गर्दन दर्द में रामबाण साबित होंगे ये आसन

आजकल की जीवनशैली की वजह से हमें कई तरह की शारीरिक समस्याएं से जूंझना पड़ता है। आज की आधुनिक तकनीकी के इस्तेमाल ने इंसान के श्रम करने की आदत को लगभग छुड़ा दिया है। लोग आॅफिस में लगातार बैठकर काम करने से कई शारीरिक तकलीफों की वजह से परेशान रहते हैं। कंधों और गर्दन में दर्द उन्हीं तकलीफों में शामिल हैं। लगातार एक जगह बैठे रहने से, रात भर ठीक से सो न पाने से या फिर व्यायाम न कर पाने की वजह से भी गर्दन में दर्द की समस्या उत्पन्न हो जाती है। आज आपको सच कहूँ गर्दन दर्द से राहत देने वाले कुछ सूक्ष्म व्यायाम के बारे में बताने जा रहा हैं, जिन्हें करना भी काफी आसान है और वे काफी लाभदायक भी हैं।

गर्दन दर्द के लिए आसान व्यायाम

अपने अंगूठे को अंदर कर उंगलियों को मोड़कर मुट्ठी बना लें। अब मुट्ठीबंद हाथों को आगे कर कलाई को गोल-गोल 5-10 बार घुमाएं। गर्दन दर्द के लिए यह बेहतर व्यायाम है। इसके अलावा दोनों हाथों की उंगलियों को कंधों पर रखकर सामने से कुहनियों को गोल घुमाएं। इस क्रिया को पहले एक तरफ से घुमाएं फिर दूसरी तरफ से। गर्दन दर्द से राहत पाने के लिए एक और सूक्ष्म व्यायाम इस तरह है कि दोनों हाथों को ऊपर उठाकर एक-दूसरे हाथ की कलाई को पकड़कर श्वास अंदर भरें। अब सिर के पीछे से हाथों को खीचें।

एक तरफ से खींचने के बाद श्वांस छोड़ दें और फिर दूसरी तरफ से ऐसा ही करें। कम से कम 5-10 बार इस क्रिया को दुहराएं। अगर ये व्यायाम पहली बार कर रहे हैं तो इसे ज्यादा न करें। अपनी दोनों हाथों की उंगलियों को जोड़कर सिर के पीछे से बांधें। अब श्वास अंदर भरकर हाथ को सिर की तरफ और सिर को हाथ की तरफ दबाएं। इसके साथ एक छोटा-सा व्यायाम और कर सकते हैं। इसमें सबसे पहले दोनों हाथों की अंगुलियों को मोड़ लें। अब अंगूठे को खड़ाकर मुड़ी हुई अंगुलियों को पीछे से मिला लें। फिर श्वास भरकर हाथों को आगे की तरफ खोलें। कुछ देर रुककर श्वास भरकर हाथ को सीने की तरफ लाएं। ध्यान रहे, ऐसा करते हुए अंगुलियां पीछे से खुले नहीं।

गर्दन दर्द में सात उपयोगी आसान

बाल आसन या शिशु आसन

फर्श पर घुटने के बल बैठ जाएँ। अपनी पिंडलियों को जमीन पर इस तरह रख दें कि दोनों पंजे आपस में मिले हों। एड़ियों के बल बैठ जायें। अपने हाथों को शरीर के दोनों ओर जमीन पर रख दें। एक लंबी गहरी श्वास छोड़ें और कमर को झुकाते हुए अपने धड़ को अपनी दोनों जंघाओं के बीच ले आएँ। अब धीरे से अपने सर को जमीन पर रख दें। उतनी ही चेष्टा करें जितना सरलता से संभव हो सके, अपने क्षमता से अधिक प्रयास न करें।

अपनी हथेलियों को अपने धड़ के दोनों तरफ जमीन पर रखे रहें। इसी आसन में जितनी देर संभव हो, विश्राम में रहें। और फिर धीरे से एक श्वास लेते हुए अपने शरीर को धीरे-धीरे उपर उठाते हुए सीधे हो जाएँ। अपनी हथेलियों को आकाश की ओर मुँह करके जंघा पर रखें जैसे ईश्वर को समर्पण कर रहे हैं। इस आसन से केवल गर्दन और पीठ के दर्द से ही आराम नहीं मिलता है, अपितु मन भी शांत हो जाता है। यह आसन कूल्हों, जांघों और पिंडलियों को लचीला बनाकर आपको एक शिशु की सी ताजगी महसूस कराता है।

नटराज आसन

अपनी पीठ को सीधे रखते हुए जमीन पर लेट जाएँ। धीरे से अपने सीधे पैर को उठा कर बाएँ पैर के ऊपर ले आएँ। बायां पैर सीधा ही रखें। ध्यान रहे कि दाहिना पैर जमीन पर एक सीधा कोण बनाए। अपने दोनों हाथों को शरीर के दाहिने और बाएँ तरफ फैला कर रखें। चेहरे को दाहिनी तरफ मोड़ लें। कुछ गहरी लंबी श्वास लें और छोड़ें और इसी मुद्रा में तीस सेकंड्स तक स्थिर रहें। बाएँ पैर से इसी आसन की पुनरावृति करें। यह आपकी मांसपेशियों को तो लचीला बनाती ही है साथ ही आपको पूर्णता और आनंद का अनुभव कराती है।

बीतिलीआसन या गौ मुद्रा

अपनी पिंडलियों को जमीन पर रखें और बाकी शरीर को टेबल टॉप मुद्रा में रखें, यानि कि अपनी जांघों, धड़ और हाथों की सहायता से एक मेज का रूप धारण करें। अपने घुटने और कूल्हों को एक ही लाइन में रखें। अपनी कमर, कोहनियों तथा कंधों को भी एक लाइन में जमीन से सटा कर रखें। आपका धड़ जमीन के समानांतर हो। इस मुद्रा में रहते हुए सांस भरें और अपने पेट को जमीन की तरफ अंदर खींचें। अब अपने सिर को ऊपर की तरफ उठाएँ। इसी मुद्रा में थोड़ी देर तक रहें और फिर मार्जरिआसन में आ जाएँ।

मार्जरिआसन या बिल्ली मुद्रा

बारी-बारी से सांस छोड़ें और अपनी रीढ़ की हड्डी को कूबड़ की तरह गोल करते हुए अपने सिर को नीचे ले जाएँ। धीरे से अपने ठोड़ी को अपनी गर्दन से लगा दें। इन दोनों मुद्राओं (गौ मुद्रा और कैट मुद्रा) को श्वास लेते हुए और छोड़ते हुए, बारी-बारी से करें। इसको करने से आपकी मेरुदण्ड और पेट की एक हल्की सी मालिश होगी वो भी बिना पैसे खर्च किए। साथ ही आपको गर्दन के दर्द से छुटकारा भी मिल जाएगा।

विपरीत कर्णी आसन

यह सरल है। बस अपनी पीठ के बल लेट जाएँ और अपने टाँगों को दीवार का सहारा देते हुए पैरों को छत की ओर उठा लें। अपनी बाहों को फैला कर शरीर के दोनों तरफ जमीन पर रख दें और अपनी हथेलियों को आकाश की तरफ मोड़ कर खुली रखें। दूसरी मुद्रा में जाने से पहले इसी मुद्रा में कम से कम पंद्रह की गिनती करें और गहरी लंबी श्वास लें और छोड़ें। यह योग आसन आपकी गर्दन के पिछले हिस्से को सहजता से मालिश देता है, हल्के-फुल्के पीठ दर्द से आराम देता है और थकान को दूर कर पैरों की जकड़न/ऐंठन को दूर करता है।

त्रिकोण आसन

 

सर्वप्रथम सीधे खड़े हो जाएँ। अब अपने पैरों को जितना फैला सकें, फैला दें। अपनी पीठ को सीधे रखते हुए अपनी दोनों बाहों को बगल में फैला कर रखें। एक श्वास भरें और धीरे से अपने दाहिनी ओर झुक जाएँ। आप का दाहिना हाथ आप के घुटनों को स्पर्श करें और बायाँ हाथ उपर की दिशा में हो। इस मुद्रा में रहते हुए अपने बाएँ हाथ की तरफ देखते रहें। इसी मुद्रा में जब तक रह सकें, रहें। याद रखें कि आप अपनी क्षमता के अनुसार ही यह आसन करें। योग का उद्देश्य आपको दर्द से मुक्ति दिलाना है, दर्द देना नहीं।

 

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