नगर पंचायत बुढाना का तिलिस्म टूटा

Budhana News
गठबंधन प्रत्याशी उमा त्यागी को नपा की जीत का निर्वाचन अधिकारी प्रमाण पत्र सोपते हुए।

समाजवादी पार्टी के जिला अध्यक्ष के घर मे 55 साल बाद नपा सीट आई

  • भाजपा बुढ़ाना शाहपुर, सिसौली समेत तीनों सीटें हारी

बुढ़ाना (सच कहूँ न्यूज)। 40 साल बाद सपा जिलाध्यक्ष प्रमोद तरीके भाई की पत्नी उमा त्यागी नगर पंचायत बुढ़ाना (Budhana) में अध्यक्ष पद की जीत हासिल कर भाजपा के कई वर्षों से चले आ रहे वर्चस्व को खत्म कर नपा सत्ता पर अपना कब्जा किया जहां बुढ़ाना विधानसभा में तीनों सीटें भाजपा हारी उसको लेकर भाजपा प्रत्याशी का कार्यकर्ताओं में भारी मायूसी छाई हुई।

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नगर पंचायत बुढाना 1947 में देश आजाद होने के बाद पहली बार निर्विरोध नपा अध्यक्ष बने लक्ष्मी चंद त्यागी 1952 तक रहे उसके बाद 19 साल बाद चुनाव हुए जिसमें लक्ष्मी चंद दोबारा नगर पंचायत के अध्यक्ष बने।  इसके बाद से आज 55 साल बाद लक्ष्मी चंद के घर मे नगर पंचायत अध्यक्ष पद 441 वोटों से जीत हासिल करके जश्न बना।

इससे पहले लक्ष्मी चंद के बेटे विधानसभा के अलावा बहुत से चुनाव लड़े जिसमें करारी हार हुई।

वही भाजपा से जितेन्द्र त्यागी की पत्नि बाला त्यागी ने 1990 से 95 तक उसके बाद सन 2000 में जितेन्द्र त्यागी 2005 में मुन्नन 2010 में फिर बाला त्यागी 2015 में फिर जितेन्द्र त्यागी 2023 में लक्ष्मी चंद त्यागी की पुत्रवधू उमा त्यागी पत्नि सुबोध त्यागी ने 441 वोटों से भाजपा के प्रत्याशी बाला त्यागी को पटखनी दी।

दो बार नपा के अध्यक्ष रहे शहाबुद्दीन मुन्नन का स्वर्गवास होने के पश्चात उनके बेटे एहतेशाम सिद्दीकी द्वारा चुनाव से एक दिन पहले गठबंधन को दिए गए समर्थन में चुनाव की दशा और दिशा बदल दी जिसके चलते गठबंधन के प्रत्याशी उमा त्यागी चुनाव जीत गई बुढ़ाना नगर पंचायत चुनाव काफी सालों से हिंदू मुस्लिम के समीकरण से नगर पंचायत की कुर्सी पर एक बार हिंदू और एक बार मुस्लिम अध्यक्ष पद के दावेदार होते थे इस बार भाजपा हटाओ अभियान में सुबोध त्यागी की पत्नी उमा त्यागी को चुनाव मैदान में ज्यादा बड़ी जीत से तो नहीं मिली पर जीत मिलने से गठबंधन में जान डाल आ गई l

बुढाना विधानसभा में तीन नगर पंचायते हारने से 2024 में आने वाले चुनाव में कहीं ना कहीं लोकसभा चुनाव को प्रभावित करेगा गठबंधन काफी दमदार तरीके से हर चुनाव को लड़ रहा है चाहे वह कोई भी चुनाव हो अनुमान लगाया जा रहा है कि लोकसभा चुनाव को निकाय चुनाव जरूर प्रभावित करेगा।