Narendra Modi: दिल्ली हाईकोर्ट ने की मोदी को अयोग्य ठहराने की याचिका खारिज!

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 6 साल के लिए किसी भी चुनाव में भाग लेने से अयोग्य घोषित करने की मांग वाली जो याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में लगाई गई वो दिल्ली उच्च न्यायालय ने खारिज कर दी है। याचिकाकर्ता द्वारा उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में पीएम मोदी के अपने हालिया भाषण के दौरान कथित तौर पर भगवान और पूजा स्थल के नाम पर वोट मांगकर आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए पीएम मोदी को अयोग्य ठहराने की मांग की गई थी। Delhi High Court

याचिका में कोई दम न होने की बात कहकर आज दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। लाइव लॉ ने बताया कि न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने वकील आनंद एस जोंधले द्वारा दायर याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि याचिका पूरी तरह से गलत है क्योंकि यह भारत के चुनाव आयोग को एक विशेष तरीके से कार्य करने का निर्देश नहीं दे सकती है। इस संबंध में बार और बेंच ने उच्च न्यायालय के हवाले से कहा कि मौजूदा रिट याचिका पूरी तरह से गलत है। लेकिन वहीं याचिकाकर्ता का मानना है कि उल्लंघन तो हुआ है। इस अदालत के लिए ईसीआई को एक विशेष दृष्टिकोण अपनाने का निर्देश देना स्वीकार्य नहीं है।

ये हैं आरोप | Delhi High Court

वकील आनंद एस जोंधले ने 9 अप्रैल को उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में दायर याचिका में पीएम मोदी द्वारा दिए गए भाषण का हवाला दिया और आरोप लगाया कि पीएम मोदी ने न केवल हिंदू और सिख देवताओं और उनके पूजा स्थलों के नाम पर वोट मांगे बल्कि चुनाव आचार संहिता का भी उल्लंघन किया है। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका केवल मुसलमानों का पक्ष लेने वाले विरोधी राजनीतिक दलों के खिलाफ टिप्पणियाँ हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के भाषणों में मतदाताओं के बीच जाति और धर्म के आधार पर नफरत पैदा करने की क्षमता है। बार और बेंच के अनुसार, याचिकाकर्ता ने कहा कि भले ही उसने ईसीआई से संपर्क किया और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 ए के तहत प्रधानमंत्री के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने और मोदी को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित करने के लिए कहा। लेकिन 6 साल तक चुनाव आयोग ने कोई कार्रवाई नहीं की।

क्या कहना था चुनाव आयोग का? | Delhi High Court

इस मामले में ईसीआई की ओर से पेश वकील सिद्धांत कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग को हर दिन ऐसे आवेदन मिल रहे हैं और वह कानून के अनुसार कार्रवाई करेगा। हाईकोर्ट ने चुनाव आयोग की इस दलील पर भी गौर किया कि वह याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर फैसला करेगा।

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