पर्यावरण व वंचितों के विकसित को समर्पित एनैक्टस किरोड़ी मल कॉलेज

Project Enactus

एनैक्टस एक अंतर्राष्ट्रीय, गैर-लाभकारी संगठन व विद्यार्थी, शैक्षिक एवं व्यवसायिक लीडर्स का समुदाय है। यह समुदाय समूचे विश्व के वंचित वर्गों के सार्थक विकास और संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित निरंतर विकास लक्ष्यों की पूर्ति हेतु उद्यमी परियोजनाएं लाने को समर्पित है।

संगठन के प्रतिनिधि ओजस ने सच कहूँ को बताया कि इसी तर्ज पर इनेक्टस किरोड़ी मल कॉलेज (Enactus Kirorimal College) भी इसी का एक छात्र इकाई है जिसमें लगभग 70 छात्रों का समूह सामाजिक एवं आर्थिक रूप से वंचित समुदायों के लिए एक ऐसा व्यवसाय विकसित करने के लक्ष्य के साथ काम करता है जो उनके सर्वांगीण विकास के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है।

आज अगर पूरी दुनिया की बात करें तो किसी “राष्ट्र की सबसे ताकतवर शक्ति युवा हैं, क्योंकि एक युवा अपने अंदर एक नई सोच, जोश व असीम ऊर्जा संजोए होता है। “इस वाक्य से प्रेरित हो युवा इस छात्र इकाई को अपनी उद्यमशीलता, उत्साह और नि:स्वार्थत भावना से नई पहचान दे रहे हैं। यह संस्था वर्तमान में 3 परियोजनाओं पर काम कर रही है जो क्रमश हैं : प्रोजेक्ट डोर, प्रोजेक्ट स्याही और प्रोजेक्ट जनभूमि।

प्रोजेक्ट डोर :

प्रोजेक्ट डोर के अंतर्गत बिहार, झारखंड व पश्चिम बंगाल से आई महिलाओं को टाई-डाई तकनीक से विभिन्न प्रकार के प्रोडक्ट्स बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जिसमें जेंडर न्यूट्रल कॉटन व चंदेरी स्कार्फ एवं दुपट्टा शामिल हैं। डोर एक ज़ीरो वेस्ट (अपशिष्ट शून्य) एवं पर्यावरण हितैषी फैशन ब्रांड है जहां व्यर्थ कपड़े का उपयोग पोटली बनाने में किया जाता है। समुदाय की संकल्प शक्ति एवं युवाओं के निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप डोर ने इन महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना व्यक्ति प्रधान समाज में उन्हें नई पहचान दी है।

बात करें तो प्रोजेक्ट डोर (Project Dor) ने प्रत्यक्ष रूप से 4 प्रवासी महिलाओं और अप्रत्यक्ष रूप से 1,00,00+ व्यक्तियों के जीवन पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। इसने 24,39,78,832+ माइक्रोप्लास्टिक फाइबर को अपशिष्ट में जाने से रोकाने के साथ ही 5,37,000+ वर्ग इंच कपड़े की बचत भी की है।

प्रोजेक्ट स्याही :

ओजस ने सच कहूँ को बताया कि प्रोजेक्ट स्याही (Project Syahi) की महत्वाकांक्षी पहल पर्यावरण के लिए गंभीर समस्या बन रहे प्लास्टिक के विरुद्ध है। एक आंकड़े अनुसार देश में हर साल ढाई सौ करोड़ से ज्यादा प्लास्टिक पेन बाजार में आते हैं जिनमें से ज़्यादातर केवल एक बार इस्तेमाल कर फेंक दिए जाते हैं। स्याही परियोजना के तहत संस्था प्रवासी महिलाओं के सहयोग से इस्तेमाल किए हुए कागज़ को दोबारा उपयोग कर कागज़ की कलम (पेन) का निर्माण करती है जो ग्राहक की इच्छा अनुकूल अलग-अलग डिज़ाईनस में तैयार किए जाते हैं। पर्यावरण बचाने की पहल के तहत इसके पिछले हिस्से में कुछ बीज होते हैं जिन्हें बोकर प्रयोगकर्ता द्वारा कुदरत को उपहार के रूप में नए पौधों को जीवन दिया जा सकता है।

इस प्रकार, स्याही वनीकरण को बढ़ावा देने के साथ-साथ प्लास्टिक के खतरे और अपशिष्ट प्रबंधन की समस्याओं को हल करती है। इन कलमों की बिक्री से होने वाला मुनाफा आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं के समुदाय को जाता है, जो इन कलमों का उत्पादन भी करती हैं। अपने फोकस- दृष्टिकोण के कारण, प्रोजेक्ट सियाही 7800+ प्लास्टिक पेन को अपसाइकल पेपर पेन के साथ बदलने के एक उल्लेखनीय बेंचमार्क तक पहुंच गया है, इस प्रकार 12 किलोग्राम प्लास्टिक कचरे को कम करने के साथ ही 125+ किलोग्राम कार्बन उत्सर्जन को पर्यावरण में जाने से रोकने में मदद मिली है। उल्लेखनीय रूप से अपनी स्थापना के बाद से, स्याही ने अपनी आय में 166% की बढ़ोतरी करते हुए 12 महिलाओं को सफल उद्यमी बना दिया है।

प्रोजेक्ट जनभूमि :

ओजस ने आगे बताया कि बताया कि प्रोजेक्ट जनभूमि भूमि क्षरण एवं व्यर्थ अपशिष्ट पदार्थों के प्रबंधन की समस्या सुलझाने के लक्ष्य के साथ जुटी हुई है। इसके लिए संस्था ने एंजेलिक फाउंडेशन के साथ मिलकर दिल्ली के बिरला मंदिर में कंपोस्टिंग मशीन स्थापित की है जिससे मंदिर में अर्पित सभी फूलों को एकत्रित कर कंपोस्ट (फूलों से तैयार खाद) में परिवर्तित किया जा सके। उनके इस संगठित प्रयास से इन फूलों का नदियों में फेंका जाना बंद हुआ और संस्था अपनी इस योजना को आगे विस्तार देने हेतु तत्पर है। अक्टूबर 2018 में संस्था ने हरियाणा सरकार की सहभागिता से पलवल के 75 से अधिक गांवों में 200 से अधिक कम्पोस्ट पिट स्थापित कर स्थानीय किसानों को वर्मीकम्पोस्ट (केंचुआ खाद) उपयोग करने के लिए प्रेरित किया। इससे न केवल उन्हें अपनी इनपुट लागत कम करने में मदद मिली है बल्कि उनकी भूमि को फसल के दृष्टिकोण से अधिक टिकाऊ और प्रगतिशील भी बनाया है।

अपने निरंतर प्रयासों से, परियोजना जनभूमि (Project JanBhoomi) आज तक 721+ एकड़ भूमि और 5,80,00,000+ लीटर पानी बचाने में सफल रही है। इसने प्रत्यक्ष रूप से 89 व्यक्तियों तथा अप्रत्यक्ष रूप से 67,615 व्यक्तियों के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित किया है। बढ़ते लैंडफिल और अकुशल अपशिष्ट प्रबंधन के खतरे से निपटने के उद्देश्य से, प्रोजेक्ट जनभूमि दिल्ली में पॉटर्स कॉलोनी के कुम्हारों द्वारा तैयार टेराकोटा होम कंपोस्टर को एक स्केलेबल समाधान लॉन्च करने के लिए तैयार है।

अतः एनैक्टस किरोड़ीमल कॉलेज संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित निरंतर विकास लक्ष्यों जैसे- गरीबी का अंत, लैंगिक समानता, सम्मानजनक कार्य एवं आर्थिक विकास, सतत उपभोग, जलवायु परिवर्तन इत्यादि को साकार करने हेतु दृढ़संकल्पित है। साथ ‘वी ऑल विन’ के आदर्श वाक्य को आत्मसात कर विश्व के नव-निर्माण में अपनी भूमिका निभा रहा है।

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