Uniform Civil Code Bill: यूनिफॉर्म सिविल कोड पर आया बड़ा अपडेट

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Uniform Civil Code Bill यूनिफॉर्म सिविल कोड पर आया बड़ा अपडेट

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। Uniform Civil Code Bill:  पीएम मोदी की ओर से मध्यप्रदेश की धरती से यूनिफॉर्म सिविल कोड का जिक्र किए जाने से ही बहस जारी है। विपक्ष इस बिल का विरोध कर रहा है। वहीं इस बीच मीडिया रिपोर्ट के अनुसार केन्द्र सरकार मॉनसून सत्र (Monsoon Session) में यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रस्ताव पेश कर सकती है।

मॉनसून सत्र जुलाई में बुलाया जाएगा। रिपोर्ट के अनुसार यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC Bill) का बिल सरकार की ओर से संसदीय स्थायी समिति को भेजा जा सकता है। स्थायी समिति इस बिल पर तमाम हितधारकों से उनके विचार मांगेगी। लेकिन इस बार यूनिफॉर्म सिविल कोड का प्रस्ताव मॉनसून सत्र में पेश होने पर संसद में सियासी घमासान देखने को मिल सकता है।

समान नागरिक कानून अधिकार, जानें, कितना है असरदार? Uniform Civil Code Bill

‘‘दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चलेगा’’ भोपाल में कार्यकतार्ओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव से ठीक पहले समान नागरिक संहिता पर बयान देकर एजेंडा सेट करने की कोशिश की है। पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता पर मुसलमानों को उकसाया जा रहा है। साथ ही बिहार की राजधानी पटना में विपक्षी दलों की बैठक को उन्होंने ‘फोटो खिंचवाने का अवसर’ करार दिया। पीएम मोदी ने कहा कि बीजेपी सरकार ‘तुष्टिकरण’ की बजाए ‘संतुष्टिकरण’ की राह पर चलेगी।

पीएम मोदी ने कहा, ‘एक घर में परिवार के एक सदस्य के लिए एक कानून हो, दूसरे के लिए दूसरा, तो क्या वह परिवार चल पाएगा। फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? हमें याद रखना है कि भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है’। पीएम मोदी ने पसमांदा मुसलमानों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े मुसलमानों के साथ भी बराबर व्यवहार नहीं किया जाता है। जबकि सरकार ने बिना किसी भेदभाव के वंचितों के लिए काम किया है। पीएम मोदी ने कहा कि तीन तलाक का समर्थन करने वाले लोग सिर्फ वोट बैंक के भूखे हैं जो मुस्लिम बेटियों के साथ अन्याय कर रहे हैं। Uniform Civil Code Bill

पीएम मोदी के इस बयान के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया कि वह ‘हिन्दू नागरिक संहिता’ लाना चाहते हैं। ओवैसी ने कहा, ‘भारत के प्रधानमंत्री समान नागरिक संहिता की चर्चा कर रहे हैं। क्या आप समान नागरिक संहिता के नाम पर बहुलवाद, विविधता को छीन लेंगे?’ वे सभी इस्लामी प्रथाओं को अवैध करार दे देंगे और प्रधानमंत्री, कानून के तहत सिर्फ हिंदू प्रथाओं की रक्षा करेंगे।’

ओवैसी ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी के 300 सांसद हैं और वह चुनौती देते हैं कि क्या ‘हिंदू अविभाजित परिवार’ को खत्म कर 0दिया जाएगा और क्या वह ऐसा कर पाएंगे? ओवैसी ने संविधान के नीति निर्देशक तत्वों का हवाला देते हुए कहा कि भारत की संपत्ति देश के लोगों के बीच वितरित की जाए और देश की 50 प्रतिशत संपत्ति आठ से 10 लोगों के पास है। उन्होंने कहा कि नीति निर्देशक सिद्धांत में शराब पर रोक की भी बात है तो शराब पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया जाता? गौरतलब है कि चुनाव से पहले पीएम मोदी के समान नागरिक संहिता पर बयान के बाद से नई बहस शुरू हो गई है। समान नागरिक संहिता के मुद्दे पर सबसे ज्यादा बहस शादी-विवाह के कानूनों पर होती है।

समान नागरिक कानून | Uniform Civil Code Bill

समान नागरिक कानून-नाम से ही पता चल रहा है कि इसका मतलब है कि सबके लिए एक नियम। लेकिन भारत जैसे विविधता वाले देश में इसको लागू करना क्या इतना आसान है, जहां सभी को अपने-अपने धर्मों के हिसाब से रहने की आजादी है। समान नागरिक कानून के मुताबिक पूरे देश के लिये एक समान कानून के साथ ही सभी धार्मिक समुदायों के लिये विवाह, तलाक, विरासत, गोद लेने के नियम एक होंगे।

संविधान के अनुच्छेद 44 में भारत में रहने वाले सभी नागरिकों के लिए एक समान कानून का प्रावधान लागू करने की बात कही गई है। अनुच्छेद-44 संविधान के नीति निर्देशक तत्वों में शामिल है। इस अनुच्छेद का उद्देश्य संविधान की प्रस्तावना में ‘धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ के सिद्धांत का पालन करना है।