चरम पर कलयुग: पैसों के लालच में लगाए जा रहे रेप के झूठे आरोप

False allegations of rape sachkahoon

हरियाणा में 40 फीसदी रेप के मामले झूठे

  • तीन सालों में 4 हजार 93 मामलों में से 1 हजार 650 मामले झूठे

  • दोष साबित होने की दर 10 मामलों में 2 से भी कम

सच कहूँ/अनिल कक्कड़, चंडीगढ़। पैसों के लालच या विवादों में फंसाने के लिए पिछले तीन सालों में 1 हजार 650 रेप के आरोप झूठे साबित हुए हैं। यह आंकड़ा चौंकाने वाला हैं। राज्य अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार रेप यानि दुष्कर्म के करीबन 40 फीसदी मामले झूठे साबित हुए हैं। आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 से 2020 के बीच हरियाणा में पुलिस द्वारा निपटाए गए रेप के लगभग 40 प्रतिशत मामलों को झूठा घोषित किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा पुलिस ने तीन सालों में 4,093 रेप के मामलों का निपटारा किया। इनमें 1,650 मतलब 40.3 फीसदी रेप की एफआईआर झूठी पाई गई। वहीं रेप के मामलों में कोर्ट ट्रायल के दौरान दोष साबित होने की दर 10 मामलों में 2 से भी कम रही। वहीं रेप के ज्यादातर एफआईआर झूठी पाई गईं।

1 करोड़ की जबरन वसूली के लिए लगाया था रेप का आरोप

प्रदेश के एक अधिकारी ने उदाहरण देते हुए कहा कि अक्टूबर 2020 में, गुरुग्राम पुलिस ने एक महिला के खिलाफ जबरन वसूली का केस दर्ज किया था। दरअसल महिला ने एक रिटायर्ड पुलिसकर्मी से उसके खिलाफ रेप का केस वापस लेने के एवज में 1 करोड़ रुपये की मांग की थी। अधिकारी ने बताया कि सितंबर 2019 में, रोहतक की एक कोर्ट ने एक महिला के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया था। दरअसल महिला कथित तौर पर झूठे गैंगरेप की रिपोर्ट दर्ज कराने की दोषी पाई गई थी। हरियाणा के डीजीपी पी.के. अग्रवाल ने बताया कि रेप और शादी से जुड़े विवादों समेत कई मामलों में शुरूआत में रेप का आरोप लगाया जाता है। लेकिन बाद में सबूतों के अभाव में आरोप हटा दिए जाते हैं।

2018 में 40%, 2019 में 51% और 2020 में 45.3% रेप के आरोप झूठे

आंकड़ों के अनुसार गैंगरेप की घटनाओं में, कुल 139 में से 55 मामले साल 2018 में झूठे पाए गए थे। मतलब करीब 39.6 फीसदी मामले गलत पाए गए थे। इसी तरह के आंकड़े 2019 में भी सामने आए थे। उस समय 157 में से 80 यानि 51 फीसदी और 2020 में 159 में से 72, मतलब 45.3 प्रतिशत मामले झूठे घोषित हुए। साल 2018 में एक ही महिला के साथ बार-बार रेप से संबंधित 276 में से 104 शिकायतें झूठी पाई गईं थीं। मतलब ये आंकड़ा 37.7 फीसदी थी। इसी तरह 2019 में 184 में से 60, मतलब 32.6 फीसदी और 2020 में 403 शिकायतों में से 181, मतलब 44.9 फीसदी मामले झूठे पाए गए थे।

पैसों के लिए लगाए जाते हैं झूठे आरोप

पुलिस जांच के अनुसार इस तरह के मामलों में महिलाओं द्वारा पैसों के लिए आरोप लगाने के मामले सामने आते हैं। लेकिन जांच के बाद सच्चाई सामने आ जाती है, तब जाकर एफआईआर को रद्द कर दिया जाता है। अक्सर रेप कानून का फायदा उठाकर पैसे वसूलने के लिए कानून का दुरुपयोग किया जाता है।

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