महर्षि का शिष्य
महर्षि बोधायन शिष्यों के अनुरोध पर उस दिन आश्राम से दूर नदी तट पर वृक्षों की घनी छांव में गोठ पर गए थे। मछलियों की तरह गुरू शिष्य घंटों जल विहार करते रहे। फिर झड़बेरी के साथ पकाए गए सिवार का साग और कोदो भात भरपेट खाकर अपने वस्त्र फैलाकर लेट गए। शीघ्र ...
राजा का गरीब भाई
राजा भोज का दरबार लगा हुआ था। इसी बीच द्वारपाल ने आकर कहा-‘‘ महाराज! एक फटेहाल व्यक्ति आपसे मिलने की हठ कर रहा है और वह स्वंय को आपका भाई बतलाता है। उसे अंदर भेजा जाए अथवा नहीं? राजा भोज तुरंत बोले, उसे सम्मानपूर्वक अंदर ले आओ। जैसे ही वह व्यक्ति दरब...
गाँधी जी की शिष्या मीरा
किसी ने सत्य कहा है-‘जहां चाह वहाँ राह।’ जब किसी व्यक्ति में अभिव्यक्ति की लौ प्रज्वलित हो जाए, तब कोई व्यवधान उसकी राह को रोक नहीं सकता। ऐसा नहीं था कि शिष्या मीरा बहन का भारत में आगमन, जिसे एक अलौकिक घटना ही कहा जाएगा। कहाँ एक एडमिरल की लाडली बेटी,...
हनुमान का उत्तर
पता नहीं कितने इन्द्र और ब्रह्मा मर गए और कितने मरेंगे।
मुझे भी मरना है इसलिए मैंने अपनी गृहस्थी नहीं बसाई।
श्रीराम और परशुराम
उनका वास्तविक स्वामी तो वह होगा जो उनकी देखभाल करे और हमेशा उनकी सेवा मेें जुटा रहे, शिष्य ने उत्तर दिया।
ईसा का शिष्य
प्रभु ईसा के एक शिष्य ने एक बार उनके खिलाफ झूठी गवाही दी। इससे अन्य शिष्य नाराज हो गए और एक शिष्य ने ईसा से कहा- इस शिष्य का इतना पतन कैसे हुआ कि झूठ बोलने में उसे जरा भी हिचक न हुई? उसे इसका दंड अवश्य मिलना चाहिए। प्रभु ईसा ने उस शिष्य से कहा- कोई क...
द्रोणाचार्य ने कहा था
महाभारत में घमासान युद्ध हो रहा था। द्रोणाचार्य और अर्जुन आमने-सामने थे। द्रोणाचार्य लड़खड़ा रहे थे। अर्जुन आगे बढ़ता जा रहा था। कौरवों मे से एक ने प्रश्न किया, ‘इस आश्चर्य का क्या रहस्य है कि गुरू हारता और शिष्य जीतता जा रहा है।’ द्रोणाचार्य ने स्पष्ट ...
सेवा ही पूजा है
Service is Worship
एक भिक्षु था। उसे कोई भारी रोग लग गया। वह चल फिर नहीं सकता था। अपने मल-मूत्र में लिपटा पड़ा रहता था। उसके साथी भिक्षुक उससे घृणा करते थे। कोई भी उसके पास नहीं आता था। बेचारा बहुत परेशान था। अचानक बुद्ध को मालूम हुआ कि उस भिक्षुक की...
संत शेख फरीद
महापुरुष सूखे नारियल की तरह होते हैं और आम आदमी गीले नारियल जैसा। जब तक वह भौतिक वस्तुओं के आकर्षण और रिश्ते-नातों के मोह में बँधा है, कष्ट की नौबत आने पर दुखी होता है, जबकि संत-महात्मा सूखे नारियल की भाँति मोह से परे होते हैं, जैसे खोल से सूखा नारियल।
प्रेरणास्त्रोत : मृत्यु से साक्षात्कार
तीन मित्रों ने मृत्यु का साक्षात्कार करने की इच्छा एक महात्मा के समक्ष रखी महात्मा ने सामने एक गुफा की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘तुम लोग उस गुफा में जाओ। वहाँ मृत्यु से तुम्हारा साक्षात्कार हो जाएगा।’ तीनों तेजी से चलकर गुफा तक पहुँचे। गुफा में झांका त...
प्रेरणास्त्रोत :उपदेश का समय
स्वामी विवेकानंद से मिलने दूर दूर से लोग आया करते थे। एक बार अपने समय के मशहूर लेखक और पत्रकार सखाराम गदेड़स्कर अपने दो मित्रों के साथ स्वामी जी से मिलने गए। उन दिनों पंजाब में जबर्दस्त अकाल पड़ा हुआ था। बातचीत के दौरान जैसे ही स्वामी जी को पता चला कि उनमें से एक पंजाब के निवासी हैं, उन्होंने बातचीत की दिशा ही बदल दी।