात्र से भारत देश डिजिटल इंडिया नहीं हो जाता। इसके लिए अंतिम व्यक्ति तक सुविधा पहुंचानी पड़ती है। हमारे देश क सच्चाई यह है कि यहां 25 हजार से अधिक गांवों में अभी मोबाइल सेवा(Mobile Service) नहीं है। ऐसे में कैसे हम डिजिटल इंडिया हो सकते हैं। यह जानकारी लोकसभा में संचार मंत्रालय ने अपना डाटा प्रस्तुत करते दी है।

अशोक बुवानीवाला ने कहा कि दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनियों के आंकड़ों के आधार पर संचार मंत्रालय ने सदन में जानकारी दी है कि देश के 5,97,618 गांवों में से 25,067 गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी और इंटरनेट की कमी है। यूएसएफओ में शामिल लगभग 43 फीसदी यानी 11 हजार गांव इंटरनेट कनेक्टिविटी के हैं। बुवानीवाला ने कहा कि यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड (यूएसओएफ) योजना 2002 में शुरू की गई थी, ताकि अछूते गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान की जा सके। यूएसओएफ में शामिल करीब 43 फीसदी या 11,000 गांवों में इंटरनेट कनेक्टिविटी नहीं है। इसके अलावा देश में स्थापित सभी सरकारी वाईफाई हॉटस्पॉट में से केवल 51 प्रतिशत ही सेवा प्रदान करते हैं।

भारतनेट परियोजना के तहत जनवरी 2022 तक लगभग 1,04,259 ग्राम पंचायतों में वाईफाई हॉटस्पॉट स्थापित हैं, जिनमें से केवल 53,913 पंचायतों में वाईफाई हॉटस्पॉट सेवाएं प्रदान करने वाले कार्य कर रहे हैं। नेशनल ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क (एनओएफएन) को अक्टूबर 2011 में लॉन्च किया गया था, जिसका नाम बदलकर 2015 में भारत नेट प्रोजेक्ट कर दिया गया था, और यूएसओएफ द्वारा देश के सभी ग्राम पंचायतों में वाईफाई हॉटस्पॉट स्थापित करने के लक्ष्य के साथ वित्त पोषित किया गया है।

ओडिशा में 6,099 गांव हैं, जो मोबाइल(Mobile Service) कनेक्टिविटी के बिना देश में सबसे ज्यादा हैं। अरुणाचल प्रदेश में 2,223 गाँव हैं, मध्य प्रदेश में 2,612 गांव हैं और महाराष्ट्र में 2,328 गांव हैं। आंध्र प्रदेश में बिना इंटरनेट के 1,787 गांव हैं और झारखंड में ऐसे 1,144 गांव हैं। झारखंड और महाराष्ट्र में 70 प्रतिशत से अधिक गैर-कामकाजी सरकारी स्थापित हॉटस्पॉट हैं। मणिपुर में स्थापित 161 वाईफाई में से केवल सात में ही कनेक्टिविटी है।

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